RE: Incest Porn Kahani चुदाई घर बार की
बिल्लो और फरजाना
घर पहुचने तक मैं अबू और बाजी के बारे मैं ही सोचता रहा की वो अभी क्या कर रहे होंगे लेकिन सिर्फ़ सोच ही सकता था कर कुछ नहीं सकता था और इन्ही सोचों मैं घर पहुँच गया
घर आते ही मैं सीधा रूम मैं जा लेता उस के बाद दोपहर का खाना भी रूम मैं ही खाया और फिर से लेट गया अपनी आखें बंद किए और अपनी लाइफ मैं आने वाली तब्दीली के बारे मैं सोचने लगा की मैं क्या से क्या बन गया हूँ
तभी मुझे अपने रूम मैं हल्की सी आहत महसूस हुयी तो मैं झट से अपनी आँखों को खोल के देखा तो फ़रीदा बाजी नज़र आईईईईई जो की मेरे बिलकुल पास ही अपना सर झुका के खड़ी अपनी फिंगरस को मरोड़ रही थी
मैं फ़रीदा बाजी को इस तरह अपने पास खड़ा देख के जल्दी से उठ बैठा और बोला बाजी आप यहा इस वक़्त खैर तो है ना बाजी....
अपना सर उठा के मेरी तरफ देखा और भीगी आवाज़ मैं बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझे माफ कर दो
मैं... क्यूं बाजी आप किस बात के लिए माफ़ी माँग रही हो भला आप ने कोई ग़लती थोडा ही की है
बाजी.... पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई जो कुछ मैने उस दिन देखा था मुझे उस से शक़ हुआ तो मैने अम्मी को बोल दिया जो की मुझे नहीं बोलना चाहिए था मैं.. नहीं बाजी आप ने बहुत अच्छा किया
जो अम्मी को ये बोल दिया की मेरा अपनी ही बड़ी बहन के साथ चक्कर है
बाजी... मेरी बातों से रोने लगी और फिर मेरे पैरों की तरफ चारपाई पे बैठकर अपने हाथ मेरे पैरों पे रख दिए और बोली पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ भाई मुझ से ग़लती हो गई मुझे माफ कर दो मैं आज के बाद ऐसी कोई ग़लती नहीं करुँगी बस भाई एक बार माफ कर दो
मैं....बाजी के हाथ अपने पैरों से हटा ते हए बाजी से बोला पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़ बाजी आप ये क्या कर रही हो छोडो मेरे पैरों को मैने आप को माफ कर दिया है और मैं आप से गुस्सा भी नहीं हूँ
बाजी.... मेरी बात सुनके के सर उठा के मेरी तरफ देखते हो बोली सच भाई तुम अब मेरे साथ गुस्सा नहीं हो और तुम ने मुझे माफ भी कर दिया है
मैं.... हाँ मैं सर हिलाते हो बोला जी बाजी अब मैं आप से नाराज़ नहीं हूँ लेकिन दोबारा अगर कोई बात आप को नज़र आती है तो आप मुझे एक बार बात ज़रूर कर लेना कहीं ये ना हो की बिना किसी बात के फिर से बतंगद बन जाए और हल्का सा हँसने लगा
मेरी बात सुनके के बाजी का फेस खुशी से चमक उठा और फिर बाजी अचानक ही मेरी तरफ खिसकी और फिर मेरे सीने से लग गई जिस से बाजी के बूबस मेरे सीने से प्रेस होने लगे और बाजी के बूबस को महसूस करते ही मेरा लंड भी सलवार के अंदर झट्के ख़ाता हुआ खड़ा होने लगा
अब जहाँ बाजी के बूबस का मेरे सीने से रग़ाद खाना मुझे मज़ा दे रहा था और ऊपर से बाजी जो मेरे गालों और सर पे किस भी कर रही थी और साथ ही ओह मेरा सोहना भाई कितना अच्छा है वहीं मेरे लंड के खड़ा होने से भी मुझे परेशानी हो रही थी की अगर बाजी को इस अगर मेरे लंड के खड़ा होने का एहसास हो गया तो बाजी को कितना बुरा लगेगा
