RE: Incest Porn Kahani चुदाई घर बार की
खैर खाना खाने के बाद अम्मी ने बर्तन उठाये और घर को चली गई तो अबू ने मेरी तरफ देखा और बोले विक्की बेटा मेरा ख्याल है की हुमारे दरमियाँ अब जैसा की कोई परदा नहीं बचा है तो हम दोनो को हर बात एक दूसरे के साथ ज़रा खुल के कर लेनी चाहिए क्या ख्याल है
मैने बाजी की तरफ देखा और उस के बाद अबू की तरफ देख के हाँ मैं सर हिला दिया और बोला जी अबू जैसा आप मुनासिब समझाईं
अबू... फरी की तरफ देखते हो बोले बेटी तुम ज़रा भेंसों को देख आओ और उन्हें पानी भी पीला के आना
फरी...जी अच्छा अबू कहते हो वहाँ से उठी और भेंसों की तरफ चली गई
अबू... विक्की अभी तुम्हारी अम्मी जब खाना ले के आयी थी तो उस ने मुझे अलग साइड मैं कर के जो बात की है वो मैं तुम्हारे साथ साझा करना चाहता हूँ क्यूंकि अब हमें जो भी करना है सोच समझ के करना है
मैं... क्या मतलब अबू मैं समझा नहीं आप की बात अम्मी ने क्या बात की है आप के साथ
अबू...बेटा तुम्हारी अम्मी को हम पे यक़ीन की हद तक शक है के मैं तुम और फरी का आपपीस मैं कोई ना कोई चक्कर है और जिस तरह तुम्हारी मा ने मेरे साथ बात की है मुझे लगता है के उसे हुमारे इस तालूक़ पे कोई भी प्राब्लम नहीं है बल्कि वो कुछ और ही चाहती है
मैं... अबू अब जब के हम लोग खुल के बात कर रहे हैं तो मेरा ख्याल है की आप पूरी बात करो इशारों मैं नहीं
अबू.... ठंडी साँस लेते हो बोले बेटा हुमलोग जो कुछ कर रहे हैं उस का तुम्हारी अम्मी को पता चल चुका है और ये बात उन्हें बिल्लो से ही पता चली है और जिस अंदाज़ से तुम्हारी अम्मी ने बात की है मुझे लगता है की वो भी इस खेल मैं हुमारे साथ मिलना चाहती है और तुम्हारे मोटे लंबे लंड से चुदना चाहती है वो जो उसकी बरसो की तमना है
मैं... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोला लेकिन अबू ये किस तरह हो सकता है
आख़िर वो मेरी अम्मी है उन के सामने या उन के साथ मैं ये सब किस तरह कर सकता हूँ
नहीं अबू पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ये नहीं हो सकता
अबू... देखो बेटा पहली बात तो ये है के जब तुम ने फरी को मेरी तरफ मायल किया था चुदाई के लिए तो क्या तुम नहीं जानते थे की मैं उस का बाप हूँ और
अगर मैं बाप हो के अपनी ही सग़ी बेटी को चोद सकता हूँ तो तुम्हें क्या मसाला है और फिर जब तुम खुद भी अपनी अम्मी के बूबस और गांड को घूरते रहते हो तो तुम्हें तो खुश होना चाहिए
मैं... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोला वो सब तो ठीक है अबू लेकिन मैने फरी बाजी को आप के साथ सेक्स के लिए नहीं बोला था बल्कि ये उन की अपनी मर्ज़ी थी बस मैने बाजी को मना नहीं किया था
अबू... अच्छा चलो छोडो क्या हुआ था या क्या नहीं अब बात ये है के तुम्हारी अम्मी भी अब हुमारे साथ मिल के मज़ा करना चाहती है तो अब तुम बताओ क्या करना है क्यूंकि इस मैं मेरे और फरी के साथ तुम्हारा भी फाइयदा है सोच लो
मैं... कैसा फाइयदा अबू
अबू... यार सोचो अगर तुम्हारी अम्मी भी हुमारी पार्ट्नर बन गई तो हम किसी भी वक़्त और किसी भी जगह मज़ा कर सकते हैं कोई दर नहीं कोई टेन्सन नहीं बस मज़े ही मज़े होंगे
मैं... सर झुका के बैठ गया और सोचने लगा के क्या मेरा अपनी मा के साथ ऐसा करना ठीक होगा
वो मा जिस की कोख से मैं पैदा हुआ था जिस ने मुझे पाला पोसा था और जवान किया था तो तभी मेरे अंदर से दिल की आवाज़ आयी क हाँ मुझे अपनी मा की खुशी को पूरा करना चाहिए
उसे मोटे और जवान लंड की जरूरत है. जैसा की अब्बू ने कहा, और अब्बू का लंड तो बहुत छोटा सा है .
