RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
सिमरन तुरंत कदमो में बैठ गयी आदित्य के और बोली, “नही प्लीज़ ऐसा मत बोलिए. मैने कुछ ग़लत कहा तो उसके लिए माफी चाहती हूँ आपसे पर आप अपने लिए ये सब ना बोलिए.”
“सिमरन उठ जाओ प्लीज़. मेरे कदमो में बैठ कर और गुनहगार मत बनाओ मुझे. सारी ग़लती मेरी ही है. काश इस शादी को मैं भी आपकी तरह शादी स्वीकार कर लेता तो आज ये दिन नही देखना पड़ता.
बहुत सुंदर हो आप. उस से भी ज़्यादा सुंदर आपका व्यक्तित्व है. कोई भी इंसान आपके जैसे जीवन साथी को पाकर खुद को धन्य महसूस करेगा. मगर मैं आज ऐसी जगह खड़ा हूँ जहा मैं चाह कर भी आपको स्वीकार नही कर सकता.”
“ऐसा क्यों है क्या बता सकते हैं मुझे.?” सिमरन ने पूछा.
“जिस तरह आपने मुझे अपने दिल में बैठा रखा है उसी तरह मैने अपने दिल में ज़रीना को बैठा रखा है…और मैं उसके बिना जी नही सकता. वो मेरी जींदगी है. अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ. तुम्हार साथ बचपन में शादी हुई थी. ज़रीना के साथ प्यार ने शादी करवा दी मेरी. खून से माँग भरी है मैने उसकी. तुम मुझे अपना पति मानती हो. और मैं ज़रीना को पत्नी मानता हूँ. तुम ही बताओ अब क्या किया जाए.”
तभी अचानक आदित्य की चाची दाखिल हुई कमरे में. चाची को देख कर सिमरन फ़ौरन आदित्य के कदमो के पास से उठ कर खड़ी हो गयी.
“मैं बताती हूँ क्या करना है. चलो अभी वापिस गुजरात. मिलना चाहती हूँ मैं इस ज़रीना से. देखूं तो सही क्या बला है वो, जो कि किसी और का घर उजाड़ने पर तुली है.”
“उसकी कोई ग़लती नही है चाची. सारी ग़लती मेरी है. और वो मेरे साथ ही आई है मुंबई. ”
“तो लेकर आओ उसे. या फिर हम चलते हैं होटेल में.”
“उसका इस सब से कोई लेना देना नही है. उसकी कोई ग़लती नही है.”
“बेटा जिसे तुम पत्नी मानते हो और जिस से शादी करना चाहते हो क्या उसे हमसे नही मिलवाओगे.?”
सिमरन एक तरफ खड़ी चुपचाप सब सुन रही थी.
“मैं भी चाहता हूँ कि आप सब मिलें उस से. और हमारे प्यार को स्वीकार करें.” आदित्य ने कहा.
“तो जाओ बेटा उसे अभी इसी वक्त ले आओ. हम मिलना चाहते हैं उस से.” चाची ने कहा.
“हां भैया ले आओ उसे. देखें तो सही कौन है वो जो हमारी प्यारी भाभी की जगह लेना चाहती है.” निशा ने कहा.
“बाद में मिल लेना शांति से अभी नही.” आदित्य ने कहा.
“ले आईए उन्हे. मैं भी उनसे मिलना चाहती हूँ.” सिमरन ने कहा.
आदित्य ने सिमरन की आँखो में देखा और बोला, “क्या आप सच में मिलना चाहती हैं उस से.”
“हां..जिस से आप इतना प्यार करते हैं, उस से मिलना शोभाग्य होगा मेरे लिए.” सिमरन ने कहा.
“ठीक है मैं अभी उसे लेकर आता हूँ. आप सभी को मेरी ज़रीना से मिल कर ख़ुसी होगी.” आदित्य उठ कर चल दिया.
आदित्य के जाने के बाद चाची ने सिमरन को गले से लगा लिया और बोली, “बेटा तुम चिंता मत करो. आने दो इस करम जली को. अकल ठिकाने लगाउन्गि मैं उसकी. हमारे सीधे साधे आदित्य को फँसा लिया. सोचा होगा अच्छा पैसा है, फॅक्टरी है और क्या चाहिए. तू फिकर मत कर आदित्य तेरा ही रहेगा. नाम से तो कोई मुस्लिम लगती है. मुस्लिम लड़की को तो अब बनाएँगे हम अपने घर की बहू.”
“पर चाची क्या फ़ायडा इस सब का. वो उसे प्यार करते हैं मुझे नही”
“पागल मत बनो तुम पत्नी हो आदित्य की और तुम्हे अपने हक़ के लिए लड़ना होगा. केयी बार अपना हक़ लड़ कर ही मिलता है.” चाची ने कहा.
“हां भाभी मम्मी ठीक कह रही हैं. हमें पता है कि भैया सिर्फ़ आपके साथ खुश रहेंगे. ये लड़की ज़रूर कोई चालबाज़ है जो कि खाता पीता घर देख कर एक शादी शुदा लड़के के पीछे पड़ गयी और अपने प्रेम जाल में फँसा लिया. देखो बेसरमी की भी हद कर दी..भैया के साथ यहा चली आई. ज़रूर उसके परिवार वाले भी शामिल होंगे उसके साथ.” निशा ने कहा.
“मुझे कुछ समझ नही आ रहा…पता नही ऐसा मेरे साथ ही क्यों हो रहा है.”
“सब ठीक हो जाएगा बस हिम्मत मत हारना.” चाची ने कहा.
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क्रमशः...............................
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