RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--29
गतान्क से आगे.....................
जब दिल में बहुत ज़्यादा ख़ुसी हो तो अक्सर आँखो की नींद खो जाती है. दिल हर वक्त बेचैन सा रहता है. ऐसा ही कुछ हो रहा था आदित्य और ज़रीना के साथ.एक तो चुंबन की खुमारी थी उपर से होने वाली शादी की ख़ुसी. दोनो पर अजीब सा नशा कर दिया था प्यार ने.
अचानक ज़रीना को कुछ ख़याल आया, “आदित्य हम जब से मार्केट से आयें हैं यही पड़े हैं. क्या हमने खाना खाया?”
“अरे खा लेंगे खाना भी. जब तुम पास हो तो भूक प्यास किस कम्बख़त को लगती है.”
“अरे कैसी बात कर रहे हो. खाना खा कर हमे जल्दी सो जाना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर हमें तैयार भी तो होना है.” ज़रीना ने कहा.
“मैं तो किसी भी वक्त उठ कर मॅनेज कर लूँगा. तुम लड़कियों को ही वक्त लगता है तैयार होने में.”
“मेरी शादी हो रही है…तैयार होने में वक्त तो लगेगा ना.”
“अछा बाबा मैं ऑर्डर देता हूँ. तुम एक गरमा गरम चुंबन तैयार रखो. खाने के बाद स्वीट डिश की तरह काम आएगा.”
“जी हां जनाब बिल्कुल. मेरा तो यही काम रह गया है. चलिए अपना रास्ता देखिए… मुझे और भी बहुत काम हैं.”
“काम कैसा काम?”
“मुझे बहुत कुछ सोचना है कल के बारे में. मुझे ये भी नही पता अभी कि शादी के लिए तैयार कैसे होना है.”
“हो जाएगा सब…तुम चिंता मत करो…मैं खाने का ऑर्डर देता हूँ…क्या लोगि तुम.”
“मॅंगा लो कुछ भी ज़्यादा भूक तो है नही.”
“ओके.” आदित्य ने फोन उठा कर खाने के लिए बोल दिया.
खाना खाने के बाद ज़रीना बिस्तर पर पसर गयी और बोली, “अब यहा कोई भी आने की जुर्रत ना करे. हमें नींद आ रही है.”
“हहहे….झूठ बोल रही हो तुम.नींद नही आने वाली आज…चाहे कुछ कर लो तुम. मेरी बाहों में रहोगी तो शायद नींद आ भी जाए. अकेले तो बिल्कुल भी नही सो पाओगि तुम”
“कुछ भी हो यहा नही आओगे तुम अब.”
“कोई बात नही जान. आज रात छ्चोड़ देता हूँ तुम्हे अकेला. कल से देखता हूँ कैसे भगाओगि मुझे तुम बिस्तर से.”
“कल की कल देखेंगे.” ज़रीना ने होंटो पर प्यारी सी मुश्कान बिखेर कर कहा.
प्यार ने धीरे धीरे एक हसीन कामुक रस भर दिया था दोनो की जींदगी में. इन्ही बातों के कारण ज़रीना आदित्य से शरमाने लगी थी. हर पल उनका रिश्ता नया रूप ले रहा था और नये रंग में रंग रहा था. प्यार हर तरह के रंग भरने की कोशिस करता है प्रेमियों की जींदगी में. ज़रीना खुस थी मगर अपने संस्कारों के कारण झीजक और शरम उसके अस्तित्व को घेरे हुवे थी. ये बातें उसके चरित्र की सुंदरता को और ज़्यादा बढ़ाती थी. आदित्य भी अंजान नही था अपनी ज़रीना के इस स्वाभाव से. मन ही मन मुश्कूराता था वो ज़रीना की इन बातों पर. तभी तो उसे छेड़ता था बार बार. काम रस भी प्रेमियों की जींदगी में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की प्रेम रस.
ज़रीना करवटें बदलती रही रात भर. बड़ी मुश्किल से आँख लगी थी उसकी. यही हाल आदित्य का भी था. ज़रीना तो सुबह 5 बजे ही उठ गयी. 6 बजे आदित्य की आँख खुली तो उसने देखा कि ज़रीना गुम्सुम और उदास बैठी है बिस्तर पर. आदित्य ज़रीना के पास आया और बोला, “क्या हुवा जान…इतनी परेशान सी क्यों लग रही हो?”
“आदित्य दुल्हन की तरह सजना मुझे आता ही नही. समझ में नही आ रहा की क्या करूँ.”
“हे जान परेशान क्यों होती हो. तुम तो बिना सजे सँवरे ही मेरे दिल पर सितम धाती हो. ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नही है. थोड़ा बहुत सज लो काम बन जाएगा.”
“मज़ाक मत करो. जींदगी भर हमारे साथ मेमोरी रहेगी इस दिन कि. मैं दुल्हन की तरह दिखना चाहती हूँ आदित्य.”
“अछा मैं कुछ करता हूँ तुम चिंता मत करो.” आदित्य ने कहा.
आदित्य ने होटेल रिसेप्षन पर इस बारे में बात की. रिसेप्षनिस्ट ने एक लड़की को फोन मिलाया, “हाई जिम्मी…यहा एक लड़का लड़की ठहरे हुवे हैं होटेल में. दोनो आज मंदिर में शादी कर रहे हैं. क्या तुम लड़की को दुल्हन की तरह सज़ा दोगि आकर.”
“दोनो घर से भागे हुवे हैं क्या?” जिम्मी ने पूछा.
“उस से कुछ फरक पड़ेगा क्या?”
“नही वैसे ही पूछ रही हूँ. मैं आ रही हूँ 30 मिनिट में.”
“ओके थॅंक यू सो मच.” रिसेप्षनिस्ट ने कहा.
“बात बन गयी…वो आ रही है आधे घंटे में.”
“थॅंक यू सो मच डियर. आपका नाम क्या है.”
“आइ आम मनीष फ्रॉम शिमला. हमारे होटेल की ब्रांच शिमला में भी है. शादी के बाद हनिमून के लिए आप वाहा आ सकते हैं. हम आपके लिए स्पेशल कन्सेशन देंगे.”
“सो नाइस ऑफ यू मनीष जी. कभी वक्त लगा तो ज़रूर आएँगे.”
आदित्य वापिस कमरे में आ गया और बोला, “सब इंटेज़ाम हो गया है. तुम्हे सजाने के लिए एक लड़की आ रही है, जिम्मी नाम है उसका.मैं नहा धो कर तैयार हो जाता हूँ जल्दी से वो आएगी तो मुझे बाहर जाना होगा.”
“हां हां तुम जल्दी करो कही हम लेट ना हो जायें. 11 बजे मंदिर पहुँचना है याद है ना.”
“जानेमन मैं तो तैयार हो जाउन्गा अभी…सारा वक्त तो तुम्हे ही लगना है हहेहहे.” आदित्य मुश्कूराता हुवा वॉशरूम में घुस्स गया.
आदित्य नहा कर नये कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सोफे पर एक लड़की बैठी है.
“आदित्य ये जिम्मी है. अब तुम बाहर जाओ जल्दी मुझे भी तैयार होना है.
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