RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
तुम तो मुझे देखते ही मूड गये वापिस. इतनी कौटेसी भी नही दीखाई की कम से कम सॉरी ही बोल दो. चल दिए मूह फेर कर जैसे कि सब मेरी ही ग़लती हो. अपनी बाइक पर बैठ गये जा कर और किक मार कर बोले, “मेरी मम्मी से पैसे ले लेना. नयी खरीद लेना. ज़्यादा बकवास करने की ज़रूरत नही है.”
“अपने पैसे अपने पास रखो मिस्टर. पैसो की कमी नही है मुझे. स्टुपिड…...” मैं चिल्ला कर बोली.
“तो खरीद लो ना नयी जा कर. मेरा दिमाग़ क्यों खा रही हो.” चले गये तुम बोल कर.
बहुत गुस्सा आया था तुम्हारे उपर. मन कर रहा था कि तुम्हारी जान ले लूँ. और आज ये दिन है कि तुम्हारे लिए अपनी जान दे सकती हूँ. कितना अजीब होता है प्यार. हम दोनो ऐसे अनमोल प्यार के बंधन में बँध जाएँगे सोचा भी नही था मैने. आ जाओ आदित्य और मेरे लिए एक नयी जीन्स लेते आना. ड्यू है तुम्हारे उपर. वही पहन कर चलूंगी मैं तुम्हारे साथ. बदल लूँगी टाय्लेट में जाकर. तुम बस लेते आओ. या फिर रहने दो जीन्स को….तुम आ जाओ आदित्या प्लीज़….मैं बीखर गयी हूँ पूरी तरह. एक तुम ही तो हो जिसके लिए जीना चाहती हूँ. तुम भी इस तरह तड़पावगे तो क्या होगा मेरा. प्लीज़ आ जाओ.”
ज़रीना से रहा नही गया और वो फिर से उठ कर चल दी बाल्कनी की तरफ. रात के 3 बज रहे थे. मगर उसकी उम्मीद टूटी नही थी अभी. चारो तरफ देखा ज़रीना ने बाल्कनी से झाँक कर. गली में कुत्ते भोंक रहे थे. “ये कुत्ते कही और क्यों नही चले जाते. आदित्य को ना काट लें कहीं ये.”
आदित्य का कही आता पता नही था पर ज़रीना आदित्य के लिए कुत्तो से परेशान हो रही थी. बहुत परवाह रहती है प्यार में एक दूसरे की.
वापिस आना ही पड़ा ज़रीना को. “क्या पता कल आए आदित्य. क्या पता ट्रेन लेट हो गयी हो. या फिर हो सकता है कोई ज़रूरी काम आन पड़ा हो. वो आएगा ज़रूर मुझे यकीन है. बस जल्दी आ जाए तो अछा है वरना पता नही जी पाउन्गि या नही.”
दुबारा नही उठी ज़रीना बाल्कनी में जाने के लिए. थक हार कर उसकी आँख लग गयी थी. सो गयी बेचारी तड़प-तड़प कर. आँखे भारी हो रखी थी. नींद आना लाज़मी था.
…………………………………………………………………..
आदित्य अभी भी कोमा में था. आस पास क्या हो रहा था उसे कुछ नही पता था. लेकिन प्यार का कुछ ऐसा चमत्कार था कि वो थोड़ा-थोड़ा सोच पा रहा था. कुछ केसस हुवे हैं ऐसे कोमा के जिनमे इंसान सोच पाता है. मगर ये थिंकिंग दिमाग़ की बहुत गहराई में होती है. प्यार भी तो कही गहरा छुपा रहता है इंसान के अंदर. शायद वही ये सोचने समझने की ताक़त छुपी रहती है.
“ज़रीना मैं आ रहा हूँ तैयार रहना.” ये विचार खुद-ब-खुद आ गया आदित्य के दिमाग़ में. शायद ज़रीना से मिलने की तड़प बहुत गहराई तक समा गयी थी उसके अस्तित्व में.
आदित्य को पता भी नही था कि सनडे बीत चुका है और ज़रीना का उसके इंतेज़ार में बुरा हाल है. कोमा में था आदित्य जान नही सकता था ये बात. उसका अस्तित्व दिन दुनिया से बहुत परे था जहा टाइम और दिन नही होता. एक गहरी नींद होती है कोमा जहा कुछ उभर आता है अचानक. जैसे की ज़रीना के लिए जीन्स ले जाने का विचार अचानक ही आ गया. पता नही कैसे.
शायद प्यार में बहुत गहराई से जुड़े थे ज़रीना और आदित्य वरना आदित्य को जीन्स का ख्याल आना मुमकिन नही था. आदित्य मन ही मन मुश्कुरआया, “बहुत चिल्लाई थी तुम उस दिन. पूरी जीन्स कीचड़ के रंग में रंग गयी थी. कितना गुस्सा था तुम्हारे चेहरे पर. ला दूँगा नयी जीन्स. मुझे पता है कि ड्यू है जीन्स मुझ पर.”
“ज़रीना! उठो…आज इतनी देर तक कैसे सो रही हो.” मौसी ने आवाज़ लगाई. खूब दरवाजा पीटा उन्होने. पर ज़रीना का कोई जवाब नही आया.
मौसी की आवाज़ सुन कर उनका बेटा शमीम वाहा आ गया और बोला, “अम्मी क्या हुवा?”
“11 बज गये हैं और ये लड़की उठी नही अभी तक.” मौसी ने कहा.
“सोने दो ना अम्मी तुम हमेसा दूसरो की नींद खराब करती हो.” शमीम ने कहा
“ज़रीना इतनी देर तक कभी नही सोती. कल कुछ ज़्यादा ही परेशान लग रही थी. मुझे तो चिंता हो रही है.”
“क्या हुवा शमीम की अम्मी. इतना हंगामा क्यों मचा रखा है.” शमीम के अब्बा ने पूछा. उनका नाम इक़बाल था.
“ज़रीना दरवाजा नही खोल रही. पता नही क्या बात है.” मौसी ने चिंता जनक शब्दो में कहा.
एमरान किसी काम से घर आया था. वो भी उन लोगो की बाते सुन कर वाहा आ गया और बोला, “खाला क्या बात है. सब ख़ैरियत तो है.”
“पता नही एमरान बेटा. ज़रीना दरवाजा नही खोल रही. 11 बज रहे हैं. मुझे तो चिंता हो रही है. कल बहुत बेचैन सी लग रही थी. बार-बार बाल्कनी के चक्कर लगा रही थी. पता नही क्या बात है. कुछ बताती भी तो नही है. अपने आप में खोई रहती है.”
“गहरी नींद में सोई है शायद.” एमरान भी ज़ोर-ज़ोर से दरवाजा खड़काता है.
पर ज़रीना का कोई जवाब नही आता.
“खाला आप हटिए. दरवाजा तौड देते हैं.” एमरान ने कहा.
“हां एमरान भाई ठीक कहा, तौड देते हैं दरवाजा.” शमीम ने कहा.
“हां बेटा कुछ करो…मुझे तो बहुत डर लग रहा है.” मौसी घबरा रही थी.
एमरान और शमीम दरवाजे को धक्का मारते हैं. दरवाजा 2-3 धक्के मारने पर खुल जाता है.
क्रमशः...............................
|