RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
दीपा तो जैसे प्रेम के चले जाने के कारण एकदम भाव शून्य हो गई थी। वह अपनी मां की बातों का कोई भी जवाब नहीं दिया सिर्फ देखती रही अपनी मां की तरफ। सभी लोग तो अपना दुख व्यक्त कर रहे थे किंतु वह अपना दुख किस से कहें या उसे समझ में ही नहीं आ रहा था एक दीया ही थी जिसे वह अपनी सहेली या जो कुछ भी मांग लीजिए कह सकती थी किंतु अभी अपने भाई के दुख में परेशान है तो उससे अब मैं क्या कहूं। अभी दीपा यही सब सोच रही थी कि उसकी मां बोलती है कि
दीपा मोम:-क्या बात है बेटी कुछ तो बोलो भूख लगी है तो बताओ मैं अभी खाना लेकर आती हूं या कुछ और प्रॉब्लम है तो वह भी बताओ।
दीपा:-मां मुझे अभी भूख नहीं लगी है अगर मुझे भूख लगेगी तो मैं खाना खा लूंगी आप चिंता ना करें मैं भी जा रही हूं मुझे कुछ काम है।
दीपा की मां अपने मन में सोचती है कि बेटी चाहे तुम अपना दुख मुझे बताओ या ना बताओ किंतु मैं यह तो समझ सकती हो कि कोई भी अपना पहला प्यार इतनी जल्दी भुला नहीं सकता है क्योंकि मैं भी एक औरत हूं तो मैं एक लड़की की दूध को भलीभांति समझ सकती हूं वह भी इस हालत में जिस हालत में प्रेम यहां से गया है जब हम लोगों को इतना दुख हो रहा है तो तुम तो उससे प्यार करती थी तुम्हें कितना दुख हो रहा होगा।यही सब सोचते हुए उसकी मां की आंखों से आंसू आ जाते हैं और वह गांव की औरतों से बोलती है कि
दीपा मोम:+बहन मुझे क्षमा करना अभी मुझे जाना होगा मैं अभी और नहीं बैठ सकती हूं क्योंकि मेरी बेटी सुबह से कुछ भी नहीं खाई हुई है और प्रेम इसका अच्छा दोस्त था तो यह कल से ही उसे लेकर बहुत ही परेशान है नाइस में कल से कुछ खाया है और ना ही मैं कुछ खा पाई हूं तो अभी आप लोग मुझे क्षमा करें हम लोग कल बैठकर बातें करेंगे।
दीपा की मां की बातें सुनकर सभी लोग यह बोलती है कि कोई बात नहीं अभी आप अपनी बेटी को संभालिए हम लोग तो कल भी आकर मिल सकते हैं। बोलकर के गांव की सभी औरतें वहां से चली जाती हैं और दीपा की मां उन सब को विदा करके अपनी बेटी के कमरे की तरफ चल देती है ।
दीपा के कमरे में जाकर देखती है तो वह उल्टी लेटी हुई रो रही थी वह वहां पर जाकर उसके पास बैठ जाती हैं और उसके सर पर हाथ फेरने लगती हैं।
दीपा जब इस बात को महसूस करती है कि उसके पास उसकी मां बैठी हुई है जिसे उसने कल रात को ही प्रेम के और अपने बारे में सब कुछ बता दिया था तो वह बिना संकोच के सुबह से जो अपनी आंखों में आंसू रोके हुई थी वह फूट-फूटकर बहने लगता है और वह रोते हुए अपनी मां से बोलती है कि
दीपा:-मां इसमें मेरी क्या गलती है जो गलती मैंने की नहीं है उसकी सजा मुझे क्यों मिल रही है पहले तो उसने मुझे अपनाने से मना कर दिया यह बोलकर कि वह अनाथ है और मेरे पिताजी इस रिश्ते के लिए कभी भी हां नहीं करेंगे जब मैंने जिद की नहीं तुमने मुझे अपनाना ही पड़ेगा और उसे मैंने आज शाम तक का टाइम दिया था तो उसके पहले ही डाली ने और रामू ने मिलकर के उसकी यह हालत कर दी अब जब उसे उसका परिवार मिल गया तो उसकी बहन आकर उसे लेकर चली गई और उनकी बातों में मैंने यह महसूस किया कि जब मैं उनसे यह बोली कि अगर इसकी लाइफ में वहां पर कोई और आ गई तो मेरा क्या होगा तू मैंने देखा कि अनु दीदी और ज्योति दीदी दोनों ही एक दूसरे का मुंह देखने लगी थी मुझे कुछ गड़बड़ लग रहा है किंतु क्या मैं यह समझ नहीं पाई मुझे तो अभी तक यह भी समझ में नहीं आया कि अनु दीदी ने कैसे पहचान लिया कि वह ज्योति दीदी का भाई है।
दीपा मोम:-यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है कि अनु ने ऐसा क्या देख लिया जो वह तुरंत ही पहचान गई कि वह उसकी सहेली का भाई है। हां 1 मिनट मुझे एक बात याद आई तुम्हें याद है जब पिछली साल अर्पिता यहां पर आई थी तो वह प्रेम को देखकर के कैसे चौखूंटी थी वह भी तो मुंबई से है और ज्योति भी मुंबई की है कहीं ऐसा तो नहीं प्रेम का कोई भाई भी हो जो किसी के चेहरे का हो ।
द अभी यहां पर इन लोगों की ऐसी ही बातें चल रही रहेंगी हम चलते हैं थोड़ा प्रेम के घर यानी कि दिया के घर वहां पर हरीश और सीमा में किसी बात के लिए कहा सुनी हो रही थी और दिया कुछ दूर पर खड़ी होकर के इन दोनों लोगों की बातें सुन रही थी
हरीश:- तुम कहना क्या चाहती हो खुल कर बोलो तुम्हारी कोई भी बात मेरी समझ में नहीं आ रही है
सीमा:-मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहती हूं कि ज्योति जब आज मुझे हॉस्पिटल से दूर लेकर के गई थी तो जानते हैं वह क्या बोल रही थी।
हरीश:- जब तुम बताओगी तब तो मैं समझूंगा कि क्या बोल रही थी वह।
सीमा:- वह बोल रही थी कि आप लोग भी मुंबई आ कर रहे।
हरीश:-तो तुमने क्या जवाब दिया कहीं तुमने हां तो नहीं बोल दी हमारे पास इतने पैसे नहीं है कि हम लोग भी मुंबई जाकर रह सके उसके लिए पैसे चाहिए।
हरीश के बीच में ही बोल पढ़ने से सीमा भड़क उठती है और बोलती है कि
सीमा:-आप पहले पूरी बात सुनिए इसके बाद फिर कुछ बोलिए। वह वहां पर रहने के लिए हम लोगों को फ्लैट और घर के खर्चे चलाने के लिए आपके लिए एक दुकान खोलने की बात कर रही थी मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया था
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