RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--5
गतान्क से आगे.....................
“मिस्टर अदित्य पांडे एक बात बताओ. क्या आनाज़ में जान नही होती. क्या पॅडी ज़ींदा नही होती. जिस पेड़ से फ्रूट तोड़े जाते हैं क्या वो जींदा नही हैं. मार्स पर घास का एक तिनका भी नही उगता. एक घास का तिनका भी उतना ही जींदा है जितना की चिकन. अब बताओ क्या कुछ ग़लत कहा मैने.”
“मुझे नही पता लेकिन मुझे ये सब बर्दास्त नही है.”
“ये तुम्हारी प्राब्लम है मेरी नही.” ज़रीना ने कहा.
प्यार बड़ी जल्दी अपना हक़ जताने लगता है. यही बात अक्सर टकराव का कारण बन जाती है. आदित्य ज़रीना पर हक़ तो जता रहा था पर उसने ग़लत वक्त चुन लिया था. ज़रीना के लिए अपने भोजन को डिफेंड करना स्वाभाविक था. ये बात अदित्य की समझ में नही आ रही थी.
ज़रीना की भी ग़लती थी. वो ये नही समझ पा रही थी कि अदित्य का रिक्षन नॅचुरल है. उसे बहस में पड़ने की बजाए थोड़ा शांति से काम लेना चाहिए था. लेकिन ये बाते कहनी आसान हैं और करनी मुश्किल.
आदित्य फ़ौरन उठ कर बाहर आ गया. आदित्य को सामने ही हनुमान जी का मंदिर दीखाई दिया और वो मंदिर में घुस्स गया.ज़रीना को इतना बुरा लगा कि वो भी बिना खाना खाए बिल पे करके बाहर आ गयी. बाहर आकर अदित्य को ना पाकर उसकी आँखो में खून उतर आया.
“बस इतना ही प्यार था इसे मुझसे. चला गया छोड़ के मुझे. मैं ऐसे इंसान के साथ जींदगी नही बीता सकती.”
गुस्से में अक्सर हम सही फ़ैसला नही कर पाते और अपनी सोचने समझने की ताक़त खो बैठते हैं. ज़रीना इतने गुस्से में थी कि उसने तुरंत मौसी के घर जाने का फ़ैसला कर लिया. उसने ऑटो पकड़ा और सिलमपुर की तरफ चल पड़ी. हालाँकि ये बात और थी कि रास्ते भर उसकी आँखे टपकती रही.
आदित्य सोच रहा था कि ज़रीना अंदर चैन से बैठ कर खाना खा रही होगी. इश्लीए वो मंदिर से आराम से निकला. उसने रेस्टोरेंट के बाहर से ही झाँक कर देखा. ज़रीना वाहा होती तो दीखती. उसने अंदर आ कर पता किया. उसे बताया गया कि वो तो खाना खा कर चली गयी. अब वेटर बहुत बिज़ी रहते हैं. उन्हे क्या मतलब किसी ने खाना खाया या नही. उसके मूह से निकल गया कि वो खाना खा कर चली गयी. आदित्य के शीने पर तो जैसे साँप लेट गया.
उसने बाहर आ कर देखा लेकिन ज़रीना कही दीखाई नही दी. “ये प्यार इतनी जल्दी भिखर जाएगा मैने सोचा नही था.”
आदित्य ऑटो लेकर होटेल की तरफ चल दिया. उसे उम्मीद थी कि ज़रीना उसे होटेल में ही मिलेगी. लेकिन होटेल पहुँच कर वो दंग रह गया. ज़रीना वाहा होती तो मिलती. वो तो अपनी मौसी के घर पहुँच भी गयी थी और वाहा उसका बड़े जोरो का स्वागत भी हो रहा था.
आदित्य बेचारा अकेला बिस्तर पर लेट गया. “शायद वो चली गयी अपनी मौसी के यहा. अगर यही सब करना था तो कल मेरे साथ आई ही क्यों थी. कल ही चली जाती. चलो अछा ही हुवा. उसके साथ निभाना वैसे भी मुश्किल था.” ये बाते अदित्य सोच तो रहा था लेकिन सोचते सोचते उसकी अंजाने में ही आँखे भर आई थी.
“ज़रीना क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा. तुम तो ऐसी नही थी. मुझे छोड़ कर चली गयी. क्या यही प्यार था तुम्हारा. मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगा.”
