RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--14
गतान्क से आगे.....................
नहा धो कर सादे 6 बजे तक तैयार भी हो गया और निकल पड़ा होटेल से. उसने एक टॅक्सी पकड़ी लाइब्ररी पॉइंट से और निकल पड़ा केंप्टी फॉल्स की तरफ. उसके नज़दीक ही एक कस्बे में रुकी थी ज़रीना.
7 बजे पहुँच गया वो उस जगह पर. बच्चो के शोर से उसके दिल को तस्सल्ली मिली की वो सही जगह पहुँच गया है. बच्चो की आवाज़ गूँज रही थी हर तरफ. आवाज़ की तरफ उसके पाँव खींचे चले गये. एक बहुत बड़ा घर था, जिसके बाहर बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे.
एक बुजुर्ग बैठा था कुर्सी पर और 2 लड़कियाँ बच्चो को संभालने की कोशिस कर रही थी. एक का नाम रशिदा था और दूसरी का नाम अंजुम था. बच्चे अपने स्वाभाव के अनुसार इधर उधर भाग रहे थे. आदित्य को ज़रीना कही नज़र नही आ रही थी. आदित्य हर तरफ घूर-घूर कर देख रहा था.
रशिदा की नज़र आदित्य पर पड़ी तो वो उसके पास आई “क्या काम है आपको. कब से देख रही हूँ घूर-घूर कर देखे जा रहे हैं. बच्चो को अगवा करने का इरादा है क्या आपका.”
“नही आप मुझे ग़लत समझ रहे हैं. मैं दरअसल ज़रीना को ढूंड रहा था. कहा है वो”
“ज़रीना को ढूंड रहे थे ? क्यों ढूंड रहे थे ज़रीना को. क्या काम है उस से.”
“मेरा नाम आदित्य है और मैं गुजरात से आया हूँ. प्लीज़ जल्दी से उसे बुला दीजिए”
“तुम आदित्य हो?”
“हां क्यों? आपको कोई शक है.”
“नही…हैरान हूँ आपको देख कर. ज़रीना को बहुत तडपाया आपने.”
“क्या आप ज़रीना को बुला सकती हैं.”
“धीरे बोलो. यहा किसी और को ज़रीना और तुम्हारे बारे में नही पता. मंदिर गयी है वो आज. कुछ दिनो से सोच रही थी जाने को. कह रही थी कि मंदिर में भी फरियाद लगा दू आदित्य के लिए. क्या पता वो आ जाए वापिस मेरे पास.”
“कहा है ये मंदिर.”
“पास में ही है. आप शायद दूसरे रास्ते से आए हैं वरना ज़रीना रास्ते में ही मिल जाती आपको. बस अभी थोड़ी देर पहले ही निकली थी ज़रीना. थोड़ी देर पहले आते तो मिल ही जाती आपको.”
“रशिदा कौन है ये” उनको उस बुजुर्ग की आवाज़ आई जो कुर्सी पर बैठा था. उसका नाम रहमान था.
“जाओ तुम अब. ज़रीना से बाहर मंदिर में ही मिल लो. रहमान चाचा को पता चला तो तूफान मचा देंगे.”
“थॅंक यू वेरी मच. मैं निकलता हूँ.”
आदित्य मंदिर की तरफ दौड़ा. रास्ता समझ नही आ रहा था उसे. लोगो से पूछता-पूछता पहुँच ही गया मंदिर. भोले नाथ का मंदिर था वो. जब आदित्य वाहा पहुँचा तो ज़रीना सीढ़ियाँ चढ़ रही थी मंदिर की. आदित्य देखते ही झूम उठा ज़रीना को. इस कदर खुस हुवा कि एक आदमी से टकरा गया. “ओह सॉरी भाई…माफ़ करना.”
“क्या माफ़ करना देख कर चला करो यार, मेरा परसाद गिरा दिया.”
“माफ़ करना भाई…मगर परसाद बेकार नही जाएगा. चींटियाँ खा लेंगी उसे और इसका पुन्य आपको ही मिलेगा.”
“हां ठीक है ठीक है ज़्यादा लेक्चर मत दो मुझे.”
वो आदमी बड़बड़ाता हुवा आगे बढ़ गया. आदित्य फ़ौरन मंदिर की सीढ़ियों की तरफ दौड़ा. सीढ़ियाँ चढ़ कर वो उपर आया तो देखा कि ज़रीना कुछ असमंजस में है. वो इधर उधर देख रही थी कि क्या करे. पहली बार मंदिर आई थी वो. कैसे जान सकती थी कि मंदिर में जा कर करना क्या क्या होता है. एक लेडी ने जब मंदिर की घंटी बजाई तो उसने भी उसकी देखा देखी मंदिर की घंटी बजा दी.
आदित्य ये सब देख कर पीछे ही रुक गया. ज़रीना को देख कर मध्यम-मध्यम मुस्कुरा रहा था. ज़रीना बस उस लेडी को देख कर सब कर रही थी जिसको देख कर उसने घंटी बजाई थी. जब वो लेडी भगवान के आगे हाथ जोड़ कर आँख मीच कर खड़ी हुई तो ज़रीना भी ये देख कर आँख मीच कर हाथ जोड़ कर खड़ी हो गयी. आदित्य ये सब देख कर लोटपोट हो रहा था. मंदिर का पुजारी भी ज़रीना को देख कर मुश्कुरा रहा था. समझ गया था वो भी कि ये लड़की पहली बार मंदिर आई है.
मगर जब ज़रीना ने आँखे मीची तो उसे पता था कि क्या करना है. उसने मन ही मन में कहा, “हे भगवान. मुझे नहीं पता की आपकी पूजा कैसे की जाती है. कुछ भी नही जानती हूँ आपके बारे में. कुछ नही पता कि कैसे दुवा करूँ आदित्य के लिए आपके सामने. यहा बस एक फरियाद ले कर आई हूँ. अपने अल्लाह को भी ये फरियाद कर चुकी हूँ पर अभी तक कुछ हासिल नही हुवा. सोचा कि आपके आगे भी फरियाद कर दूं. आप तो आदित्य के भगवान हो. वो आपको मानता है. बहुत प्यार करती हूँ मैं आदित्य से. वो भी मुझे बहुत प्यार करता है. एक छोटी सी लड़ाई हुई थी हमारी और उसके बाद हम मिल नही पाए आज तक. आदित्य का कुछ पता भी नही चल रहा है कि वो है कहा. अगर आप उसके बारे में जानते हैं तो प्लीज़ उसे भेज दीजिए मेरे पास. मेरे लिए आदित्य के बिना जीना मुश्किल है. सच कह रही हूँ भगवान अगर आदित्य नही आया तो मैं मर जाउन्गि. और इल्ज़ाम मेरे अल्लाह पर भी आएगा और आप पर भी आएगा. हम क्यों जुदा हैं समझ नही आता जबकि बहुत प्यार करते हैं हम दोनो. कुछ कीजिएगा हमारे लिए भगवान. प्लीज़….”
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