RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
हरीश:- देखिए आप सभी लोगों को मुझ से माफी मांगने की कोई भी जरूरत नहीं है अरे जब मैं ही अपने बेटे को नहीं पहचान सका तो आप लोग भी नहीं पहचाने और उसे गलत समझे तो इसमें आप लोगों की क्या गलती हो सकती है|
लेकिन इस बात को सुनकर डाली के पापा को शांति नहीं मिली उन्होंने फिर हरीश भाई से हाथ जोड़ कर बोलते हैं कि
डाली पा:- जब तक आप यह नहीं बोलेंगे कि आपने हम लोगों को माफ कर दिया तब तक डाली की लाश यहीं पर इसी हालत में पड़ी रहेगी और आज तो मुझे दो लोगों का अंतिम संस्कार करना है एक तो मेरी बेटी मर गई और आज के बाद मेरा बेटा भी मेरे लिए मर गया है डॉली का अंतिम संस्कार करने के बाद मैं अपनी पत्नी के साथ यह गांव छोड़ दूंगा और कहीं दूर जाकर बस जाऊंगा जहां पर मुझे उसकी परछाई भी ना पहुंच पाए|
अब इस बात पर हरीश बोलते हैं कि
हरीश:- मुझे डॉली और रामू से कोई भी शिकायत नहीं है और जहां तक रहा आप को माफ करने की बात तो आपकी तो कोई गलती भी नहीं है तो आप किस बात के लिए माफी मांग रहे हैं अगर आप यही बोलते नहीं कि हमारे माफ करने से आप डाली की अंतिम संस्कार करेंगे तो हम जरूर माफ करते हैं और रही बात आपके यहां पर रहने और नहीं रहने की तो यह फैसला आपका है इसमें कोई भी कुछ भी नहीं कर सकता है|
यह बोलकर हरीश अपने घर में चला जाता है और बाकी के लोग डाली के लाश को उठाकर डोली के घर चल देते हैं| हरीश घर में पहुंचता है तो देखता है कि सीमा एक तरफ बैठ कर रो रही है और दिया दूसरी तरफ बैठ कर रो रही है और दीया के पास दीपा भी बैठी हुई थी और वह उसे चुप कराने की कोशिश कर रही थी परंतु उसके आंखों से भी आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे तो हरीश ने बोला कि
हरीश:- तुम दोनों शांत हो जाओ तुम दोनों यह क्यों नहीं सोचती हो कि प्रेम जहां पर गया है वहां पर उसका अच्छे से इलाज हो जाएगा | चलो मान लेता हूं कि अगर मैं कुछ भी किसी तरह करके उसे यहां पर रोक लेता तो क्या हम उसका इलाज अच्छे से करा पाते तुम तो जानती हो कि मेरी जितनी पेमेंट है उसमें घर का खर्चा ही चल जाए तो ही बहुत है उसका इलाज हम कहां से करा पाते और उस पर से उसकी याददाश्त भी चली गई है इसमें तो और भी खर्चा लगेगा अगर उसे उसका परिवार मिल गया है तो वह वहां पर अच्छे से रहेगा और उसका इलाज भी अच्छे से हो सकेगा|
तुम दोनों का जब भी मन करेगा तो मुझे बताना मैं ले चल कर उससे तुम दोनों की भेंट करा दूंगा|
इसके बाद वहां पर कुछ देर के लिए खामोशी छा जाती है और फिर उसके बाद दीपा दिया से बोलती है कि
दीपा:- अच्छा तो दीदी मैं चलती हूं मैं बाद में आपसे आकर वेट करूंगी अभी मुझे भी कुछ काम है तो मैं बाद में आऊंगी फिर|
यह बोलकर के दीपा वहां से चली जाती है | जब वह अपने घर पहुंचती है तो देखती है कि वहां पर पिताजी के साथ कुछ और लोग भी बैठे हुए थे और वह लोग प्रेम के बारे में ही बातें कर रहे थे| दीपा उनकी तरफ ना जा फिर के सीधे अपने घर में चली जाती है और घर में पहुंचती है तो वहां पर भी वही हालत है बाहर पुरुषों की मंडली बैठी हुई थी और घर में औरतों की|
दीपा की मां जब दीपा को देखती है तो वह उसके अपने पास बुला कर उसे बैठा लेती है और बोलती है कि बेटी तुमने सुबह से कुछ खाया है कि नहीं |
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