एक अनोखा बंधन - पुनः प्रारम्भ
07-12-2020, 08:49 PM,
#7
RE: एक अनोखा बंधन - पुनः प्रारम्भ
तृतीय अध्याय : प्रथम मिलन
भाग - 3


रात का खाना बना और भाभी ने मुझे भी सब के साथ खाना परोस दिया; "भौजी मैं आपके साथ खाऊँगा!" मैंने बड़े भोलेपन से कहा तो भौजी बड़की अम्मा को देखने लगीं| "ठीक है मुन्ना!" अम्मा ने मुस्कुराते हुए कहा| पर भौजी, मा और बड़की अम्मा को सबसे अंत में खाना था क्योंकि ये ही हमारे गाँव की रीत थी| मैंने बड़े इत्मीनान से सबके खाने का इंतजार किया और अंत में भौजी ने पहले बड़की अम्मा उसके बाद माँ को खाना परोस कर अपना और मेरा खाना एक थाली में लिए हुए मेरे पास बैठ गईं| भौजी के चेहरे पर एक मुस्कराहट थी और वही मुस्कराहट मेरे चेहरे पर भी थी| हम दोनों चुप-छाप खाना खा रहे थे और बीच-बीच में एक दूसरे को देख मुस्कुरा भी रहे थे| तभी भौजी ने मुझे खिलाने के लिए एक कौर मेरी तरफ बढ़ाया| मैंने बिना कुछ सोचे वो कौर खा लिया, भौजी 2 सेकंड के लिए मुझे देखती रही| पर मेरी नजर उन पर नहीं थी, भौजी ने एक और कौर मुझे खिलाया और मैंने वो भी खा लिया पर इस बार जब मैंने भौजी की तरफ देखा तो उनके चेहरे पर मुझे संतोष नजर आया| ये कैसा संतोष था ये मैं समझ नहीं पाया, पर अब मेरे मन में भी विचार आया की मैं भौजी को एक कौर खिलाऊँ| मैंने अगला कौर उन्हें खिलाया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए खा लिया| बड़की अम्मा की नजर मेरे ऊपर पड़ी तो वो मुस्कुराते हुए बोलीं; "लागत है मानु का नई दुल्हिन भा गई!" ये सुन कर मेरे गाल शर्म से लाल हो गए और माँ, बड़की अम्मा और भौजी हँस पड़े| खाना खाने के बाद सोने की बारी आई, अब मेरा मन भौजी के साथ लग गया था और मुझे अब उनके साथ सोना था| पर ये बड़ी टेढ़ी खीर साबित हुआ क्योंकि चन्दर भैया की गैरमौजूदगी में बड़की अम्मा ने भौजी को अपने और माँ के साथ रसोई के पास छापर के नीचे सोने को कहा| मैंने सोचा की कोई बात नहीं, कल दिन भर तो मुझे भौजी के साथ ही रहना है, ये सोचते हुए मैं सो गया|
                       अगली सुबह हुई और आज मुझे भौजी ने खुद उठाया, मैं आँख मलते हुए उठा और उनका चेहरा देखा पर आज उनके चेहरे पर एक बेचैनी थी| दरअसल चन्दर भैया सुबह ही धमके थे, मैं उनसे कुछ पूछ पाता उससे पहले ही भौजी ने मुझे जल्दी से तैयार हो कर आने को कहा| मैं जल्दी से तैयार हो कर आया और भौजी के पास रसोई में घुस गया वो भी चप्पल पहने, भौजी ने मुझे जल्दी से चप्पल दूर उतार आने को कहा| हमारे गाँव में रसोई में बिना नहाये-धोये जाने नहीं दिया जाता, गलती से कोई अगर चप्पल पहन कर रसोई में घुस जाए तो उसे बड़ी डाँट पड़ती है और किसी ने अगर खाना बनाने वाले को बिना नहाये-धोये छू लिया तो वो रसोई घर के बड़े नहीं छूते| जब तक पूरी रसोई गोबर से नहीं लीपी जाती तब तक उसका बना खाना नहीं खाया जाता| माँ ने मुझे चप्पल पहने अंदर जाते देख लिया था इसलिए उन्होंने मुझे बड़ी जोर से डाँटा, तभी अम्मा वहाँ गईं और उन्होंने माँ से कहा; "अरे मुन्ना है...छोट है...!" बड़की अम्मा ने मेरा बचाव किया और फिर मुझे अच्छे से समझाया; "मुन्ना चूल्हा पूजा जात है, हियाँ बिना नहाये-धोये नहीं आवा जात है! तोहार भौजाई खाना बनात है और अइसे में तू अगर का छू लिहो तो फिर खाना कोई खाई!" बड़की अम्मा की बात बड़ी सीधी थी तो और मेरे पल्ले पड़ गई, इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया और कान पकड़ कर उनसे माफ़ी माँगी| उस दिन के बाद मैं कभी भी रसोई में चप्पल पहन कर या बिना नहाये धोये नहीं घुसा| अब डाँट पड़ी थी इसलिए मैं सर झुकाये रसोई के बाहर बैठ गया|
भौजी: क्या हुआ मानु? तुम्हें पता नहीं था की रसोई में चप्पल पहन कर नहीं आते?
