RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--23
गतान्क से आगे.....................
ज़रीना बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी आदित्य के लौटने का. बार बार यही दुवा कर रही थी कि सब ठीक ठाक रहे. जब रूम की बेल बजी तो तुरंत भाग कर दरवाजा खोला उसने.
“आदित्य तुम आ गये…सब ठीक है ना.” ज़रीना ने एक साँस में पूछा.
“हां लग तो सब ठीक ही रहा है. चलो तुम्हे लेने आया हूँ मैं. सब तुमसे मिलना चाहते हैं.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना थोड़ा परेशान सा हो गयी ये सुन कर. “मुझसे मिलना चाहते हैं…पर क्यों?”
“अरे मम्मी पापा के बाद अब चाचा, चाची ही मेरे सब कुछ हैं. उनसे तो मिलना ही पड़ेगा ना. हां थोड़ा गुस्से में हैं सभी. पर थोड़ा गुस्सा तो सहना ही पड़ेगा हमें. दिल के आछे हैं वैसे मेरे चाचा चाची. मुझे उम्मीद है कि वो हमारे प्यार को समझेंगे.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य वो तो ठीक है…पर मुझे डर सा लग रहा है.”
“अरे डरने की क्या बात है, मैं हूँ ना. मेरे होते हुवे काहे का डर.”
“ठीक है मैं थोड़ा बाल-वाल संवार लू. तुम 5 मिनिट वेट करो.” ज़रीना ने कहा.
5 मिनिट बाद ज़रीना आदित्य के साथ उसकी चाची के घर की तरफ जा रही थी.
“तुमने क्या बताया मेरे बारे में उन्हे.” ज़रीना ने कहा.
“कुछ नही बस इतना ही के तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ. ज़्यादा कुछ बताने का वक्त ही नही मिला. चाचा चाची गुस्से में हैं. हो सकता है कुछ उल्टा सीधा बोल दे. तुम शांत रहना. चुपचाप सब सुन लेना. ज़्यादा देर गुस्सा नही रहेंगे वो.” आदित्य ने कहा.
“वैसे मुझे गुस्सा आ जाता है बहुत जल्दी अगर कोई मुझे कुछ कहे तो. पर तुम्हारे लिए और इस प्यार के लिए सब सह लूँगी.” ज़रीना ने कहा.
“दट’स लाइक माइ ज़रीना. देखो जान वक्त हमें बहुत बुरी तरह आजमा रहा हैं. लेकिन ये वक्त बेकार नही जाएगा. कहते हैं की शांत समुंदर में नाव चला कर कोई अच्छा नाविक नही बन सकता. अछा नाविक बन-ने के लिए अशांत समुंदर की ज़रूरत होती है. जोखिम रहता है मानता हूँ मगर जोखिम के बिना इंसान जीना नही सीख पाएगा. भगवान किश्मत वालो को ही आजमाते हैं."
“वो तो ठीक है…इतना भी ना आजमाया जाए हमें कि टूट कर बिखर जायें हम.”
बाते करते-करते जल्दी ही पहुँच गये दोनो घर. चाची ने ही दरवाजा खोला इस बार भी.
“ह्म्म…तो तुम हो ज़रीना. सुंदर हो. बल्कि बहुत सुंदर हो. लगता है अपने चेहरे को ही हथियार बनाया है तुमने हमारे आदित्य को जाल में फँसाने के लिए.” चाची ने कटाक्ष किया.
ज़रीना ने आदित्य की तरफ देखा. आदित्य ने ज़रीना को पाँव छूने का इशारा किया.
ज़रीना पाँव छूने के लिए झुकी ही थी कि चाची दो कदम पीछे हट गयी और बोली, “बस-बस नाटक मत करो … आओ अंदर.”
ज़रीना अंदर आ गयी चुपचाप आदित्य के साथ. आदित्य के चाचा सोफे पर बैठे थे.
“ज़रीना ये हैं मेरे चाचा जी” आदित्य ने चाचा की तरफ हाथ से इशारा करके कहा.
ज़रीना उनके पाँव छूने के लिए उनकी तरफ बढ़ी पर उन्होने उसे हाथ का इशारा करके पीछे ही रोक दिया, “इसकी कोई ज़रूरत नही है.”