खैर थोड़ी देर मुझे लीपेट के प्यार करने के बाद बाजी मुझ से अलग हो गई और फिर खड़ी हो के मेरी तरफ देख के मुस्कुराते हो रूम से निकल गई तो मेरी रुकी हुयी साँस बहाल हुयी
उस के बाद बाकी सारा दिन और रात कोई ख़ास्स बात नहीं हुयी और हम लोग रात का खाना खा के अपनी अपनी जगह पे जा क सोने क लिए लेट गये सुबह मेरी आँख खुली तो अबू शहर जाने की तैयारी कर रहे थे और वहीँ फरी की भी तबीयत कुछ खराब थी तो फ़रज़ाना फ़रीदा के साथ खतों मैं चली गई क्यूं की भेंसों का चारा तो अबू बना के रख आए थे लेकिन उन को चारा डालना और पानी पीलना भी था
अम्मी घर पे ही रुकी थी घर के कामो के लिए मैं भी उठ के नहा धो के नाश्ते से फारिघ् हुआ तो तब तक अबू भी शहर क लिए निकल चुके थे तो मैं बाजी के पास चला गया और बाजी के पास बैठ क बोला क्या हुआ
बाजी आप को तबीयत क्यूं खराब हो रही है बाजी मेरी बात पे हल्का सा हंस पड़ी और बोली कामीने कल तुम्हारे बाद अबू ने भी तो एक बार किया था ना इसी लिए मेरा जिस्म काफ़ी थका हुआ है तो सोचा की क्यूं ना आज घर पे ही आराम किया जाए
मैं बाजी की बात सुनके के थोडा मुह बनाते हो बोला तो लगता है आज का कुछ नहीं होने वाला है
बाजी ने कहा हाँ भाई आज सच मैं दिल नहीं कर रहा किसी भी काम के लिए तो मैने बाजी के सर पे हल्की सी किस कर उठा और अपने रूम मैं आ गया और एक नॉवाले निकल के पढ़ने लगा
कोई 10.30 पे पारीदा बाजी घर आ गई तो मैने कहा क्यूं बाजी क्या बात है आप इतनी जल्दी घर क्यूं आ गई तो फ़रीदा बाजी ने कहा भाई वो काम तो ख़तम हो गया है
मैने सोचा की चलो खाना ही ले आती हूँ
मैने कहा बाजी आप ऐसा करो आप घर पे ही रहो खाना मैं ले जाओंगा आप 5 6 बजे तक आराम कर के खेतों मैं आ जाना तो बाजी ने हाँ मैं सर हिला दिया और बोली चलो ठीक है भाई वैसे तो वहाँ अब कोई काम नहीं है और अगर हुआ भी तो
फ़रज़ाना है ना वहाँ
उसके बाद कोई 11.30 पे मैं घर से खाना ले के निकला और खेतों की तरफ चल दिया तो जब मैं खेतों के करीब पहुँचा तो मुझे ट्यूबवेल के चलने की आवाज़ सुनाई देने लगी तो मुझे बड़ी हेरनी हुयी की ये कों ट्यूबवेल चला के बैठा है तो अचानक मेरे दिमाग मैं आया की हो ना हो ये फ़रज़ाना ही होगी जो की नहा रही होगी और ये सोच आते ही मेरे पुरे जिस्म मैं सनसनाहट सी होने लगी
मैं तेज़ तेज़ चलने लगा और जब मैं ट्यूब वाले के पास पहुँचा तो वहाँ जो नज़ारा था उसे देखते ही मेरा लंड झट्के से खड़ा हो गया क्यूं की वहाँ फ़रज़ाना अपनी सहेली बिल्लो के साथ सिर्फ़ ब्रा और पनटी मैं नहा रही थी और मस्ती कर रही थी
मैं वहीं खड़ा होके उन दोनो की जवानी भर मस्त आधे नंगे जिस्मों को घूरने लगा तो तभी फ़रज़ाना की नज़र भी मुझ पे पड़ी और उस का फेस सफ़ेद पड़ गया और वो झट पानी से निकल के रूम की तरफ भागी और मैं उस के हिलते चुत्तडों को देख के अपने लंड को मसालने लगा तो तभी मुझे बिल्लो की आक्ख़्हू ओउन्न्ं की आवाज़ आयी जो की
उस ने मुझे अपनी तरफ तवजू दिलाने के लिए किया था मैने बिल्लो की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख क हल्का सा मुस्कुरा रही थी जिस से मुझे काफ़ी शरम भी आयी तो मैं वहाँ से वापिस मौड़ने ही लगा था की बिल्लो ने मुझे आवाज़ दी और बोली विक्की भाई क्या मैं आप को अच्छी नहीं लगी जो आप नज़र चुरा के जा रहे हो
