Desi Porn Kahani काँच की हवेली
05-02-2020, 01:06 PM,
#25
RE: Desi Porn Kahani काँच की हवेली
"आप...." कंचन के मूह से आश्चर्य और खुशी मिश्रित स्वर फूटे. रवि को अपने सामने पाकर उसे ऐसा लगा जैसे ईश्वर ने उसका रोना सुन लिया और उसके प्रेम देवता को उसके पास भेज दिया. उसकी आँखें जो कुच्छ देर पहले विरह से गीली हो गयी थी, अब खुशी से छलक पड़ी थी. उसके मोटी जैसे आँसू धूलक कर उसके गालो में फैल गयी थी. वो अपनी उन्ही गीली आँखों से रवि को देखती रही, जो मन कुच्छ देर पहले उससे दूर भागने की, उससे ना मिलने की, उससे कभी प्यार ना करने की बात कर रहा था अब उसकी और खिंचता जा रहा था. उसका दिल चाहा कि वो आगे बढ़े और रवि से लिपट जाए. पर वो ऐसा करने की साहस ना दिखा सकी. हां उसके चेहरे पर अब खुशी की जगह थोड़ी नाराज़गी उभर आई थी. वह अपनी गर्दन को झटकी और गुस्से से वहाँ से जाने लगी.

जैसे ही वो रवि के पास से होते हुए आगे बढ़ी रवि भी तेज़ी से पलटा. तभी रवि के पावं के नीचे पड़ा छोटा पत्थेर खिसक गया. पत्थेर खिसकते ही उसका पावं फिसला और वो लड़खड़ा कर गिरा. गिरते ही उसका शरीर तेज़ी से खाई की ओर फिसलता चला गया.

कंचन ने जैसे ही उसके गिरने की आवाज़ सुनी-तेज़ी से पलटी. रवि को खाई की ओर गिरते देख वो चीखी - "सा......साहेब."

रवि को बचाने के लिए वो खाई की और भागी, दूसरे ही पल वो खाई के किनारे खड़ी थी. उसने रवि पर नज़र डाली. रवि एक पत्थेर को थामे लटका हुआ था. उसका एक पावं किसी पत्थेर का सहारा लिए हुए था तो दूसरा पावं हवा में झूल रहा था. उसके ठीक नीचे गहरी खाई थी.

कंचन ने रवि को इस प्रकार मौत के झूले में झूलते देखी तो उसकी साँसे जहाँ की तहाँ अटक गयी. वो भय से थर थर काँप उठी. वह उसे बचाने के उपाय सोचने लगी. पहले तो उसने अपनी गर्दन उठाकर किसी आदमी की तलाश में चारो तरफ अपनी नज़रें दौड़ाई, लेकिन सांझ के वीराने में उसे कोई भी दूर तक दिखाई नही दिया. निराश होकर उसकी दृष्टि वापस रवि की तरफ घूमी. रवि अभी भी उठने का प्रयास कर रहा था.

अचानक ही कंचन को एक युक्ति सूझी, वो झट से अपने गले में लिपटे दुपट्टे को खींची और उसके आगे पिछे गाँठ बाँधकर रवि की ओर फेंक दी. -"इसे पाकड़ो साहेब."

"नही....!" रवि इनकार में गर्दन हिलाया. -"इस तरह तो तुम भी नीचे आ जाओगी."

"मुझपर भरोसा रखो साहेब, मैं आपको कुच्छ नही होने दूँगी." कंचन धृड़ता से बोली -"आप मेरे दुपट्टे को पकड़कर उपर उठने की कोशिश करो."

रवि ने वैसा ही किया एक हाथ से उसके दुपट्टे को थाम लिया और दूसरे हाथ से पत्थेर का सहारा लेते हुए धीरे धीरे उपर उठने लगा.

कंचन गाओं की मिट्टी खाकर पली थी. वो तनिक भी ना घबराई और अपनी पूरी शक्ति से रवि को उपर खींचती रही. कुच्छ ही देर में रवि उपर आ गया. वो हाफ्ता हुआ खड़ा हुआ. फिर उसने कंचन पर निगाह डाली. कंचन पसीने से लथपथ गुस्से से उसे घुरे जा रही थी. रवि कुच्छ कहने के लिए मूह खोला ही था कि कंचन गुस्से में बोली - "इतनी गहरी खाई के नज़दीक खड़े होने की क्या ज़रूरत थी? क्या सोचे थे आप कि ये खाई नही किसी खेत का मेड है......गिरे तो कुच्छ ना होगा. अगर आज मैं ना होती तो पता नही आपका क्या.....? दूसरों की ना सही कम से कम अपनी तो परवाह किया करो, अगर आपको कुच्छ हो जाता तो?"

रवि हक्का बक्का कंचन को देखता रहा, वो गुस्से से लाल पीली हो गयी थी. ऐसा लगता था जैसे अभी वो रवि की धुलाई कर देगी. वो उसे ऐसे डाँट पीला रही थी जैसे वो उसके घर का नौकर हो, और उसने कोई बहुत बड़ी नादानी कर दी हो. उसने कंचन का ऐसा रूप पहले कभी नही देखा था. हमेशा शांत और छुइ-मुई सी रहने वाली लड़की इस वक़्त शेरनी का रूप धारण कर चुकी थी. उसके मूह में जो भी आ रहा था रवि को सुनाती जा रही थी. गुस्से से उसका चेहरा लाल भभुका हो गया था, आँखें भट्टी की तरह सुलग उठी थी. साँसे इस क़दर तेज़ हो गयी थी जैसे वो मीलो पैदल चल आई हो. उसका सीना ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे हो रहा था. रवि किसी अपराधी की तरह चुप चाप खड़ा उसकी झिड़की सुनता रहा.

