RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
दीदी •मुझे तेरी कोई बात नही सुननी है चुपचाप चला जा यंहा से। तू अभी जा और खा ले जाकर ।मुझे परेशान मत कर
मैं •दीदी मैं अपनी गलती मानता हूं आप जो भी सजा देंगी मैं उसे भुगतने के लिए तैयार हू पर आप इस तरह से नाराज मत हो ।
इतना बोलते बोलते मेरे आंखों से आँशु निकल पड़े। जिसे मैंने जल्दी से पोछ लिया फिर भी दीदी ने देख लिया और वह तड़प उठी ।उन्होंने तुरंत ही मुझे गले लगा लिया और बोली
दीदी •पागल तू रोता किस लिए है मैं तुझसे इसलिए नही नाराज हु तू ये सब क्यू करता है ( मन मे मैं तो इसलिए रो रही हु की मैं तुमसे प्यार करती हूं तो यह देख कर बुरा लगा)
मैं• तो फिर आप इसतरह से रो क्यों रही थी।
दीदी•मैं तो इसलिए रो रही थी कि मैंने तुझे डांटा।
मैं •तो दीदी आप मुझसे नाराज नही हो ।
दीदी •मैं तुझसे कभी नाराज हो सकती हूं भला
मैं• चलो ना दीदी आज मैं आपको अपने हाथों से खाना खिलाऊंगा तभी मैं मानूँगा की आपने मुझर माफ् कर दिया।
दीदी • (मन मे तू अपने हाथ से मुझे जहर भी खिला दे तो मैं वो भी खुशी से खा लुंगी)नही तू जा अभी मुझर भूख नही है मैं बाद में खा लुंगी।
मैं•तब तो मुझे पक्का यकीन है कि आपने मुझे माफ़ नही किया।
दीदी •तुझे मेरव खाने से अगर यकीन हो जाएगा तो मैं खुशी से चल तेरे साथ एक ही थाली में खाते है
फिर हम दोनों बाहर आये और दीदी ने जाकर खाना लाया और हम दोनों एक दूसरे को खाना खिलाने लगे। और दीदी मुझे देख रही थी और मैं उन्हें
हम खाना खा रहे थे इसीतरह एक दूसरे को खिलाते हुए तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ गए जब मैं इस परिवार का हिस्सा नही था और अनाथ आश्रम में रहता था वह पर हमें खाना के बदले काम करना पड़ता था एकबार मैं चोरी से रसोई से 2 रोटी चुरा लिया था तो आश्रम का रखवाली करने वाली अम्मा ने मुझे बहुत मार था। ।
अचानक दीदी नव मुझे छुआ तो मुझे लगा कि अम्मा फिर से मुझे मार रही है तो मैं दर कर चीख उठा मुझे मत मारो मैं दुबारा कभी रोटी नही चुराउंगा।
यह सुनाई दीदी तड़प उठी
दीदी •प्रेम ये तू कैसी बाटे कर रहा है को तुझे मरेगा तू ऐसा क्यों बोला की तू रोटी नही चुराएगा ।
तो मैंने दीदी को उस घटना के बारे में बता दिया क्या हुआ था मेरे साथ।
तब तक हम दोनों खाना खा चुके थे ।फिर हमने हाथ धोया और दीदी से बोला कि मुझे आपसे कुछ बात करनी है तो दीदी ने कहा कि
दीदी• अभी तो बापू के आने का समय हो गया है मैं बापू को खाना देने के बाद तेरे पास आउंगी तब बोलना जो व कहना हो अच्छा मैं जाती हु।
फिर दीदी वहाँ से चली गयी ।और में पूरे दिन के घटनाक्रम के बारे में सोचने लगा।जब भी दीपा के बारे सोचता तो मन एक अजीब से डर के मारे बैठा जा रहा था ।कही ना कही ये सच भी था मेरे यंहा रुकने का कारण दीपा ही थी मैं तो उससे पहली नजर में प्यार कर बैठा परन्तु कभी मेरी उससे कहने की हिम्मत ना हुई।
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