Incest Kahani एक अनोखा बंधन
05-07-2020, 02:17 PM,
#7
RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--4

गतान्क से आगे.....................

आदित्य और ज़रीना एक दूसरे का हाथ थाम कर चल दिए. पर उन्हे जाना कहा था ये वो तैय नही कर पाए थे. नया नया प्यार हुवा था वो दोनो अभी बस उसमें खोए थे. जींदगी की कठोरे सचाईयों का सामना उन्हे अभी करना था.

“वापिस चले क्या ज़रीना?”

“तुम्हे क्या लगता है लोग हमें वाहा जीने देंगे. मैं वाहा नही रह पाउन्गि अब.”

“पर यहा हमारा कुछ नही है. घर बार सब गुजरात में ही है. यहा पैर जमाना मुश्किल होगा.”

“हम कोशिस तो कर ही सकते हैं.”

“ठीक है ऐसा करते हैं फिलहाल किसी होटेल में चलते हैं और ठंडे दिमाग़ से सोचते हैं कि आगे क्या करना है.”

“हां ये ठीक रहेगा. मैं बहुत थक भी गयी हूँ. बहुत जोरो की भूक भी लगी है.”

“चलो पहले खाना ही खाया जाए. फिर होटेल चलेंगे.”

“हां बिल्कुल चलो.”

दोनो एक रेस्टोरेंट में बैठ जाते हैं और शांति से भोजन करते हैं.

“दाल माखनी का कोई जवाब नही. नॉर्थ इंडिया में बहुत पॉपुलर है ये.”

“हां अच्छी बनी है. मैं इस से भी अच्छी बना सकती हूँ.”

“तुमने घर तो कभी बनाई नही.”

“सीखूँगी ना जनाब तभी ना बनाउन्गि. मुझे यकीन है मैं इस से अच्छा बना लूँगी.”

बातो बातो में खाना हो जाता है और दोनो अब एक होटेल की तलास में निकलते हैं.

“यहा शायद ही कोई अच्छा होटेल मिले. कही और चलते हैं.” ज़रीना ने कहा.

“तुम्हे कैसे पता.”

“जनाब मेरी मौसी के यहा आती रहती हूँ मैं, पता कैसे ना होगा.”

“ओह हां बिल्कुल. चलो कही और चलते हैं.” आदित्य ने कहा.

दोनो ऑटो पकड़ कर लक्ष्मीनगर पहुँचते हैं और वाहा एक होटेल में कमरा ले लेते हैं. रात घिर आई है और प्यार के दो पंछी रात में आशियाना पा कर खुस हैं.

जब अदित्य और ज़रीना कमरे की तरफ जा रहे होते हैं तो ज़रीना कहती है, “तुम्हे नही लगता कि हमें दो कमरो की ज़रूरत थी.”

“क्यों अब तुम क्या मुझसे अलग रहोगी. इस प्यार का कोई मतलब नही है क्या तुम्हारे लिए.”

“प्यार हुवा है शादी नही…हे..हे…हे.” ज़रीना ने हंसते हुवे कहा.

“शादी भी जल्द हो जाएगी. तुम कहो तो अभी कर लेते हैं.”

“नही…नही मैं मज़ाक कर रही थी. चलो अंदर.” ज़रीना ने कहा.

रूम में आते ही ज़रीना बिस्तर पर पसर गयी और बोली, “ये बिस्तर मेरा है. तुम अपना इंटेज़ाम देख लो.”

“बहुत खूब …मैं क्या फर्स पर लेटुंगा.” आदित्य भी ज़रीना के बाजू में आ कर लेट गया.

ज़रीना फ़ौरन बिस्तर से उठ गयी.

“प्यार का मतलब ये नही है कि हम एक साथ सोएंगे. मैं सोफे पर जा रही हूँ. तुम चैन से लेटो यहा हा.”