मैने उस की तरफ देखे बिना ही कहा...वो तुम कपड़े पहाँ लो मैं फिर आ जाता हूँ तो बिल्लो ने कहा
क्यूं विक्की भाई क्या हुआ इतना क्यूं शर्मा रहे हो अभी आप फ़रज़ाना को तो बड़ा घूरते देख रहे थे मैं बिल्लो की बात सुनके के झट्के से सर उठा की बिल्लो की तरफ देखते हो बोला न...नहीं.. वो तो बस ऐसे ही कोई ख़ास नहीं
अभी मैने इतना ही बोला था की फ़रज़ाना कपड़े वहाँ से बाहर निकल आयी और बिल्लो की तरफ देखते हो बोली जाओ कपड़े बदल लो तब तक मैं भेंसों को देख के आती हूँ और दूसरी तरफ निकल गई
फ़रज़ाना के जाते ही बिल्लो बड़ी अदा से पानी से निकली और रूम की तरफ चल दी और रूम के दरवाजे मैं खड़ी हो के मेरी तरफ पलटी और मुझे देख के मुस्कुराती हुयी रूम मैं चली गई लेकिन दरवाजे पूरा खुला ही रहने दिया
बिल्लो की तरफ से इतने इशारो के बाद मैने थोड़ी हिम्मत की और रूम से ज़रा फ़ासले पर ही लेकिन ऐसी जगह पे जा के खड़ा हो गया की मुझे बिल्लो रूम मैं खड़ी अपनी ब्रा खोलती सॉफ नज़र आने लगी
बिल्लो ने ब्रा उतार के मेरी तरफ देखा और कुछ ऐसे खड़ी हो गई जैसा की मुझे अपने पूरे बूबस अच्छी तरह दिखना चाहती हो ,
कुछ देर मुझे अपने बूबस दिखाने के बाद अपनी पनटी की तरफ मुतवाजे हुयी और उसे भी निकल के फैंक दिया और मेरी तरफ देख के मुस्कुराने लगी
बिल्लो को इस तरह खड़ा देख के मेरा लंड फटने तक आ गया था की तभी मुझे फ़रज़ाना की आवाज़ सुनाई दी जो की बिल्लो को ही आवाज़ लगाते हुयी हुमारी तरफ चली आ रही थी तो मैं जल्दी से वहाँ से हटा और ट्यूबवेल के पास जा खड़ा हुआ और बिल्लो ने भी फ़रज़ाना की आवाज़ क्यूं की सुनके ली थी तो उस ने भी जल्दी से आगे बढ़ के दरवाजे बंद कर दिया और तभी फ़रज़ाना भी वहाँ आ गई
फ़रज़ाना के आने और बिल्लो के कपड़े बदल के आने के बाद हम ने मिल के खाना खाया और तो
बिल्लो फ़रज़ाना की तरफ देख के बोली अच्छा यार मैं तो अब चलती हूँ और घर की तरफ निकल गई
बिल्लो के जाने के बाद मैं अब इस सोच मैं पड़ गया की आख़िर किस तरह बिल्लो को अपने नीचे
लाया जाय
मैं बैठा बिल्लो के बारे मैं ही सोच रहा था की तभी मुझे अखुऊन्णन की आवाज़ सुनाई दी और मैने जब चौंक के देखा तो वो फ़रज़ाना ही थी जो मेरे सामने ही चारपाई पे बैठी मेरी तरफ देख के मुस्कुरा रही थी
मैं... हाँ क्या बात है इस तरह दाँत क्यूं निकल रही हो फ़रज़ाना ...
नहीं भाई बस मैने ये पूछ ना था आप से की अगर आप यहाँ रूकोगे तो मैं घर चली जाती हूँ मैं... थोडा सोचते हो बोला हाँ ठीक है तुम जाओ
लेकिन घर जा के बाजी फरी को भेज देना क्यूं की शाम को भेंसों का दूध भी निकलना है मुझ से तो निकाला नहीं जाता तो बाजी को ही भेज देना
फ़रज़ाना... चारपाई से उतार गई और बर्तन उठा के घर की तरफ चल पड़ी और थोडा आगे जा के
मेरी तरफ मुड़ी और एक सेक्सी स्माइले देते हो बोली भाई अगर आप कहो तो बिल्लो को ही भेज दूँ वो दूध ठीक से निकल देगी और हहेहेहहे कर के भाग गई
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