मैं: आज तक मुझे कभी रसोई में आने की जर्रूरत ही नहीं पड़ी|
भौजी ये सुन कर मुस्कुराने लगी, दोपहर का खाना बना और भौजी ने जानबूझ कर मुझे खाना नहीं परोसा| सब के खाने के बाद मैं और भौजी साथ खाने बैठे और कल रात की ही तरह भौजी ने मुझे खाना अपने हाथ से खिलाया| मैंने भी उन्हें खिलाना चाहा पर उन्होंने बस 1-2 कौर ही खाये| खाने के बाद गट्टू भैया भौजी से बात आकर रहे थे| उस समय मैंने एक बात गौर की, वो ये की भौजी गट्टू से देहाती भाषा में बात की जबकि मेरे से तो वो हिंदी में बात करती थीं?! जब गट्टू भैया चले गए तब मैंने उनसे ये सवाल पुछा;
मैं: भौजी ... आप बाकी सब के साथ तो देहाती भाषा में बात करते हो और मेरे साथ हिंदी में ऐसा क्यों?
भौजी: क्योंकि तुम्हें हिंदी अच्छे से समझ आती है|
भौजी की बात बड़ी साफ़ थी पर मेरा दिल कह रहा था की भौजी का रवैय्या मेरे प्रति कुछ अलग है| मुझसे वो बाकियों के मुक़ाबले बड़े अच्छे से बात करतीं थीं और ये मुझे ख़ास बनाता था|
 
मैं और भौजी उनके घर के आंगन में बैठे थे और बातें कर रहे थे की मुझे कल भौजी द्वारा किये उस चुंबन की याद आई, अब खुल कर कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी तो मैंने बात घुमा कर कहने की सोची; "भौजी मुझे नींद रही है, आप सुला दो ना!" ये कह कर मैं उनकी गोद में सर रख कर लेट गया और उम्मीद करने लगा की कम से कम इस बार वो मेरी बात समझ जाएँ| मैंने फ़ौरन अपनी आँखें मूँद ली और तभी मुझे भौजी गर्म साँस मेरे चेहरे पर महसूस हुई! भौजी ने मेरे चेहरे को बायीँ तरफ घुमाया और अपने गुलाबी होंठ मेरे दाएँ गाल पर रख दिए| पहले उन्हें मुझे केवल चूमा और इतने से ही मेरे जिस्म में हलचल शुरू हो गई थी| फिर भौजी ने धीरे से मेरे दाएँ गाल को अपने मुँह में भरा और उसे चूसा मानो जैसे कोई टॉफ़ी चूस रही हूँ और अंत में 'कच' से काट लिया| "सससस'....आह!" मेरे मुँह से दर्द भरी सीत्कार निकली जिसे सुन भौजी को एहसास हुआ की मुझे दर्द हुआ है और उन्होंने तुरंत मेरा गाल छोड़ दिया और उस पर से अपने रस को साफ़ किया और उसे धीरे-धीरे सहलाने लगी| मानो उन्हें दुख हो रहा हो की उन्होंने मुझे दर्द दिया है, पर ये दर्द तो दिल को मिलने वाले सूख के आगे कुछ नहीं था| कुछ ही सेकंड में मेरे चेहरे पर मुस्कराहट गई जिसे देख भौजी को तसल्ली हुई की मैं रोने वाला नहीं हूँ! अब शरारत कहो या मस्ती पर मैंने अपना बायाँ गाल भौजी को दिखा दिया जो ये दर्शा रहा था की मुझे इस गाल पर भी पप्पी चाहिए! मेरा बचपना देख भौजी हँस पड़ी और उन्होंने ठीक पहले की तरह मेरे बाएँ गाल को पहले चूमा, फिर चूसा और अंत में धीरे से काट लिया! इतने भर से मेरे जिस्म में तरंगें छूटने लगी थीं और मैं आँखें मूंदे इस सुख के सागर में गोते लगाने लगा था| गोते लगते-लगाते मैं नींद के आगोश में चला गया और फिर आँख सीधा शाम को 5 बजे खुली| मैं बाहर उठ कर आया तो देखा भौजी चाय बना रही है, मैं उन्ही के सामने बैठ गया और मुस्कुराते हुए उन्हें देखने लगा| भौजी मेरी मुस्कराहट का कारन जानती थी और वो भी मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं| वो पूरी शाम और रात मैं भौजी के साथ रहा और अब समय था सोने का और मेरा मन भौजी के साथ सोने का था| "भौजी आज रात मैं आपके पास सो जाऊँ?" बड़े भोलेपन से कहा और भौजी ने हाँ में गर्दन हिलाई| मैं सीधा माँ के पास दौड़ा और उन्हें बता कर भौजी के पास सोने उनके घर में आया पर वो वहाँ नहीं थी| मैं बाहर कर उन्हें ढूँढने लगा की तभी भौजी मुझे बड़े घर की तरफ से आती हुई नजर आईं| उन्होंने बताया की आज सब छत पर सोयेंगे और वो मुझे ही लेने आई थीं| मैं भौजी के साथ छत पर आया, वहाँ जमीन पर सबका बिस्तर लगा हुआ था| मैं अपने सोने की जगह तय करने में लगा था की तभी वहाँ माँ और बड़की अम्मा गए| "तू यहाँ क्या कर रहा है?" माँ ने पुछा तो मैंने बड़े भोलेपन से जवाब दिया; "मैं आज यहीं सोऊँगा!"
