RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
इस समय अनु इस बात के लिए बहुत सी पछता रही थी। वह चाह कर भी डोली के लिए कुछ भी ना कर सकी इसके लिए उसके मन में बहुत ही दुख था।
उसने अपने मन में क्या निश्चय कर लिया था कि अब चाहे जो भी हो जाए अब मैं डाली के साथ गलत करने वालों को चाहे वह उसका भाई हो या कोई और अब मैं उसे नहीं छोडूंगी।
परंतु उसे इस बात की खुशी थी कि उसके थोड़े से प्रयास के कारण एक बेगुनाह लड़के को रेप जैसे संगीन इल्जाम से मुक्ति मिल गई थी।
न्यू प्रधान जी से बोलती है कि
अन्नू- प्रधान जी आप चाहे जितना भी जोर लगा लो अब मैं उस लड़के को नहीं छोड़ने वाली हूं चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े और उसके साथ साथ रामू के जिन दोस्तों का जिक्र डाली ने अपने पत्र में किया है उन्हें भी नहीं छोडूंगी।
प्रधान- दरोगा साहिबा मैं भी एक बेटी का पिता हूं मैं या दुख समझ सकता हूं कि एक लड़की के रेप हो जाए और रेप करने वाला और कोई नहीं खुद उसके घर वाले हो तो उस लड़की पर क्या बीती होगी और वह किन हालातों में जीने को मजबूर हो गई इस दुख को समझ सकता हूं परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि डोली पूर्ण रूप से निर्दोष है। माना कि रामू में उसके साथ जोर जबरदस्ती किया और भी लोगों के साथ सोने के लिए मजबूर किया परंतु प्रेम के साथ जो कुछ भी हुआ है उसमें तो वह बराबर की भागीदार रही है प्रेम ने उसके साथ कुछ भी नहीं किया इसके बावजूद उसने प्रेम के ऊपर झूठा इल्जाम लगाया।
अन्नू- मैं मानती हूं कि इसमें डोली की भी गलती है परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि आप और आपके साथ प्रेम को सजा देने वाले लोग गुनहगार नहीं हैं माना कि यह पंचायत की अपने रूल हैं परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि आप लोगों को किसी को भी शारीरिक रूप से प्रताड़ना देने की छूट मिल गई है इसके लिए कानून है आपको कानून के पास जाना चाहिए था फिर उसमें जिसकी भी गलती निकलती उसे सजा दिया जाता।
यह सुनकर तो प्रधान जी भी सकते में आ गए उन्हें लगा कि कहीं वह भी कानून के पचड़े में ना पड़ जाए इस बात पर घबराते हुए बोले कि
प्रधान- उस समय हमें जो भी सही लगा हमने वही किया प्रेम को सजा देने की मर्जी सिर्फ मेरी ही नहीं पूरे गांव की थी
अनु- पर मैंने तो सुना है कि यह सजा अपने रामू के कहने पर दी है।
प्रधान- नहीं दरोगा साहिबा यह सत्य नहीं है यह झूठ है चाहे तो आप इसके बारे में किसी से भी पूछताछ कर सकती हैं।
अन्नू- इसके बारे में जो कुछ भी करना होगा वह तो मैं करूंगी इसके लिए मुझे कोई भी रोक नहीं सकता है यह बात आप अच्छी तरह से समझ लीजिए और हां आपको एक बात और बता दूं की प्रेम आज से और अभी से आप लोगों के साथ नहीं जा रहा है वह मेरी फ्रेंड ज्योति के साथ मुंबई जा रहा है।
उधर दिया के घर जहां अभी तक प्रेम रहता था वहां पर घर में काफी औरतों की भीड़ जुटी हुई थी सभी प्रेम को बुरा भला बोल रही थी यह कोई यह कह रही थी कि उसे इतना अच्छा परिवार मिला परंतु वह वह गुंडा और अनाथ था तो उसे परिवार कहां से रास आता तभी एक लड़का हॉस्पिटल से आता है जो गांव का ही था उसने वहां का सारा बात दीया और उसकी मां को बता दी और उसे यह भी बता दिया कि प्रेम अब कभी भी गांव नहीं आएगा उसे उसका परिवार मिल गया है और उसकी बड़ी दीदी जो कि आई हुई थी गांव में ज्योति वह उसे लेकर मुंबई जा रही है ।
यह सुनकर वहां पर कुछ लोग तो खुश हुए और कुछ लोग दुखी परंतु जब यह बात दीपा ने सुनी तो मानो उसके ऊपर पहाड़ ही टूट पड़ा उसे यह विश्वास है कि हो सके तो प्रेम की पापा और उसके पापा जब सच्चाई जाने तो प्रेम को जाने से रोके परंतु जब उसने पूरी बात सुनी और जब उसे यह पता चला कि मुझे वहां पर कोई नहीं रुका और वह शाम तक निकल जाने वाला है तो उसे बहुत ही दुख हुआ उसे लगा कि प्रेम से कभी नहीं मिल सकेगी जब उसने यह बात दिया से कहीं हमें एक बार चलकर प्रेम से जरूर मिलना चाहिए इस पर दिया बोलती है
दीया- तुमने सुना नहीं कि मेरे जाने से प्रेम की जान को और भी ज्यादा खतरा पहुंच सकता है मैं यह नहीं चाहती हूं कि प्रेम को कुछ हो मैं इस बात से संतोष कर लूंगी की मेरा भाई चाहे जहां भी है वह खुश है और अच्छा है भगवान ने एक बात और अच्छी की की उससे उसकी याददाश्त छीन ली नहीं तो वहां पर जाकर भी खुश नहीं रहता और उसे यहां की अच्छी और बुरी यादें दोनों सताती रहती जिसके कारण उसे और भी ज्यादा दुख होता और वहां पर रहना उसका मुश्किल हो जाता।
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