ज़रीना और आदित्या दोनो को ही प्यार ने बड़ी गहरी चोट दी थी. इधर अदित्य रो रहा था उधर ज़रीना की भी हालत खराब थी. उसे लोगो ने घेर रखा था. उस से पूछा जा रहा था कि वो दंगो से कैसे बची. ज़रीना ऐसी हालत में नही थी कि कुछ भी कहे. उसका तो दिल बहुत भारी हो रहा था. वो कयि बार वॉश रूम में आकर चुपचाप सूबक सूबक कर रोई.
इस तरह प्यार के इंतेहाँ में अदित्य और ज़रीना का प्यार फैल हो गया था. और इस फेल्यूर के बाद दोनो का ही बहुत बुरा हाल था. दोनो के दिलो में एक दूसरे के लिए नफ़रत उभरने लगी थी लेकिन आँखे थी कि प्यार में आँसू बहा रही थी. प्यार भी अजीब खेल खेलता है.
प्यार को समझना बहुत मुश्किल काम है. ये बात वही समझ सकते हैं जो कभी प्यार के पचदे में पड़े हों. ज़रीना चली तो आई थी गुस्से में अपनी मौसी के घर लेकिन उसके दिल पर अदित्य से दूर हो कर जो बीत रही थी उसे सिर्फ़ वो ही जानती थी. ऐसा नही था कि नाराज़गी दूर हो गयी थी उसकी. वो तो ज्यों की त्यों बरकरार थी. लेकिन फिर भी रह-रह कर वो अदित्य की यादों में खो जाती थी.
मौसी के यहा ज़रीना को गुम्सुम देख कर सभी परेशान थे. उन्हे लग रहा था कि ज़रीना ज़रूर कुछ छुपा रही है. लोग अंदाज़ा लगा रहे थे कि शायद दंगो के दौरान कुछ अनहोनी हो गयी होगी उसके साथ, जिसे वो छुपा रही है. इश्लीए लोगो ने उस से सवाल पूछने बंद कर दिए. उन्हे क्या पता था की ज़रीना की छुपी का कारण अदित्य है.
ज़रीना कोशिस तो खूब कर रही थी हँसने की मुश्कूराने की लेकिन बार बार उसका दिल भारी हो उठता था.
“बेटा तू कुछ बोल क्यों नही रही है. जब से आई है गुमशुम सी है. हमें बता तो सही की क्या बात है.” ज़रीना की मौसी ने पूछा.
“मौसी कुछ नही बस वैसे ही परेशान हूँ.” ज़रीना ने कहा.
“अम्मी और अब्बा की याद आ रही होगी है ना. फ़ातिमा का सुन कर बहुत दुख हुवा मुझे. अल्ला उन्हे माफ़ नही करेंगे जिन्होने फ़ातिमा के साथ ये सब किया.”
“मुझे वो सब याद ना दिलाओ मौसी. बड़ी मुश्किल से भूली हूँ मैं वो सब.” बोलते-बोलते ज़रीना की आँखो में आँसू उतर आए.
मौसी ने ज़रीना को गले से लगा लिया और बोली, “मेरी प्यारी बच्ची…चल छोड़ ये उदासी कुछ खा पी ले.”
“मुझे भूक नही है मौसी अभी.” ज़रीना ने कहा.
“चल ठीक है. जब तेरी इच्छा हो तब खा लेना….ठीक है. थोड़ा आराम कर ले, बहुत थक गयी होगी. तेरे लिए वही कमरा तैयार करवा दिया है जहा तू हर बार आ कर रहती है…ठीक है.”
“शुक्रिया मौसी” ज़रीना मुश्कुरा दी.
ज़रीना कमरे में आ कर बिस्तर पर गिर गयी और फिर आँसुओ का वो तूफान उठा की थामे नही थमा. “क्यों किया अदित्य तुमने ऐसा मेरे साथ. बहुत प्यार करती हूँ तुम्हे में…फिर आख़िर क्यों”
अब ज़रीना के पास अदित्य तो था नही जो कोई जवाब देता. प्यार के गम में डूबी हुई ज़रीना रोते हुवे सवाल पे सवाल किए जा रही थी जिनका उसे कोई जवाब नही मिल रहा था. बहुत रुला रहा था प्यार बेचारी को.
|