RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
आदित्य ने जिम्मी को गुड मॉर्निंग विश किया और चुपचाप बाहर आ गया. कोई 10 बजे जिम्मी रूम से बाहर निकली और बोली, “तुम्हारी दुल्हन तैयार है…जाओ देख लो जाकर. तुम्हे ऐतराज ना हो तो क्या शादी में मैं भी आ सकती हूँ.”
“मुझे भला क्यों ऐतराज़ होगा. हम वैसे भी अकेले हैं. कोई साथ होगा तो अछा ही लगेगा.” आदित्य ने जिम्मी को उस मंदिर का पता बता दिया जहा शादी होने जा रही थी.
“थॅंक्स…मैं पूरे 11 बजे वाहा पहुँच जाउन्गि. बाइ.” जिम्मी ने कहा.
आदित्य कमरे में आया तो ज़रीना को देखता ही रह गया, “ऑम्ग मेरी ज़रीना आज कतल कर देगी मेरा. अफ क्या लग रही हो तुम.”
ज़रीना ने अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया शरम के मारे, “मुझे छेड़ो मत ऐसे नही तो शादी नही करूँगी तुम्हारे साथ.”
“अच्छा” आदित्य शरारती अंदाज़ में ज़रीना की तरफ बढ़ा.
“छूना मत मुझे… सारा मेक अप खराब हो जाएगा.” ज़रीना पीछे हट-ते हुवे बोली.
“प्लीज़ जान थोड़ा करीब तो आने दो. बहुत प्यारी लग रही हो तुम. सच में बहुत सुंदर सजाया है जिम्मी ने तुम्हे. तुम्हे मेरी नज़र ना लग जाए.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना बस हल्का सा मुश्कुरा दी आदित्य की बात पर और बोली, “हमें चलना चाहिए आदित्य. कही हम लेट ना हो जायें. देल्ही के ट्रॅफिक का कोई भरोसा नही है.”
“एक मिनिट ज़रा जी भर कर देख तो लेने दो मुझे अपनी दुल्हनिया को.” आदित्य ने कहा.
“उफ्फ तुम्हारे देखने के चक्कर में हमारी शादी ना डेले हो जाए.”
“क्या बात है बड़ी जल्दी में हो शादी की. लगता है मुझे जला कर राख करने की जल्दी है तुम्हे. अच्छी बात है. मैं खुद तड़प रहा हूँ खाक में मिल जाने के लिए.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य तुम मुझे बार-बार इन बातों में मत उलझाया करो. हम लेट हो रहे हैं और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”
“ओके ओके जान अब गुस्सा मत करो. तुम वैसे ही बहुत प्यारी लग रही हो. गुस्सा करोगी तो जान निकल जाएगी मेरी. गुस्से में तो तुम और ज़्यादा प्यारी लगती हो. चलो चलते हैं. मैने एक टॅक्सी कर ली है मंदिर तक जाने के लिए.”
“ठीक है चलो अब ज़्यादा देर मत करो.”
ज़रीना और आदित्य हंसते मुश्कूराते होटेल से बाहर आए और टॅक्सी में बैठ कर मंदिर की तरफ चल दिए. जब वो मंदिर पहुँचे तो हैरान रह गये. मंदिर सज़ा हुवा था.
“लगता है कोई और कार्यकरम भी है मंदिर में.” आदित्य ने कहा.
“आदित्य कोई गड़बड़ तो नही होगी ना.”
“अरे नही पागल कोई गड़बड़ नही होगी. मंदिर के पंडित जी मुझे भले व्यक्ति लगे. ज़्यादा ओल्ड नही हैं वो. यंग पुजारी हैं. तभी शायद उन्होने हमारे प्यार को समझा.” आदित्य ने कहा.
आदित्य और ज़रीना मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़े ही थे कि उन्हे पंडित जी मिल गये.
“नमस्कार पंडित जी” आदित्य ने कहा. ज़रीना ने भी सर हिला कर नमस्कार किया.
“आओ आदित्य आओ. हम तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहे थे. तुम कह रहे थे कि तुम्हारा यहा कोई नही मगर देखो भगवान की क्या लीला है. तुम दोनो की कहानी सुन कर बहुत लोग इकट्ठा हो गये हैं यहा पर. मुझे उम्मीद है तुम दोनो को बुरा नही लगेगा.”
“नही पंडित जी कैसी बात कर रहे हैं आप.”
“आओ मैं सभी से तुम्हारा परिचय करवाता हूँ.”
“अपना परिचय भी दे दीजिए पंडित जी.” आदित्य ने कहा.
“मेरा नाम रवि है आदित्य. आओ बाकी मित्रो से भी मिल लो.” रवि ने कहा.
“आओ ज़रीना.” आदित्य ने ज़रीना से कहा. ज़रीना थोड़ी घबराई सी लग रही थी.
अगले ही पल उन्हे बहुत सारे लोगो ने घेर लिया.
“ये हैं आलोक जी. इन्हे जैसे ही मैने बताया कि तुम दोनो की शादी है कल तो मेरे बोलने से पहले ही कन्यादान के लिए तैयार हो गये.ये ही कन्यादान करेंगे.” रवि ने कहा.
“और मैं खुद को ख़ुसनसीब समझूंगा.” आलोक ने कहा.
“ख़ुसनसीब तो हम समझेंगे खुद को आलोक जी.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना और आदित्य ने आलोक को हंस कर हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“ये हैं जावेद जी. ये यहा हैं तो चिंता की कोई बात नही है. ये तो तुम दोनो को फरिश्ता मानते हैं”
आदित्य और ज़रीना ने जावेद को हंस कर हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“ये है मिनी. हम इसे छुटकी कहते हैं.”
मिनी ने आगे बढ़ कर ज़रीना को गले लगा लिया और बोली, “मैं तुम्हारी तरफ से हूँ शादी में. खुद को अकेली मत समझना.”
“थॅंक यू मिनी.” ज़रीना ने कहा.
“ये हैं विवेक जी. तुम दोनो की कहानी सुन कर बहुत भावुक हो गये थे. दिल के बहुत अच्छे हैं. बिज़ी होने के बावजूद भी ये यहा आने से खुद को रोक नही पाए.”
“ये हैं सिकेन्दर जी. ये यहा खुशी खुशी केटरिंग का इंटेज़ाम कर रहे हैं.”
“केटरिंग.” आदित्य हैरान रह गया.
“हां केटरिंग. तुम दोनो की शादी है..पार्टी तो होनी ही चाहिए ना.”
“जी हां सरकार खाने पीने का अपनी तरफ से अच्छा परबंध किया है.”
आदित्य और ज़रीना ने हाथ जोड़ कर सिकेन्दर का शुक्रिया किया.
क्रमशः...............................
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