RE: Incest Kahani एक अनोखा बंधन
एक अनोखा बंधन--31
गतान्क से आगे.....................
ज़रीना ने प्यार से ठोकर मारी उस लोटे को और अंदर आ गयी. आदित्य ने फॉरन दरवाजा बंद किया और ज़रीना को बाहों में भर लिया.
“अरे छ्चोड़ो ये क्या कर रहे हो.”
“कब से तड़प रहा हूँ मैं अब और नही रुका जाता.”
“लंबे सफ़र से आए हैं हम. थोड़ा आराम तो कर लें.” ज़रीना ने कहा.
“मुझे अपनी जान से प्यार करना है. ढेर सारा प्यार. आराम करने का मन नही है अभी.”
“देखो वाहा वो क्या है दीवार पर” ज़रीना ने कहा.
जैसे ही आदित्य ने दीवार पर देखा ज़रीना आदित्य को धक्का दे कर एक कमरे में घुस्स गयी.
आदित्य भागा उसकी तरफ मगर अंदर से कुण्डी लग चुकी थी.
“जान प्लीज़…बाहर आओ तुरंत. ऐसे मत तड़पाव मुझे." आदित्य ने दरवाजा पीट-ते हुवे कहा.
ज़रीना ने अंदर घुसते ही अपने दिल पर हाथ रखा. दिल बहुत ज़ोर से धड़क रहा था. “तुम्हे क्या हो गया अचानक ये. मुझे डर लग रहा है तुमसे.” ज़रीना ने कहा.
“जान ये सब क्या है. शादी से पहले भी दूर भागती थी और शादी के बाद भी दूर भाग रही हो. क्यों तडपा रही हो मुझे. मैं तड़प तड़प कर मर जाउन्गा. प्लीज़ दरवाजा खोलो.” आदित्य ने कहा.
ज़रीना ने अंदर से आवाज़ दी, “पहली बार बहुत डर लग रहा है तुमसे.”
“अरे डरने की क्या बात है. अच्छा दरवाजा तो खोलो मैं कुछ नही करूँगा.”
“पक्का.” ज़रीना ने कहा.
“हां पक्का.”
ज़रीना ने दरवाजा खोला डरते-डरते.
“ये हुई ना बात. अब तुम्हारी खैर नही” आदित्य ने ज़रीना का हाथ पकड़ लिया.
“नही आदित्य प्लीज़…तुमने वादा किया था कि कुछ नही करोगे.” ज़रीना गिड़गिडाई और छटपटाने लगी.
ज़रीना पूरी कोशिस कर रही थी अपना हाथ छुड़ाने की मगर आदित्य ने बहुत कस कर पकड़ रखा था उसका हाथ. छटपटाहट में ज़रीना की सारी का पल्लू सरक गया नीचे. आदित्य की नज़र ज़रीना के ब्लाउस पर पड़ी तो उसने फॉरन हाथ छ्चोड़ दिया ज़रीना का, “सॉरी पता नही मुझे क्या हो गया है.”
आदित्य ज़रीना को वही छ्चोड़ कर ड्रॉयिंग रूम में आकर सोफे पर बैठ गया. उसे ये फील हुवा कि वो ज़रीना के साथ ज़बरदस्ती कर रहा है.
ज़रीना एक पल को वही खड़ी रही फिर अपना पल्लू सही करके आदित्य के पास आकर उसके कदमो में बैठ गयी. अपना सर उसने आदित्य के घुटनो पर रख दिया.
“नाराज़ हो गये मुझसे?" ज़रीना ने प्यार से पूछा
“मैं बहुत तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए जान. तुम मुझसे दूर रहो अभी... नही तो कुछ कर बैठूँगा मैं.”
“ठंडे पानी से नहा लो सब ठीक हो जाएगा हहेहहे.” ज़रीना ने हंसते हुवे कहा.
“अछा मतलब कि तुम मेरे लिए कुछ नही करने वाली.”
“मुझे कुछ समझ में नही आ रहा कि क्या करूँ.”
“मुझे भी कहा कुछ समझ आ रहा है. बस पागल पन सा सवार है. शायद सेक्स ऐसा ही जादू करता है.”
“तभी तो डर लग रहा है मुझे तुमसे.”
“चलो छ्चोड़ो ये सब. हम आराम करते हैं. तुम नहा लो थक गयी होगी.”
“हां थक तो बहुत गयी हूँ. पर पहले तुम नहा लो. तब तक मैं खाने को कुछ बना देती हूँ. किचॅन का काम करके ही नहाना ठीक रहेगा.” ज़रीना ने कहा.
“अरे मेरी नयी नवेली दुल्हन काम करेगी. मैं बाहर से ले आता हूँ कुछ.”
“नही तुम कही नही जाओगे. मैं अपने आदित्य के लिए कुछ ख़ास बनाउन्गि आज.”
“चिकन कढ़ाई बना रही हो क्या.”
“दुबारा मत बोलना ऐसी बात. नोन-वेग के नाम से भी नफ़रत है मुझे.”
“उफ्फ गुस्से में कितनी प्यारी लग रही हो तुम. यार अब एक किस तो दे दो कम से कम. शादी के दिन कितना तडपा रही हो तुम मुझे.”
“मैं तो तुम्हारे भले की सोच रही थी कि कही जल कर राख न हो जाओ. हहेहहे.”
“राख ही कर दो. कुछ तो करो मेरी बेचैनी को दूर करने के लिए.”
“नहा लो चुपचाप जा कर. मुझे किचन में बहुत काम है.” ज़रीना उठ कर चल दी.
“उफ्फ लगता है आज मेरी जान ले लोगि तुम.”
|