RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
“अदित्य चलो अब खाना खाया जाए. एक रेस्टोरेंट है यही पास में वाहा हर तरह का खाना मिलता है. चलो.”
आदित्य और ज़रीना एक रिक्सा ले कर उस रेस्टोरेंट पर पहुँचते हैं. लेकिन रेस्टौरा को देखते ही अदित्य सोच में पड़ जाता है. रेस्टोरेंट में वेज और नोन-वेज दोनो तरह का खाना था. आदित्या था पंडित इश्लीए वो थोड़ा सोच में पड़ गया. लेकिन ज़रीना की खातिर रेस्टोरेंट में घुस्स गया.
“ज़रीना तुम ऑर्डर दो मैं वॉश रूम हो कर आता हूँ.”
“क्या लोगे तुम ये तो बताते जाओ.”
“मंगा लो कुछ भी.”
ज़रीना ये तो जानती ही थी कि अदित्य वेजाइटरियन है. उसने उसके लिए वेज खाना ऑर्डर कर दिया और अपने लिए चिकन कढ़ाई और तंदूरी नान ऑर्डर कर दिया. यही से सारी मुसीबत शुरू होने वाली थी. आदित्य जब तक वापिस आया तब तक उसका खाना आ चुका था. जैसे ही अदित्य बैठा ज़रीना का ऑर्डर भी आ गया. जब वेटर ने चिकन कढ़ाई टेबल पर रखी तो आदित्या की तो आँखे फटी रह गयी. उसका मन खराब हो गया.
“ये तुमने ऑर्डर किया है.”
“हां…ये मेरी फेवोवरिट डिश है.”
“अफ…मैं यहा एक मिनिट भी नही बैठ सकता.” आदित्य वॉश रूम की तरफ भागता है. उसे उल्टी आ जाती है. पंडित होने के कारण वो हमेसा नोन वेज चीज़ो से दूर ही रहा था. उसके साथ ऐसा होना स्वाभाविक ही था.
आदित्य वापिस आया और बोला, “उठो मैं यहा खाना नही खाउन्गा.”
“क्या हो गया अदित्य कुछ बताओ तो सही. बैठो तो.”
“ये नोन वेज मेरी आँखो के आगे से हटा लो. मुझे ग्लानि होती है. कैसे खा सकती हो तुम एक जीव को. तुम्हे ग्लानि नही होती”
ज़रीना ने चिकन कढ़ाई पर पलेट रख दी और बोली, “कैसी बात कर रहे हो. इसमे ग्लानि की क्या बात है.”
अदित्य बैठ गया और बोला, “मैं ये सब बर्दास्त नही कर सकता. तुम्हे ये सब छोड़ना होगा.”
“क्यों छोड़ना होगा. ये भोजन है और कुछ नही. आइ लाइक इट.”
“पर ये किसी की हत्या करके बनता है. ये पाप है.”
“पता नही कौन सी दुनिया में जी रहे हो तुम. मैने तो बहुत पंडित लोगो को खाते देखा है नोन वेज.”
“खाते होंगे पर मैं बिल्कुल नही खाता.”
“तो मत खाओ तुम मुझे नही रोक सकते.”
“तुम समझती क्यों नही. अपने खाने के लिए क्या किसी जीव की हत्या ठीक है.”
क्रमशः...............................
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