RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
मैं ये सब चुपचाप सुन रहा था क्यूंकि मैं यह तो समझ गया था किअब कोई भी मेरी बात का विस्वास नही करेगा।इसलिए मैं शांत होकर अपनी किस्मत पर रो रहा था किंतु मुझे यह विशवास था कि चाहे कोई मेरी बात का भरोसा कर या ना करे दीदी जरूर विश्वास करेंगी। बापू ने दीदी से कहा कि अब तू यंहा खड़ी हो कर क्या तमाशा देख रही ह चल घर।
दीदी •मैं इसके लिए किस लिए रोऊंगी।(भाई मैं ये जानती हूं तुम ऐसी गिरी हुई हरकत नही कर सकते इसमें जरूर कोई साजिश है मैं इसे पता लगाने के लिए मैं झूठ बोल रही हु मुझे माफ् कर दो)
और दीदी तुरन्त वंहा से चली गयी। तब प्रधान ने बोला
प्रधान•तो हरीश अब इसको कहा रखा जाए रात को।
हरीश•प्रधान जी मैं क्या बोलू अब आप ही बोले
प्रधान•ठीक है मैं इसे अपने घर के एक रूम में इसे बन्द कर देते है।
हरीश•ठीक है ।
प्रधान ने दो आदमी को बोलके मुझे अपने घर के बैठक में बने एक रूम में डलवा दिया मेरे हाथ पैर खोल दिये गए।मैं पूरी रात आने बीते हुए दिन जे बारे सोचने लगा । हमारे अनाथालय में एक लड़का थाजो बोलता था कि हम सब हरामी है दुनिया हमे कुछ दिन के लिए तो अपना सकती है पर हमारे ऊपर कोई व विश्वास नही करेगा।जब हमारे मा बाप ने हमे कूड़े में फेंक दिया तो दुनिया हमे क्या अपनाएगा। आज उसकी भक्त मुझे सच लग रही थी आज कोई भी मेरे ऊपर विश्वास नही कर रहा था बस कब केवल दीपा का सहारा था कि शायद वो मुझपर विश्वास करेगी।
अभी मैं यह सोच ही रह था कि मुझे दरवाजा खुलता हुआ दिखा शायद कोई रूम में आया था। मैंने देखा यह कोई और नही दीपा थी और वह रो रही थी। दीपा ने आकर मेरे पास बैठ गयी और बोली।
दीपा• तुमने ऐसा क्यों किया प्रेम अगर तुम्हें जिस्म की भूख थी तो एकबार मुझसे बोलकर तो देखा होता तुम जहा भी कहते मैं वहां आ जाती । जब मैंने तुम्हें शाम को बोली कि मैं तुमसे प्यार करती हूं तो बड़ी बड़ी बाटे कर रहे थे फिर ऐसा क्यू किया तुमने ।
मैं• दीपा मेरी बात का विश्वास करो मैन ऐसा कुछ भी नही किया मैं सच बोल रहा हु ।
दीपा •तुमने मेरे विश्वास की हत्या कर दी हैमेन शाम को भी दिखी थी कि कैसे तुम चम्पा से चिपके हुए क्या कररहे थे। मैं तुमसे मिलने के बाद घर गयी तुम्हारी दीदी कुछ काम से मेरे घर आई थी तो मैंने उन्हें बताया कि मैंने तुम्हें माफ् कर दिया है और मैं उनके साथ तुम्हारे घर को आरही थी तो देखा था।
मैं •दीपा माना कि मैं शाम को चम्पा के साथ बहक गया था मुझसे गलती हो गयी इस बात का तुम जो भी सजा दोगी मुझे मंजूर है पर मैं डाली के साथ कुछ भी नही किया उल्टे यह तो डाली और रामु की चाल है
दीपा•अब तुम अपना दोष दूसरे पर मत दो मैं तुम्हारे किसी भी बात का व
विश्वासW नही रहा।
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