                            बड़की अम्मा और माँ दोनों बिस्तर के एक-एक किनारे पर लेट गईं और बीच में बची जगह पर हमें सोना था| मैं माँ की तरफ लेटा और भौजी बड़की अम्मा की तरफ, अब उनकी मौजूदगी में तो कुछ होने से रहा इसलिए मैं सीधा लेटा रहा| भौजी ने मेरी तरफ करवट ली और उनके चेहरे पर आई मुस्कान ये दर्शा रही थी की उन्हें मेरी हालत देख कर कितना मजा रहा है| उन्होंने अपना दाहिना हाथ मेरी छाती पर रख दिया और अपनी आँखें बंद कर ली| मैं भी सोने लगा पर चूँकि दिन में सो चूका था इसलिए नींद जल्दी आने वाली तो थी नहीं| मैंने लेटे-लेटे अपने और भौजी के बारे में सोचने लगा, इन कुछ ही दिनों में मैं और भौजी अच्छे दोस्त बन गए थे| उनके होते हुए मुझे अब किसी दोस्त की कमी नहीं होती थी, फिर उनका मुझे इस कदर प्यार से चूमना ये सब मेरे लिए सब कुछ था| तभी भौजी ने अम्मा की तरफ करवट ली और उनका हाथ हट जाने से मुझे उनकी कमी महसूस हुई| मैंने तुरंत उनकी तरफ करवट की और अपना हाथ उनकी गोरी-गोरी कमर पर रख दिया| मेरा स्पर्श पाते ही वो थोड़ा सिहर गईं और मेरी तरफ मुँह कर के देखने लगीं| मेरी आँखें उस वक़्त खुली थी तो जैसे ही उन्होंने मुझे देखा मैं मुस्कुरा दिया| भौजी ने वापस अम्मा की तरफ करवट ली और मेरा बायाँ हाथ जो उनकी कमर पर था उसे पकड़ कर अपनी छाती पर रख लिया| मुझे नहीं पता था की मेरा हाथ कहाँ पर है, मुझे तो अब नींद आने लगी थी इसलिए मैं सो गया|सुबह हुई और मैं जब उठा तो देखा की मैं अकेला ही छत पर सो रहा हूँ, मैं उठ कर नीचे आया और चाय पीने रसोई आया पर वहाँ चाय खत्म हो गई थी| सुबह-सुबह मामा-मामी आये थे और तब से वहाँ किसी बात पर बातचीत हो रही थी| मैं भौजी को ढूंढता हुआ उनके घर में आया तो वहाँ माँ, मामी, बड़की अम्मा और भौजी बैठे थे और बात कर रहे थे| मुझे देखते ही वो चुप हो गये और मामी जी उठ कर बाहर चली गईं| मैं जा कर माँ की गोद में बैठ गया और उनसे कहा की मुझे भूख लगी है| माँ ने मुझे दूध पिलाना शुरू कर दिया, पर पता नहीं क्यों भौजी मुझे हैरानी से देखने लगी
Reply


Messages In This Thread
RE: एक अनोखा बंधन - पुनः प्रारम्भ - by kw8890 - 07-12-2020, 08:49 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  A Fresh Perspective on Indian Live Sex and Live Porn India desiaks 0 13,568 03-13-2024, 01:53 PM
Last Post: desiaks
  Saali Adhi Gharwali - 2 ratanraj2301 1 14,156 03-12-2024, 11:57 AM
Last Post: volohan
Bug Jannath Ke Hoor's sashi_bond 0 3,628 02-29-2024, 12:54 PM
Last Post: sashi_bond
  महारानी देवरानी aamirhydkhan 211 332,844 12-20-2023, 03:29 AM
Last Post: aamirhydkhan
  गुलाबो Peacelover 19 29,724 12-04-2023, 06:42 PM
Last Post: Peacelover
Exclamation Meri sagi mom ki chudai-1 (How I became Incest) gotakaabhilash 6 46,130 12-02-2023, 01:36 PM
Last Post: gotakaabhilash
  दीदी को चुदवाया Ranu 101 530,325 11-27-2023, 01:13 AM
Last Post: Ranu
  Sach me Saali adhi Gharwali - Part 1 ratanraj2301 0 7,562 11-22-2023, 09:58 PM
Last Post: ratanraj2301
  Maa ka khayal Takecareofmeplease 25 234,521 11-08-2023, 01:58 PM
Last Post: peltat
  FFM sex series Part 1 सपना Popcorn 4 10,218 11-08-2023, 12:16 AM
Last Post: Popcorn



Users browsing this thread: 1 Guest(s)