RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
अभी यह सब बाते चल ही रही थी कि तभी डाली की माँ डाली के लिए खाना लेकर आई ।डाली की माँ नाम सुमित्रा था और इनकी उम्र लगभग 45 के आस पास थी ये बहुत ही सभ्य और धार्मिक विचारों वाली महिला थी उनका पूरा। समय घर की देखभाल और पूजा पाठ में ही बीतता था ।इनकी जीवन मे एक ही बात का दुख। था कि इनका बेटा रामु इनकी बात नही मानता था और उसकी शिकायते दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी।
सावित्री •बेटी कैसी है तू ठीक तो है ना कहि दर्द तो नही ह ना बेटी।
डाली•मा मुझे बहुत दर्द हो रही है पेट मे उसने मेरे पेट मे भी मारा था।
सावित्री• ला बेटी मैं मालिश कर देती हूं तुझे बहुत आराम मिलेगा।
औरत1 सावित्री बहन मुझे तुमसे कुछ बात करनी है तुम थोड़ी देर के लिए बाहर आओगी।
सावित्री •हा बहन चलो ।
फिर वो दोनो औरते ओर सावित्री बाहर आ गयी
औरत1•बाहें देखो मैं घुमा कर नही बोलूंगी मैं यह कहना चाहती हु की उस लड़के ने डाली के साथ कहि कुछ कर न दिया हो गए जाकर अगर कुछ हुआ तो तुम किसी को मुह दिखकने लायक नही रहोगी।
सावित्री•हा बाहें मैं भी यही सोचकर परेशान हु पर मैं कैसे पुछु यह बात नही समझ मे आ रही है
औरत2 •इसका हल है मेरे पास ।
सावित्री •क्या बहन।
औरत2 •मैं अपनी बेटी शीला को भेज देती हूं वो रात भर रूक भी जाएगी और इससे पूछ भी लेगी ।
औरत1•है इसकी बात भी सही है शिला डाली की सहेली भी है जिससे उसका दर्द भी कम होगी ।
सावित्री•ठीक है जैसा तुम उचित समझो करो मुझे तो कुछ बहु समझ मे नही आ रहा है।
औरत 2 •ठीक है बहन मैं भेज दिति हु जाकर नही तो वो भी सो जाएगी।
अब हम प्रेम के घर यानी कि दिया के घर चलते है।
सीमा (दिया और प्रेम की माँ)•मुझे तो थोड़ा भी यकीन नही हो रहा है कि प्रेम ऐसा भी कर सकता है मुझे लगता है ये कोई साजिश है ।
हरीश•कोई साजिश नही है वो था ही ऐसा ।
दिया•नही बापू आप सब उसे गलत समझ रहे है अगर उसके मन मे ऐसा कुछ भी होता तो वी आज शाम को प्रधान की बेटी दीपा के साथ बहुत कुछ कर सकता था पर उसने ऐसा कुछ भी नही किया ।जब दीपा शाम को उससे अपने प्यार का इजहार कर रही थी ।वो तो उसके साथ भागने को भी तैयार थी पर उसने ऐसा नही किया बल्कि उसे अपने अनाथ होने और गरीब होने का हवाला देकर मना कर दिया ।
यह बाटे सुन कर हरीश ओर सीमा दोनो के होश उड़ गए। दिया फिर बोलना सुरु की
दिया •प्रेम को अगर कुछ करना होता तो वो डाली के साथ नही दीपा के साथ कुछ कर चुका होता। उन्हें तो छोड़ो आप सब जब से उसे घर ले कर तबसे आज तक ना जाने कितनी बार आप दोनों मुझे उसके साथ घर पर अकेले छोड़ कर बाहर गए है।पर उसने कभी भी मुझे गंदी नजरो से नही देखा वी मुझे हमेशा बड़ी बहन के रूप में देखा।
इतना बोल कर दिया रोने लगी और रट हुए अपने रूम में चली गयी ।
हरीश •हा दिया भी ठीक कह रही है अगर आज की घटना को छोड़ दे तो उसने कोई व गक्त काम नही किया है।
सीमा•मैं यह सब कुछ भी नही जानती मुझे बस मेरा बेटा वापस चाहिए।
हरीश•सीमा बात को समझो अब कुछ भी नही हो सकता बो रँगे हाथ पकड़े गया है और रामु इस बात का गवाह है जबकि पूरा गांव जानता है कि रमु और प्रेम दोस्त है तो कोई दोस्त अपने दोस्त को क्यों फ़सएगा।
सीमा•ठीक है अगर कल प्रेम के साथ कुछ हुआ तो मैं भी घर छोड़ कर चली जाऊंगी।
इतना बोल कर सीमा भी चली जाती है । इधर डाली के पास शीला आ गयी थी और उससे सब पूछ कर सावित्री को बता दिया था कि कुछ हुआ नही है रामु समय पर पहुच गया था।