और ये सोच आते ही मन मैं सकून हो गया था
वहीं मेरा ध्यान अपने लंड की तरफ गया जो की अम्मी की चुत का सोच के ही पागल हो के मचल रहा था
अबू मेरे फेस से ही समझ गये के अब मुझे इस पे कोई ऐतराज़ नहीं है तो अबू ने कहा के ऐसा करो तुम आज रात खाना खा के अपनी अम्मी के साथ यहाँ आ जाना और रात को पानी लगाने के बहाने यहीं रुक जाना ठीक है
मैने अब भी सर नहीं उठाया और खामोश बैठा रहा तो अबू हल्का सा हंस दिए और बोले यार क्या बात है तुम तो ऐसे चुप बैठे हो जैसे मूह मैं ज़ुबान ही नहीं है तुम्हारे
मुझे देखो मैं भी खुश हूँ जिस की बीवी की आज रात तुम ठुकाई करोगे और
तुम्हारी अम्मी भी तुम्हारे मोटे लंड से चुद के खुश हो जाएगी...... कब तक मेरे मतले लंड से चुदती राहगी और हाहाहा कर के हंस दिए
अबू की बात सुनके के मुझे थोडा होसला हुआ और मैने अबू की तरफ देखते हुए कहा लेकिन अबू मैं अम्मी के साथ ये सब किस तरह कर सकोंगा नहीं अबू
पल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ कुछ और सोचिये मैं आप को मना नहीं कर रहा लेकिन फिर भी आप खुद ही सोचिये के मैं किस तरह ये सब
अबू ने ने हंसते हो कहा यार परेशान क्यूं हो रहे हो सब ठीक हो जाएगा
कोई परेशानी की बात नहीं है बाकी मैं खुद समझा दूँगा तुम्हारी अम्मी को कोई मसाला नहीं होगा वो ही ...करेगी ....
उस के बाद हम दोनो वहाँ से उठे और मैं चारपाई पे जा के लेट गया और रात के बारे मैं सोचने लगा और अबू जा के अपने काम मैं लग गये और मैं इन सब सोचों मैं ही गुम सो गया और कब मेरी आँख लगी कोई पता नहीं चला और जब आँख खुली तो शाम हो चुकी थी मैं उठा और नहा के बाजी और अबू के साथ ही घर की तरफ चल दिया और घर आ के थोड़ी देर सब ने गुप शुप की और फिर खाना खाया और
उस के बाद अम्मी के साथ मैं फिर से खेतों की तरफ चल दिया
खेतों मैं पहुँच के अम्मी ने पहली बार मेरी तरफ देखा और बोली विक्की कहाँ है तु
यहाँ बाहर ही बिस्तेर . दूँगा या फिर रूम मैं ही बिस्तेर लगाऊ तुम्हारे लिए
मैने अम्मी की तरफ देखा और अम्मी को . देख के बोला जहाँ आप का दिल चाहे लगा दें बिस्तेर ही तो है जहाँ भी जगह मिलेगी सो लूँगा
अम्मी ने कहा हाँ ये भी ठीक है लेकिन मेरा ख्याल है की हमें रात को रूम मैं ही ..... चाहिए बाहर नहीं
मैने सर झुका के बस इतना ही कहा जी अम्मी जैसे आप की मर्ज़ी तो अम्मी भी और कोई बात किए बिना रूम मैं चली गई और जल्दी ही वापिस आ के बोली बेटा जाओ मैने बिस्तेर बिछा दिया है जा के लेट जाओ मैं थोडा काम है वो . कर के आती हूँ
मैं चुप कर के रूम मैं चला गया जहाँ अम्मी ने . बिस्तेर नीचे ही एक चटाई पे . बिछा के रखा था
मैं एक पे अपने सर के नीचे रख और अपनी क़मीज़ उतार के लेट गया और सोचने लगा की आख़िर मैं किस तरह अम्मी के साथ कर सकूंगा क्यूंकि मैं जितना मर्ज़ी हिम्मत कर लेता अम्मी के साथ नहीं कर सकता था
खैर अम्मी भी कोई 30 मिनट बाद वापिस आयी और मुझे लेटा देख के मेरे पास ही बिस्तेर पे बैठ गई और बोली बेटा मैने अपना बिस्तेर भी यहाँ तुम्हारे साथ ही लगा लिया है तुम्हें कोई ऐतराज़ तो नहीं