“चाचा जी ऐसा क्यों कह रहे हैं?” आदित्य ने मायूसी भरे भाव में कहा.
“आदित्य तुम अपने चाचा जी के पास बैठो हमे ज़रीना से अकेले में कुछ बात करनी है.” चाची ने कहा.
“चाची जी जो बात करनी है मेरे सामने कीजिए. ये कही नही जाएगी. मैं यहा ज़रीना को आप लोगो से मिलवाने लाया हूँ पर ये देख कर दुख हो रहा है कि आप लोग अपमान कर रहे हैं मेरे प्यार का. मेरे सामने ही इतना कुछ हो रहा है तो अकेले में तो सितम ढा देंगे आप लोग. चलो ज़रीना वापिस चलते हैं. किसी से कोई बात करने की ज़रूरत नही है.” आदित्य ने कहा.
“भैया हमें बात तो करने दीजिए. हम कोई राक्षस नही हैं जो कि खा जाएँगे इन्हे. यू गुस्सा होने से बात नही बनेगी. किसी समस्या का हाल बात चीत से ही निकलता है.” निशा ने कहा.
“तो बात चीत मेरे सामने कीजिए ना. अकेले में क्या कोई सीक्रेट बात करनी है.” आदित्य ने कहा.
“भैया हम सब आपका भला चाहते हैं. प्लीज़ हमें बात करने दीजिए इनसे. और इनका और सिमरन का मिलना ज़रूरी है. ये दोनो मिल कर इस बात का हल निकाले तो ज़्यादा अछा रहेगा.” निशा ने कहा.
“हां आदित्य आओ तुम यहा बैठो मेरे पास. ये लोग इस से कुछ बात करना चाहते हैं तो तुम्हे क्या दिक्कत है. ऐसे बच्चो की तरह बिहेव नही किया करते.” रघु नाथ ने कहा.
“ठीक है कर लो बात चीत. मगर मेरे प्यार का अपमान मत करना. मेरी जींदगी है ये और अगर इश्कि आँखो में आँसू आए तो मेरा दम निकल जाएगा.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना के चेहरे पर अजीब कसम्कश थी. आदित्य उसकी ओर देख कर उसकी हालत समझ गया और उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “सुन लो क्या कहते हैं ये लोग. हम हर हाल में एक हैं और एक रहेंगे.किसी बात की चिंता मत करना.”
ज़रीना, निशा और चाची के साथ उस कमरे में आ गयी जिस मे सिमरन थी. सिमरन बिस्तर पर टांगे सिकोड कर घुटनो पर सर रख कर बैठी थी जब वो लोग अंदर आए.
“ये है सिमरन, मेरी प्यारी भाभी. भाभी ये है ज़रीना.” निशा ने दोनो को इंट्रोड्यूस करवाया.
ज़रीना और सिमरन ने एक दूसरे को देखा मगर कुछ बोले नही. निशा ने एक कुर्सी दे दी ज़रीना को बैठने के लिए.
“थॅंक यू.” ज़रीना ने कुर्सी पर बैठते हुवे कहा. निशा भी ज़रीना के साथ ही एक दूसरी कुर्सी खींच कर बैठ गयी. चाची बिस्तर पर टाँग लटका कर बैठ गयी.
“क्या तुम मुस्लिम हो?” चाची ने पूछा.
“जी हां” ज़रीना ने जवाब दिया.
“एक तो खून ख़राबा मचा रखा है तुम लोगो ने देश में. कभी भी कही भी बॉम्ब लगा देते हो. अब हमारे रिश्तो में भी दरार डालने लग गये तुम लोग. चाहती क्या हो तुम.” चाची ने कटाक्ष किया.
ज़रीना को बहुत गुस्सा आया ये सुन कर. चेहरा गुस्से से लाल हो गया उसका. गुस्सा स्वाभाविक भी था क्योंकि उसके अस्तित्व पर चोट की गयी थी. मगर वो चुप रही. कुछ नही कहा. वादा जो किया था आदित्य से सब कुछ शांति से सुन ने का. प्यार में क्या कुछ नही सहना पड़ता.
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