RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
“अरे यार हमने ये सब पहले क्यों नही सोचा. हम सिमरन के साथ ही देल्ही जा सकते थे. चलो कोई बात नही कल चल देंगे हम देल्ही. सही कहा तुमने ये मामला कोर्ट में अटक गया तो हमारी शादी अटक जाएगी...कोर्ट के बिना ही ये मसला हल करना होगा. अब जबकि सिमरन हमारे साथ है तो कोई ज़्यादा दिक्कत नही होनी चाहिए.”
ज़रीना हल्का सा मुश्कुराइ मगर अगले ही पल उसके चेहरे पर फिर से शिकन उभर आई.
“अब क्या हुवा जान. कोई और बात भी है क्या जो तुम्हे परेशान कर रही है.”
“नही और कुछ नही है चलो खाना खाते हैं.”
“नही कुछ तो है. तुम्हारे चेहरे पर ये शिकन इशारा कर रहा है कि कुछ और बात भी है जो की तुम्हे अंदर ही अंदर खाए जा रही है.”
“नही तुम्हे दुख होगा रहने दो.”
“बोलो ना क्या बात है जान. इस प्यारे रिश्ते में अब कोई भी बात पर्दे के पीछे नही रहनी चाहिए. बोलो ना प्लीज़ क्या बात है?”
“हमारे बीच शादी से पहले ही सेक्स शुरू हो गया. मेरे अम्मी-अब्बा ज़िंदा होते आज अगर और उन्हे इस बारे में पता चलता तो वो मुझे जान से मार देते.” ज़रीना नज़रे झुका कर बोली.
“क्या कहा तुमने सेक्स शुरू हो गया हाहहहाहा….. इस से ज़्यादा लोटपोट कर देने वाला चुटकुला नही सुना मैने कभी. अरे पागल हमने भावनाओं में बह कर बस किस ही तो की है एक दूसरे को. वो किस सेक्स के दायरे में नही आती.”
“तुम्हे क्या मैं बेवकूफ़ लगती हूँ या फिर तुम्हे ये लगता है कि मेरा दिमाग़ खिसका हुवा है. मेरे मज़हब ने मुझे शादी से पहले किसी बात की इज़ाज़त नही दी. किस तो बहुत बड़ी बात होती है.”
“हां मानता हूँ जान. शादी से पहले सेक्स में उतर जाना ग़लत है. पर हमारी किस पवित्र थी. उस पर कोई इल्ज़ाम बर्दास्त नही करूँगा मैं.”
“सॉरी आदित्य मेरी परवरिश ऐसे माहॉल में हुई है जहा शादी से पहले सेक्स से जुड़ी हर चीज़ को ग्लानि से देखा जाता है.” ज़रीना ने कहा.
“तो क्या तुम हमारी किस को अब ग्लानि से देख रही हो?”
“नही मैं ये पाप भी नही कर सकती क्योंकि इस प्यार में वो अब तक का सबसे हसीन पल था मेरे लिए. ऐसा लग रहा था जैसे मैं तुम्हारे बाहुत करीब पहुँच गयी हूँ.”
“और क्या तुमने एक बात नोट की.”
“कौन सी बात.”
“तुमने कहा था कि मुझे चुंबन लेना नही आता मगर तुम्हारे होन्ट तो खूबसूरत चुंबन की एक दास्तान लिख रहे थे मेरे होंटो पर.”
ज़रीना का चेहरा लाल हो गया ये सुन कर. वो कुछ देर खामोश रही. फिर अचानक नज़रे आदित्य के कदमो पर टिका कर बोली, “हमने कुछ ग़लत तो नही किया ना आदित्य.”
“मैं तो इतना जानता हूँ ज़रीना कि प्यार भगवान है. अगर इस प्यार में बह कर हम कुछ कर बैठे तो वो हरगिज़ ग़लत नही हो सकता. बल्कि मैं तो बहुत खुश हूँ उस चुंबन के बाद. रह रह कर मेरे होंटो पर मुझे अभी तक तुम्हारे होंटो की छुवन महसूस हो रही है. बहुत प्यारा अहसास मिला है जींदगी में ये.”
“अच्छा खाना मॅंगा लो. भूक लग रही है.”
“एक बात तो तुम्हे बतानी ही पड़ेगी. चुंबन लेना कहा से सीखा तुमने.”
“हटो…मैं इस बात को लेकर परेशान हूँ और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”
“उस वक्त तो तरह-तरह से मेरे होंटो से खेल रही थी अब परेशान हो रही हो हहेहहे. मेरी ज़रीना गिरगिट की तरह रंग बदलती है.”
“आदित्य अब तुम्हारी खैर नही…” ज़रीना ने कहा. प्यार भरा गुस्सा था उसकी आवाज़ में.
आदित्य भाग कर टाय्लेट में घुस्स गया और कुण्डी लगा ली.
“निकलो बाहर. तुम्हारी जान ले लूँगी मैं आज.”
“उस से पहले खाना खिला दो मुझे. खाने का ऑर्डर कर दो. मैं नहा कर ही निकलूंगा बाहर अब हाहहाहा.”
ज़रीना पाँव पटक कर रह गयी.
क्रमशः...............................
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