RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
प्रेम अभी तक सोया हुआ था दिन पूरी तरह से निकल आया था (मैं सीमा को माँ और हरीश को बापु ओर दिया को दीदी कहकर बुलाऊंगा आगे की कहानी प्रेम की जुबानी)
माँ• दिया जाकर देख प्रेम अभी तक सो कर् उठा कि नही नही उठा तो जा कर उठा दे
दिया •प्रेम उठ देख दिन कितना निकल आया है आज खेत पर नही जाना है क्या तुझे मा बुला रही है
मैं• दीदी अभी सोने दो ना आज काम नही है बाद ने जाऊंगा| बापू काम पर गए क्या
दिया• हा बापू गए और माँ बुला रही है तुझे चल उठ अब । रामु आया था तुझे बुलाने के लिए कहि जाना है बोल रहा था (रामु प्रेम का दोस्त है)
मैं•मन मे मैं भूल कैसे गया आज तो दीपा से मिलने जाना था कल के लिए माफी जो मागनी है कही मा से बोल दी तो मा को बहुत कष्ट होगा ।
दीदी नास्ता तैयार कर दो कहि जाना है बहुत ही जरूरी है
दिया•कहा जाना है अब तो उठ भी नही रहा था और रामु का नाम सुनते ही बड़ी जल्दी है तुझे मैं कितना बार बोली कि उस कलमुहे से दूर रहआ कर पर तुझे तो मेरी बात सुनाइ कहा देती है तू क्या सोचता है कि मुझे पता नही है क्या की कल तेरे उसी कमीने दोस्त ने दीपआ का हाथ पकड़ा था और उसे गालिया भी दी थी ।मैन किसी तरह से उसे समझा कर भेज दिया कल पर अब तुम उसके पास व गए तो वो आकर बापू से बोल देगी उसके बाद क्या होगा वो तू भी जानता है
मैं•एक बार मुझे माफ़ कर दो मई आज से उस रामु से कोई दोस्ती नही रखूंगा
दिया •चल ठीक है इस बार तुझे माफ् किया अब जल्दी से चलकर नास्ता कर लो और दीपा से जाकर माफी मांग लेना वो दिल की अछि ह वो तुझे माफ् कर देगी
मैं उठ कर सौच से निविर्त हो कर मैं मा के पास जाकर बैठ गया म
मैं•मा मुझे नास्ता दो आज बहुत जल्दी में हु कुछ काम है
मा•बेटा तेरे बापू बोल कर गए है कि बाजार जाकर राशन लेते आये और दुकान वाले का हिसाब व कर दे
मैं•ठीक ह मा।(मन मे और रास्ते मे दीपआ मिलेगी तो माफी व मांग लूंगा )।
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