RE: Kamukta kahani प्रेम की परीक्षा
हरीश:- क्या नहीं समझ पाई थी तुम मुझे बताओ मैं भी तो सुनो।
सीमा:-यही कि इसके लिए मैं क्या जवाब दूं।
हरीश:-चलो एक काम पर तुमने अच्छा किया कि इसके लिए तूने हां नहीं बोली अगर तू हां बोल देती तो हमारे लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता था।मैं उसके प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले सोच रहा हूं कि एक बार जाकर मैं खुद वहां पर सब कुछ देख लूं और उसके कहने के अनुसार अगर सब कुछ सही रहता है तो इसके बाद मैं तुम लोगों को वहां पर बुला लूंगा।
सीमा:-क्या हम लोगों का वहां पर जाना उचित रहेगा सभी लोग क्या बोलेंगे कि एक लड़के को माध्यम बनाकर यह लोग अपनी गरीबी को मिटाना चाहते हैं।
हरीश:-कहने वालों का क्या है करने दो कहने से हम किसी काम को रोक नहीं सकते हैं दुनिया में सभी लोग कुछ ना कुछ बातें बनाते ही रहते हैं तो क्या इसके लिए हम लोग जीना छोड़ दें।
सीमा:-नहीं मेरे कहने का मतलब यह नहीं था मैं यह कहना चाहती थी कि कहीं कोई उनके घरवाले या ना समझने लगेगी उन लोगों ने इसे जो 3 साल तक पालन पोषण किया कहीं हम लोग उसका है जाना तो नहीं मांग रहे हैं।
हरीश:-कोई भी ऐसा कुछ भी नहीं सोचेगा क्योंकि यह प्रस्ताव हम लोगों ने नहीं बल्कि ज्योति ने खुद ही कहा है तो हम पर कोई भी किस बात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता है कि हम लोगों ने पैसे की लालच के लिए यह सब किया हम लोगों ने जब उसे गोद लिया था तो कोई यह थोड़ी जानता था कि नहीं यह बहुत बड़े आदमी का खोया हुआ बेटा है और इसे अचानक ही इसका परिवार मिल जाएगा।
इन दोनों लोगों की इस तरह बहस में यह बात पर पहुंचे कि पहले हरीश वहां पर जाकर देखेगा अगर उसे सब कुछ ठीक लगा तो फिर हम लोग ज्योति से बात करेंगे और वहां पर रहने के लिए आएंगे।
इधर अन्नू के घर पर ज्योति नहा धोकर की फ्रेश होकर अनु की मां से बैठकर बातें कर रही थी और अनु अपने रूम में तैयार हो रही थी तो उसने ज्योति को फोन करके अपने रूम में बुलाया और ज्योति से बोली कि
अन्नू:-तो तुम बताओ आज तुम क्या करोगी टिकट करा दें या कल जाओगी।
ज्योति:-नहीं यार मैं सोच रही थी कि कल ही जाऊं क्योंकि मैं सोच रही हूं कि एक बार यहां पर जाने से पहले मैं दिया और उसके परिवार को मिलकर धन्यवाद बोल सकूं और उनसे इस बात का भी पूछ लो कि उन लोगों ने क्या फैसला किया है वह लोग मुंबई आ कर रहेंगे या नहीं रहेंगे कहीं वह लोग ऐसा ना सोचने लगे कि मैं यह बात को बोल करके भूल गई हूं।
अन्नू:-ठीक है जैसी तेरी मर्जी मैं भी यही सोच रही थी कि तेरे जाने से पहले अगर तू एक बार प्रेम के घरवालों से मिलकर बात कर लेते तो अच्छा होता वैसे भी मुझे दीया और शालिनी को एक जगह बैठा कर कुछ पूछताछ करनी है यह बात उसकी दीदी के रूप में पूछेंगे तो शायद वह मना कर दे या नहीं बताएं इसलिए मैं सोच रही हूं कि दोनों को एक साथ बैठा कर पूछा जाए कि आखिर ऐसा क्या हुआ था ओके कैसे इन सब की जान बचाई थी जिस बात की जानकारी अभी तक मुझे भी नहीं हो सकी है।
ज्योति:-हां यार उस समय मेरा दिमाग कुछ थका हुआ था तो मैं भी शालिनी बातों पर कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाई थी उस टाइम पर किंतु बाद में जब मैंने उसकी बातों पर गौर किया तो मुझे समझ में आया कि 3 साल पहले कुछ ना कुछ ऐसा हुआ था जिसकी जानकारी शायद तुम्हें भी नहीं है।
यह बात सिर्फ तीन लोग जानते हैं । 2 लोग तो यहां पर हैं जिसमें से एक कुछ बताने की हालत में नहीं है और जो इस बात को बता सकती है मुझे नहीं लगता है कि वह कुछ बताएगी इसलिए इससे यहां पर पूछना तो बेकार है हां अगर तुम दोनों लोग से पूछताछ करोगी तो शायद कुछ पता चले।
अन्नू:-चल ठीक है तो फिर यह बात फिक्स रही कि कल हम लोग फिर प्रेम के घर चलेंगे पर प्रेम को साथ लेकर नहीं सिर्फ हम दोनों लोग चलेंगे हां शालिनी को साथ लेकर चलते हैं और उसे और दीया को एक जगह बैठा करके पूछताछ करेंगे जो बातें हुई उसका खुलासा वहीं पर हो जाएगा अभी तो मुझे कुछ काम है इसलिए मैं स्टेशन जा रही हूं हां तू आराम कर मैं तुमसे कुछ देर बाद आ करके मिलती हूं।
इतना बोल कर के अनु वहां से चली जाती है और वह इस समय वर्दी में थी जिससे यही लग रहा था कि वह कहीं और ना जा करके रामू से पूछताछ करने के लिए ही जा रही थी।
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