RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
“देखा खाला ये कारण है इसकी परेशानी का. इसे अपने अम्मी, अब्बा और बहन के मरने का कोई गम नही है. बल्कि एक काफ़िर के कारण परेशान है ये. वो लेने आने वाला था कल ज़रीना को यहा. तभी ये बाल्कनी में घूम रही थी. हमें तो यकीन ही नही हो रहा. हमें लगा ये अपनो को खोने के कारण गम में है. पर नही ये तो इश्क़ फर्मा रही है वो भी एक फजीर और काफ़िर से.”
“शमीम और उसके अब्बा को पता चला तो सलमा की तरह काट डालेंगे इसे भी. ये लड़की ऐसा करेगी हमने सोचा भी नही था. उन लोगो ने क़त्ले आम किया हमारी क़ौम का और ये उनसे प्यार कर रही है. शरम आनी चाहिए इसे.”
“मौसी मेरा खत मुझे वापिस दे दो. वो मेरी जींदगी है प्लीज़………” ज़रीना ने अंदर से रोते हुवे चिल्ला कर कहा.
“अगर ये आदित्य यहा आया तो हम उसे जींदा नही छोड़ेंगे खाला.” एमरान ने कहा.
“बेटा क्या तुम ये सब जान-ने के बाद भी ज़रीना से शादी करोगे.” मौसी ने पूछा.
“हम शायद मोहब्बत करने लगे हैं ज़रीना से. हम उसी से शादी करेंगे चाहे कुछ हो जाए.” एमरान ने कहा.
“बेटा तुम शादी की तैयारी करो बस अब फिर. ज़्यादा देर करनी ठीक नही है.” मौसी ने कहा.
“मैं तो तैयार हूँ खाला. आप चाहे आज करवा दो शादी.”
“ठीक है बस एक हफ्ते का वक्त दो हमें.”
“ठीक है खाला…आपको किसी भी बात की चिंता करने की ज़रूरत नही है. हम सब इंटेज़ाम कर देंगे.”
“वो तो हम जानते ही हैं.”
ज़रीना सुन रही थी सब कुछ अंदर. इतनी भावुक हो रही थी कि कुछ पूछो मत. कुछ भी नही बोल पा रही थी. गिर गयी रोते-रोते वही ज़मीन पर और बोली, “अब तो आ जाओ आदित्य. या अब भी नही आओगे. प्लीज़…………………………..”
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------------------------एक साल बाद--------------------------
आदित्य ने धीरे से आँखे खोली. कोई नही था आस पास उसके. उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि वो कहा है और क्यों है. कोमा से उठने के बाद अक्सर ऐसा होता है.
“ज़रीना…ज़रीना कहा है? मैं यहा कैसे.” सबसे पहले उसे यही सूझा.
आदित्य अभी गहरी नींद से जागा था. दिमाग़ एक साल तक गहरी नींद में था. वापिस नॉर्मल होने में वक्त तो लगता ही है.
आदित्य उठ कर बैठ गया बिस्तर पर. रघु नाथ पांडे ने देख लिया उसे बैठे हुवे. उनकी ख़ुसी का ठीकाना नही रहा.
“बेटा तुम्हे होश आ गया. अरे सुनती हो आदित्य को होश आ गया.” रघु नाथ पांडे ने अपनी पत्नी को आवाज़ दी. वो भागी भागी आई.
“चाचा जी आप.”
“हां बेटा. हम तुम्हे अपने साथ मुंबई ले आए थे. वाहा गुजरात में हम तुम्हे अकेला नही छोड़ सकते थे.” रघु नाथ पांडे ने कहा.
“मेरा सर बहुत भारी है.” आदित्य ने सर पर हाथ रख कर कहा.
“सर पर भी मारा था उन कमिनो ने. तुम्हे कुछ याद है कौन थे वो.”
आदित्य सोच में पड़ गया. उसे कुछ धुन्द्ला धुन्द्ला याद आ रहा था.
“चलो छोड़ो वो सब. ज़्यादा ज़ोर मत डालो दिमाग़ पर. आ जाएगा सब कुछ याद खुद ही. हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे बेटा. तुम्हे आज होश में देख कर जो ख़ुसी मिली है उसे मैं शब्दो में नही कह सकता.” रघु नाथ पांडे ने कहा.
क्रमशः...............................
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