मैने अम्मी की तरफ देखा और बोला अम्मी आप ऐसे क्यूं बोल रही हो आप का जहाँ दिल चाहता है आप लेट जाओ अगर आप यहाँ मेरे साथ . चाहती हैं तो भी आप सो जाओ मैं क्यूं मना करू गा
अम्मी मेरे साथ ही लेट गई और थोड़ी देर तक चुप रही और फिर मेरी तरफ . बदल के बोली बेटा क्या तुम्हारी कोई शहर मैं भी किसी लड़की के साथ . हुयी थी या अभी तक कोई . ही नहीं
मैं समझ गया के ये बातें अम्मी बात को आगे . के लिए कर रही हैं तो मैं भी अम्मी की तरफ . बदल कर लेट गया और बोला कहाँ अम्मी भला मैं इतना . थोडा ही हूँ क कोई लड़की मेरे साथ . करती
अम्मी मेरी बात . ही मुस्कुरा दी और मेरी आँखों मैं देख के बोली क्यूं इतना . तो है मेरा बेटा क्या शहर की लड़कियाँ . हैं जो उन्हें मेरा बेटा . ही नहीं . आता
अब मैं क्या . सकता हूँ अम्मी के उन्हें मैं कैसा नज़र आता हूँ ये तो वो लड़कियाँ ही बता सकती हैं
अम्मी ने अपना एक हाथ मेरे ऊपर रखा और साथ ही मुझे अपनी तरफ खींच लिया जिस से अम्मी के बूबस मेरे साथ . होने लगे तो अम्मी ने मेरे सर को थोडा झुका दिया और मेरे . पे एक किस की और फिर मेरा सर उठा के मेरी आँखों मैं देखते हो बोली चल छोड दिल . ना कर मैं हूँ ना . . उन लड़कियों को जो . साथ . करना . नहीं .
मैं भी अम्मी की आँखों मैं देखते हो थोडा . अंदाज़ मैं बोला अम्मी मैं भला आप को अपनी . . कैसे समझ सकता हूँ आप तो मेरी अम्मी हो कोई लड़की थोडा ही हो अम्मी भी मेरी तरफ देखते हुए बोली
क्यूं मैं तुम्हारी माँ होने के साथ साथ तुम्हारी . . नहीं बन सकती जबकि फरी तो तुम्हारी बड़ी बहन भी है और . . .......भी है
मैं अम्मी की बात सुनके के खामोश हो गया और कुछ नहीं बोला तो अम्मी ने अचानक अपने होठोंस मेरे होंठो पे रख दिए
मैने भी अम्मी के मुह मैं अपनी ज़ुबान घुसा के किस करने लगा और अम्मी के होंतों को चूसने लगा तो तभी अम्मी ने मेरा एक हाथ पकड़ के अपने सॉफ्ट बूबस पे रख दिया
मैने भी अम्मी के बूबस को मसलना और सहलाना शरू कर दिया और अम्मी मुझे अपने साथ भिंचे हो किस करने लगी रही
थोड़ी देर तक किस करने के बाद अम्मी ने मुझे अपने से थोडा सा पीछे किया और मेरी आँखों मैं देखते हो बोली क्यों बेटा बनोगे अपनी अम्मी को अपनी गर्ल फरन्ड तो अम्मी की बात सुनते ही मैने फिर से अम्मी को अपनी तरफ खींचा और किस करने लगा और बूबस को दबाने लगा
थोड़ी देर के बाद अम्मी ने अपना एक हाथ जो क मेरे बलों को सहला रहा था हटाया और नीचे ले जा के मेरी सलवार का नडा खोल दिया और हाथ मेरी सलवार मैं घुसा के सीधा मेरे लूँद पे रख दिया और मेरे लूँद को अपनी मुति मैं जाकड़ के सहलाने लगी
आह बेटा कितना मोटा और तगड़ा है यह लंड.. एस लंड से चौदने को मै तरस रही थी...तेरे अब्बू का..तो बस.... सच तभी सब दीवाने है तेरे एस लंड के.... ऐसा लंड पूरी गांव मै नहीं है... और मेरे लंड को मुठियाने लगी
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