RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
वो आवाज किसी और कि नही ये मेरी दीदी थी जो नजाने कबसे हमारे पीछे खड़ी थी ।मैं यह तो भूल ही गया था हम दोनों इस्टीमे रास्ते मे खड़े थे और ये सब कर रहे थे ।तो किसी की भी नजर पड़ना स्वभाविक ही था। दीदी पूरे गुस्से में खड़ी थी हमे घूर रही थी और साथ मे उनके आंखों से अश्रु की धारा भी बह रही थी ।मुझे तो कुछ समझ मे नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ उधर दीदी पूरे गुस्से में चिलाती हुई पूछी
दीदी•प्रेम ये सब क्या कर रहा है तू तुझे मैंने एकबार माफ् किया तू फिर वही काम करने लगा और रण्डी तुझे क्या पूरे गांव का लैंड कम पैड गया जो तू अपने ही भाई के साथ ये सब करने लगी।
चम्पा • हा मैं तो रण्डी हु पर तु कौन सी दूध की धुली है और यह भाई तेरा होगा मेरा नही ।मैं कुछ भी कर तुझे क्या तू अपना काम कर औऱ जा यंहा से
दीदी इतना सुनते ही उनका पारा हाई हो गया और वी आगे बढ़कर चम्पा की गाल पर तमाचा जड़ दिया जिसके कारण उसके होठो से खून निकलने लगा।
चम्पा ने भी दीदी के गाल पर तमाचा जड़ दिया तो मेरा भी ग़ुस्सा फुट पड़ा मैन भी चम्पा के दोनों गाल पर तमाचा जड़ दिया और वह गिर गयी क्यूंकि दीदी को मैन दिल से अपनी बहन माना था क्यूंकि रिश्तो का क्या महत्व होता है ये हम जैसे अनाथ बहुत अच्छी तरह से जानते है ।
फिर मैंने दीदी के पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा तो दीदी ने कहा कि चल घर लेट हो रहे है माँ परेशान होगी।
मैं अब और भी ज्यादा परेशान हो गया क्यूंकि दीदी जल्दी किसी से गुस्सा नही होती और अगर एकबार किसी से गुस्सा हो गयी उन्हें मनाना बहुत मुस्किल है मै भी चुपचाप उनके पीछे घर को हो लिया ।
जब मैं घर पहुचा तो अंधेरा होने को था मा हम दोनों के लिए बहुत परेशान हो रही थी ।
मा• बेटा आ गया तो चल हाथ मुह धो ले इर मैं कहना लगा देती तू खाना खा ले ।
तब दीदी ने अंदर से ही अपने रूम में बैठी थी वही से बोली
दीदी •हाँ माँ इस सांड को खाना दे खाने के लिए तभी तो पूरे गांव में मस्ती करेगा ।
माँ ने जब दीदी के मुह से ऐसी बात सुनी तो वो दीदी पर गुस्सा होने लगी पर मेरी तो फटी पड़ी थी पता नही और आज क्या क्या बुरा होने वाला है ।
पहले दीपा से माफी मांगने गया तो उसने माफ् तो कर दिया पर मुझे एक दूसरी मुसीबत में दाल दी थी कि कल तक अगर उसका जवाब नही दिया तो वो अपने आप को कुछ कर लेगी ।मैन सोचा थी कि शाम को दीदी से इस बारे में बात करके कूछ जवाब दे दूंगा पर अब तो दीदी भी गुस्सा है मुझसे ।सब मेरी ही गलती ह आगर में चम्पा के साथ बहका नही होता तो दीदी मुझसे कभी गुस्सा नही होती । पहले चलो दीदी को मनाता हु फिर खाना खाएंगे
मैं• अभी भूख नही है बाद में खाऊंगा हा बापू काम से आ गए क्या ।
माँ•नही बेटा कभी उनके आने में थोड़ा समय है
मैं• ठीक है माँ मैं बापू के साथ ही खाना खाऊंगा तबतक दीदी के पास जा रहा हूं
मैं दीदी के कमरे में गया तो देखा कि दीदी अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी और शायद रो रही थी। मुझे यह देख कर बहुत बुरा लगा कि आज दीदी को मेरे कारण बहुत तकलीफ पहुची ।मैं जाकर दीदी के पास जा कर बैठ गया और दीदी से बोला
मैं•दीदी मुझसे गुस्सा ही क्या एक आखिरी बार मुझे माफ़ कर दो मई आगे से ऐसी कोउ गलती भी करूंगा
दीदी •प्रेम अभी तू यंहा से चला जा मुझे तुझसे की बात नही करनी है मैं तुझे कितना सरीफ समझती तू एसा निकलेगा मैं कभी सोच भी नही सकती थी।
मैं •दीदी प्लीज मुझे माफ़ कर दो अब ऐसी कोई गलती भी नही करूँगा ।
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