अब सबको सुबह का इन्तजार था जैसे ही शुबह हुई पूरे गांव के लोग प्रधान के घर आ गए थे बस उसमे 3 लोग नही थे जो कि ये मानते थे कि प्रेम ऐसा नही कर सकता 1 तो दीपा थी जो सब जानती थी और 2 उसकी माँ और बहन दिया
अब पूरे गांव के लोगो के आ जाने बाद प्रधान ने उसे घर से बाहर निकलवाया।
मैं•चाचा जी मेरी बात का विश्वाश करे मैने ऐसा कुछ नही किया।
प्रधान •चुफो जा वरना इतना मार खायेगा की उठना भी मुश्किल हो जाएगा
तब मैंने चारों तरफ निगाह उठा कर देखा तो मुझे ना ही माँ दिखाई दी और ना ही दीदी ।फिर मेरी निगाह दीपा को ढूढने लगी पर वह नजर नही आई अब मैं पूरी तरह से टूट गया और सोचा जब किसी को मुझपर विश्वास ही नही रहा तो अब जो हो जाये सब ठीक ही है।
फिर प्रधान ने नाउ बुलवाया ओर मेरे बल मुड़वा दिया गया और मेरे चेहरे पर कालिख पोत दिया गया ।तभी मेरी निगाह डाली और रमु पर पड़ी दिया तो कुछ उदाश दिख रही थी पर रामु खुश था हो भी क्यों नही अब उसका रास्ता साफ हो गया था पर अब मैं क्या कर सकता था कब बस अपना तमाशा बनते देख रहा था तभी मैने देखा रामु प्रधान जी कुछ बात कर रहा है फिर रमु दो आदमी को बाहर लेकर गया ओर दो टोकरे उनके सर पर रख कर लाया फिर वहां पर रख दिया गया मैन देखा कि वो टमाटर था पूरा दो टोकरे और रामु हश रहा था मन ही मन।
प्रधान •इसे इस पेड़ में बांध दो और इसकी आंखों में काली पट्टी बांध दो।
मेरे साथ ऐसा ही हुआ अब ना ही मैं हिल सकता था और न ही कुछ देख देख सकता ।। तभी मेंरे कानों आवाज पड़ी
आवाज 1•प्रधान जी अब क्या सजा है इसकी
प्रधान•अब पहले इसे तो टमाटर से मारो इसे फिर गधे पर पूरा गांव घुमाया जाएगा
यह सुन कर मैं अंदर से हिल गया
तभी मेरे ऊपर एक टमाटर पड़ा अभी मैं इससे संभला भी नही था कि मेरे ऊपर टमाटर की बरसात होने लगी यह बारिश करीब 5 मिंट तक चला जब यह बारिश शांत हुई टी मुझमे इतनी भी हिम्मत नही रही कि मैं खड़ा हो सकू
फिर मुझे खोल दिया गया और उसके बाद मेरी आँखों से पट्टी भी खोल दिया गया ।जब मेरी आँखें खुली तो मेेरे सामने अंधेरा अंधेरा था मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था परंतु कुछ देर बाद मुझे दिखाई देने लगा तो मैंने देखा कि अपने घर जे चार ओर दीपा खड़ी थी और रो रही थी और हाथ जोड़कर माफी मांग रही थी पर मुझमें अब इतनी हिमंत नही थी मैं ज्यादा देर तक ऊपर देख पाता मेरी नजरे नीचे की तरफ झुक गयी तभी मुझे एहसास हुआ कि कुछ लोग मेरे पास आ रहे है तो मैंने उधर देखा तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि उधर से लोग एक गधे को केजर आ रहे थे और उनके हाथ ने जूते चप्पल की माला थी फिर मेरी निगाह ऊपर गयी तो मुझे अब वंहा पर दीपा नही खड़ी थी शायद वह चली गयी थी मेरी दुर्दसा उसे नही देखा गया ।
फिर मुझे वो चप्पलो की माला पहना दी गयी और पूरे गांव ।के घुमाया गया।जब वी मेरे घर के सामने आए तो माँ मुझे इस हालत में देख कर बेहोश हो कर गिर गयी ।मुझे अपने ऊपर हर जुल्म कबूल था पर जब माँ बेहोश हुई तो मैं आने आपको रोक न सका और तुरन्त कूद कर मा के पास पहुच गया उसे उठा कर अंदर पहुचाया ।तभी मेरे सर पर पीछे से किसी ने डंडे स्व प्रहार किया पीछे न्यूड कर देखा तो वह कोई और नही मेरी दीदी थी मैं कुछ नही कर सका और बेहोश हो गया
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