“अरे रूको मैं मज़ाक कर रहा था. तुम लेटो यहा. सोफे पर मैं सो जाउन्गा.” आदित्य बिस्तर से उठ जाता है.

“पक्का…फिर मत कहना कि मैने बिस्तर हथिया लिया.” ज़रीना मुश्कुराइ.

“मेरा दिल हथिया लिया तुमने बिस्तर तो बहुत छोटी चीज़ है. जाओ ऐश करो.” आदित्य भी मुश्कराया.

ऐसा प्यार था उनका. प्यार और तकरार दोनो साथ साथ चल रहे थे. जब प्यार होता है तो प्यार को तरह तरह से आजमाया भी जाता है. ऐसा ही कुछ ज़रीना और अदित्य के प्यार के साथ होने वाला था. वो दोनो तो इस बात से बिल्कुल अंज़ान थे. नया नया प्यार हुवा था. और नया प्यार अक्सर सोचने समझने की शक्ति ख़तम कर देता है. शुरूर ही कुछ ऐसा होता है प्यार का. लेकिन ऐसे नाज़ुक वक्त में थोड़ी सी भी ग़लत फ़हमी या टकराव प्यार को मिंटो में कड़वाहट में बदल सकती है. प्यार इतना गहरा तो होता नही है कि संभाल पाए. इश्लीए नया नया प्यार अक्सर शुरूवात में ही बिखर जाता है. अभी तक तो सब ठीक चल रहा लेकिन अगले दिन अदित्य और ज़रीना के प्यार का इम्तिहान था. जिसमे पास होना बहुत ज़रूरी था.

अगले दिन दोनो बड़े प्यार से उठे. गुड मॉर्निंग विश किया. नहाए धोए. ब्रेकफास्ट किया और फिर आगे का सोचने लगे.

“अदित्य हमारी पढ़ाई का क्या होगा.”

“तभी तो मैं वापिस जाने की सोच रहा था. अब तो शांति है वाहा.”

“लेकिन मैं अगर वाहा तुम्हारे साथ रहूंगी तो लोग तरह तरह की बाते करेंगे.”

“तो क्या हुवा हम शादी करके रहेंगे एक साथ यू ही थोड़ा रहेंगे.”

“लेकिन वाहा अभी भी तनाव बना हुवा है. ऐसे में हमारे रिश्ते को कोई नही समझेगा.”

“फिर ऐसा करते हैं कि पहले पढ़ाई पूरी करते हैं. फिर आगे का सोचते हैं.”

“मैं कहा रहूंगी. मेरा घर तो बुरी तरह जल चुका है. और वाहा कोई और नही है जिसके पास मैं रुक पाउ.”

“हॉस्टिल हैं ना कॉलेज का दिक्कत क्या है.”

“ओह हां ये बात तो मैने सोची ही नही. हां मैं हॉस्टिल में रह सकती हूँ.”

“चलो छोड़ो ये सब. चलो घूम कर आते हैं कही. आते हुवे वापसी की ट्रेन का टिकेट भी बुक करवा लेंगे.”

“कही हम जल्दबाज़ी में तो फ़ैसला नही ले रहे.”

“फ़ैसला तो हमें लेना ही है. मुझे इस से बेहतर रास्ता नही लगता. तुम कुछ सूझा सकती हो तो बोलो.”

“हां वैसे हमारी पढ़ाई के लिहाज़ से ये ठीक है…चलो कहा घूमने चलोगे” ज़रीना ने कहा

“लाल किला नही देखा मैने अब तक चलो वही चलते हैं.” आदित्य ने कहा.

“मैने देखा है एक बार. तुम्हारे साथ देखने में और मज़ा आएगा चलो.”

दोनो लाल किला घूमने निकल पड़े. जब वो लाल किले से बाहर आए तो दोनो को जोरो की भूक लग चुकी थी.
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RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन - by hotaks - 05-07-2020, 02:17 PM

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