RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
आदित्य की भी आँखे छलक उठती हैं और वो दौड़ कर ज़रीना को गले लगा कर
कहता है, “क्यों जा रही थी फिर तुम मुझे छ्चोड़ कर?”
“तुम मुझे रोक नही सकते थे?” ज़रीना ने गुस्से में पूछा.
“रोक तो लेता पर यकीन नही था कि तुम रुक जाओगी”
“तुम कह कर तो देखते” ज़रीना सुबक्ते हुवे बोली.
“ओह्ह…ज़रीना आइ लव यू…”
“पता नही क्यों.... बट आइ लव यू टू अदित्य” ज़रीना ने कहा.
“मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि वापिस कैसे जाउन्गा”
“और मैं सोच रही थी कि तुम्हारे बिना कैसे जी पाउन्गि”
“अछा हुवा तुम वापिस आ गयी वरना देल्ही से मेरी लाश ही जाती”
“ऐसा मत कहो… मैं वापिस क्यों नही आती. अम्मी,अब्बा और फ़ातिमा को तो खो चुकी हूँ, तुम्हे नही खो सकती अदित्य”
उन्हे उस पल किसी बात का होश नही रहता. प्यार और होश शायद मुस्किल से साथ चलते हैं.
“पता है…मैं तुम्हे बिल्कुल लाइक नही करता था”
“मैं भी तुमसे बहुत नफ़रत करती थी”
“ऐसा कैसे हो गया? ये सब सपना सा लगता है” अदित्य ने कहा
“ये तो पता नही…पर मुझे हमेशा अपने पास रखना अदित्य, तुम्हारे बिना मैं नही जी सकती”
“तुम मेरी जींदगी हो ज़रीना, मेरे पास नही तो और कहा रहोगी”
“पर अब हम जाएँगे कहा…. मुझे नही लगता कि हम दोनो उस नफ़रत के माहॉल में रह पाएँगे?”
“चिंता मत करो, प्यार हुवा है तो इस प्यार के लिए कोई ना कोई सुकून भरा
आसियाना भी ज़रूर मिल जाएगा”
दोनो हाथो में हाथ ले कर चल पड़ते हैं किसी अंजानी राह पर जिसकी
मंज़िल का भी उन्हे नही पता. प्यार की राह पर मंज़िल की वैसे परवाह भी कौन करता है.
जिस तरह नदी पहाड़ को चीर कर अपना रास्ता बना लेती है. उसी तरह प्यार
भी इस कठोर दुनिया में अपने लिए रास्ते निकाल ही लेता है. तभी शायद
इतनी नफ़रत के बावजूद भी दुनिया में प्यार… आज भी ज़ींदा है.
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