कुच्छ देर बाद जब उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह चुप हुई. रवि अभी भी हक्का बक्का उसे देखता जा रहा था. उसके हाथ में अभी भी कंचन का दुपट्टा था जिसे वो मसल्ते हुए अपनी घबराहट को दूर करने का प्रयास कर रहा था. कंचन की छातियाँ बिना दुपट्टे के उसके सामने तनी खड़ी थी. और गुस्से की अधिकता में उपर नीचे हो रही थी. रवि कुच्छ देर उसके पसीने से भीग चले चेहरे को देखता रहा फिर बोला - "तुम किस अधिकार से मुझे इस तरह डाँट रही हो? ये मेरी ज़िंदगी है....मैं चाहें जो करूँ......मेरी मर्ज़ी मैं चाहें कुएँ में कुदू या किसी पहाड़ की चोटी से छलाँग लगाऊ......तुम होती कौन हो मुझे नशिहत देने वाली?" रवि उसकी मनोदशा से परिचीत था. फिर भी उसका मन टटोलने के लिए झूठ मूठ का गुस्सा दिखाया.

कंचन के होंठ काँपे. वो कुच्छ बोलना चाही पर बोल ना सकी. उसने बोझील नज़रों से रवि को देखा. फिर अपनी नज़रें झुका ली.

"बोलो जवाब दो." रवि ने फिर से सवाल किया. - "तुम क्या समझकर मुझे इस तरह डाँट रही थी? मेरी इतनी फिक़र करने वाली तुम होती कौन हो?"

कंचन ने फिर से अपनी निगाहें उठाई और रवि के चेहरे पर डाली. उसके मन में आया कि कह दे कि वो उससे प्यार करती है, उसकी जीवन संगिनी बनना चाहती है, उसके बगैर वो जी नही सकेगी, उसे कुच्छ हुआ तो वो भी मर जाएगी. पर मन के अंदर उठती भावनाओ को वो बाहर ना ला सकी. चुप चाप अपनी गीली आँखों से रवि को देखती रही.

"क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?" रवि उसकी खामोशी का अनुमान लगाकर बोला. -"क्या इसीलिए मेरी फिक़र करती हो कि मुझे कुच्छ हो गया तो तुम जी नही पाओगि? अगर ऐसा है तो मुझसे कहती क्यों नही कि तुम मुझसे प्यार करती हो."

"सा......साहेब....!" कंचन भर्राये गले से बस इतना ही बोल सकी और फफक कर रो पड़ी.

रवि ने अपने हाथ बढ़ाए और उसके चेहरे को दोनो हाथों से थाम लिया. फिर बोला - "क्यों छुप छुप कर रोती रहती हो? एक बार कहा क्यों नही कि तुम मुझसे प्यार करती हो?"

"साहेब......!" वो हिचकी लेकर बोली - "मा.....मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ साहेब. मैं आपके बगैर नही जी सकती साहेब. मुझे अपना लो साहेब, मैं आपकी हर बात मानूँगी साहेब, आप जो कहोगे मैं करूँगी. जैसे रखोगे रहूंगी. कम खाना खाउन्गि, घर के सारे काम करूँगी. मगर मुझे अपना लो साहेब." ये कहते हुए कंचन ने रवि के आगे अपने हाथ जोड़ दिए.

रवि ने उसके हाथों को पकड़कर चूम लिया. फिर बोला - "मुझे तुमने क्या पत्थेर का इंसान समझा है कंचन, क्या मेरे सीने में दिल नही है, जो तुम्हारे बेपनाह प्यार के बदले में तुमसे घर के काम करवाउँगा. तुम्हे कम खाना खिलाउँगा. नही कंचन.....मैं तो तुम्हे सदेव अपने दिल में बसाकर रखूँगा. सदेव अपने दिल में. क्योंकि मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ. दुनिया की कोई ताक़त तुम्हे मेरे दिल से नही निकाल सकती."

"साहेब...!" कंचन इस खुशी को संभाल ना सकी और बेसाखता उसकी छाती से लिपट गयी.

रवि भी कस्के उसे अपनी बाहों में जाकड़ लिया. दो दिल एक हो गये. कंचन को रवि की बाहों में सिमटकर यूँ महसूस हुआ जैसे उसे सारी दुनिया मिल गयी हो. वो अपनी बाहों का घेरा और मजबूत करती चली गयी. उसे इस वक़्त जो खुशी महसूस हो रही थी, वो मैं शब्दो में बयान नही कर सकता. वो उस पक्षी की तरह थी जो रेगिस्तान में पानी की एक बूँद के लिए भटकता फिरता है पर उसे पानी नही मिलता. और जब मिलता है तो उसके प्यासे मन को जो खुशी मिलती है वही खुशी इस वक़्त कंचन महसूस कर रही थी. आज उसके प्यासे मन को पानी की एक बूँद नही बल्कि पूरा सागर मिल गया था. वो उस सागर की गहराइयों में खो जाना चाहती थी और खो भी गयी थी.
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Porn Kahani काँच की हवेली - by hotaks - 05-02-2020, 01:06 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,456,893 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 539,397 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,214,183 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 918,072 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,627,237 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,059,859 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,915,347 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,938,917 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,986,149 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 280,660 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)