RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
देल्ही में घुसते ही ज़रीना ने कहा, “आदित्य कोई ज़रूरत नही है हमें उसी होटेल में जाने की. हमें एरपोर्ट के पास ही किसी होटेल में रुकना चाहिए. बाकी तुम्हारी मर्ज़ी.”
“ह्म्म…. ठीक है. जैसा तुम कहो.”
आदित्य ने टॅक्सी वाले को एरपोर्ट के पास ही किसी होटेल में ले जाने को कहा.
ड्राइवर ने उन्हे महिपालपुर उतार दिया. ज़रीना ने आस पास नज़र दौड़ाई तो मायूस हो गयी. कोई भी ऐसी शॉप नही थी वाहा जहा से वो ब्रा खरीद पाती. आदित्य ज़रीना की असमंजस समझ गया. प्यार में अक्सर प्रेमी, एक दूसरे की परेशानी बिना कहे ही समझ जाते हैं.
होटेल के रूम में आकर आदित्य ने कहा, “ज़रीना मैं अभी आता हूँ. तुम आराम करो.”
“क्यों….कहा जा रहे हो तुम?” ज़रीना ने हैरानी में पूछा.
“कुछ नही रिसेप्षन से पूछ आता हूँ कि यहा से एरपोर्ट कितनी दूर है ताकि हम सुबह उसी अनुसार तैयार हो जायें.”
“जल्दी आना आदित्य. मेरा मन नही लगेगा अकेले यहा.”
“ओके”
आदित्य आ गया कमरे से बाहर. “कहा मिलेगी ब्रा…रिसेप्षन पर पता करता हूँ.”
आदित्य ने रिसेप्षन वाले से पूछा मगर उसे कुछ आइडिया नही था. आदित्य होटेल से बाहर आया और एक ऑटो लेकर निकल पड़ा. उसने ऑटो वाले को किसी मार्केट में ले जाने को कहा. आधा घंटा लगा मार्केट पहुँचने में.
इधर ज़रीना परेशान हो रही थी. “कहा रह गया आदित्य. रिसेप्षन पर ही तो गया था.”
ज़रीना टीवी ऑन करके बैठ गयी. मगर उसका मन सिर्फ़ आदित्य में ही अटका था.
अचानक दरवाजे पर नॉक हुई. ज़रीना ने दरवाजा खोला.
“आदित्य ये क्या मज़ाक है. एक घंटे में लौटे हो तुम वापिस. मेरी बिल्कुल भी चिंता नही है तुम्हे.”
“सॉरी…सॉरी…सॉरी…एक दोस्त मिल गया था मुझे. उसी से बात करने लग गया. वक्त का पता ही नही चला.”
“कितने गंदे हो तुम...मैं यहा परेशान हो रही हूँ और तुम बाते करने में व्यस्त थे.”
आदित्य ने कुछ नही कहा और सीधा वॉश रूम में घुस गया. 2 मिनिट बाद बाहर आ गया वो.
“ज़रीना तुम नहा ली क्या?”
“तुम्हारा वेट कर रही थी मैं. कुण्डी लगा कर कैसे जाती नहाने. तुम आते तो कौन खोलता.”
“हां वो तो है…चलो नहा लो तुम पहले. फिर मैं भी नहा लूँगा. फिर हम ढेर सारी बाते करेंगे.” आदित्य ने हंसते हुवे कहा.
ज़रीना ने एक तकिया उठाया और आदित्य पर फेंक कर मारा. “तुम सच में बहुत गंदे हो.” वो घुस गयी भाग कर वॉश रूम में.
अंदर आ कर जैसे ही उसने कुण्डी लगाई उसे खुँती पर एक ब्रा टगी मिली. ब्रा देखते ही उसके चेहरे पर हल्की सी मुश्कान बिखर गयी. वो नहा कर बाहर आई तो आदित्य बिस्तर पर आँखे बंद करके पड़ा था. ज़रीना ने बेड के पास रखी टेबल पर रखे नोट पॅड को उठाया और एक काग़ज़ पर कुछ लिख कर आदित्य के पास रख दिया और अपने गले से आवाज़ की “उह…उह”
आदित्य ने आँखे खोल कर देखा. “क्या हुवा गले में खरास है क्या. मैं अभी विक्क्स की गोली ले कर आता हूँ.”
“खबरदार इस कमरे से बाहर निकले तुम तो.” ज़रीना चिल्लाई.
आदित्य फ़ौरन उठ कर बैठ गया. जैसे ही वो बैठा उसे ज़रीना का रखा काग़ज़ का टुकड़ा दीखाई दिया. उसने वो उठाया.
उस पर लिखा था, “कहा से लाए. अछी है.”
आदित्य हंस दिया वो पढ़ कर. आदित्य ने टेबल से नोट पॅड उठाया और कुछ लिख कर उसने भी गले से आवाज़ की “उह..उह” और काग़ज़ ज़रीना की तरफ बढ़ा दिया. ज़रीना ने नज़रे झुका कर चुपचाप वो काग़ज़ पकड़ लिया.
उसमें लिखा था, “मुझे डर था कि कही तुम्हे पसंद ना आए.”
ज़रीना भी मुश्कुरा उठी ये पढ़ कर. वो बिस्तर के दूसरे कोने पर बैठ गयी और फिर से नोट पॅड उठा कर कुछ लिख कर आदित्य की तरफ बढ़ा दिया “उह..उह.”
आदित्य ने काग़ज़ पकड़ लिया और पढ़ने लगा.
उसमें लिखा था, “तुम कुछ लाओ और मुझे पसंद ना आए ऐसा कैसे हो सकता है. वैसे मेरा साइज़ कैसे पता लगा तुम्हे ??? .”
आदित्य ने तुरंत लिख कर ज़रीना की तरफ काग़ज़ बढ़ा दिया.
उसमें लिखा था, “अंदाज़े से ले आया. शूकर है अंदाज़ा सही निकला.”
ज़रीना काग़ज़ पढ़ कर मुश्कुरा दी. उसने तकिया उठाया और दे मारा आदित्य के सर पर. “चलो अब उठो यहा से. ये बिस्तर मेरा है…तुम कही और इंटेज़ाम कर लो.”
“हद होती है बेशर्मी की. पिछली बार भी होटेल में बिस्तर तुमने हथिया लिया था. इस बार भी क़ब्ज़ा करने पर तुली है. मुझे क्या बेवकूफ़ समझ रखा है.”
“आदित्य जाओ ना प्लीज़. बहुत थॅकी हुई हूँ मैं. नींद आ रही है बहुत तेज. थोड़ा सा सो लेने दो ना.”
“डिन्नर नही करोगी क्या?”
“नही…डिन्नर नही करती हूँ मैं. तुम्हारे बिना 2 टाइम का खाना ही मुश्किल से हाज़ाम होता था. अब तो आदत सी पड़ गयी है मुझे. डिन्नर किए हुवे साल बीत गया मुझे. कभी एक-दो बार खाया है मैने. पर ज़्यादातर मुझे शाम को भूक नही लगती है.”
“अब लगेगी…मैं आ गया हूँ ना.”
“देखते हैं. फिलहाल मुझे सोने दो. और जा कर नहा लो तुम.”
क्रमशः...............................
|