RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वह किसी भारी-भरकम सामान की तरह बड़ी तेजी के साथ नीचे गिरता चला गया था ।
हवा उसे खदेड़े दे रही थी ।
तभी पैराशूट खुल गया ।
पैराशूट खुलते ही कमाण्डर के शरीर को जोरदार झटका लगा ।
अब पैराशूट की बड़ी छतरी ऊपर की तरफ बन गयी और उसका शरीर नीचे लटक गया ।
उसके गिरने में अब संतुलन आ गया था ।
कमाण्डर करण सक्सेना को एक ही खतरा था, वह किसी पेड़ पर न जा गिरे ।
बहरहाल ऐसा कुछ न हुआ ।
वह धम्म से जंगल की हल्की दलदली जमीन पर जाकर गिरा और फिर पैराशूट बांधे-बांधे काफी दूर तक दौड़ता चला गया ।
वह बिल्कुल सुरक्षित रूप से नीचे उतर आया था ।
सिर्फ घुटने में हल्की खरोंचें आयीं ।
तब रात में दो बज रहे थे और चारों तरफ घोर अंधकार था ।
नीचे उतरते ही उसने सबसे पहले पैराशूट अपने जिस्म से अलग किया । फिर उसके अंदर भरी हवा निकालकर उसका बंडल बनाया और उसके बाद उसमें आग लगा दी ।
पैराशूट धूं-धूं करके जल उठा ।
पलक झपकते ही वो राख हो चुका था ।
“हैलो-हैलो !” दूसरी तरफ से ट्रांसमीटर सैट पर निरंतर गंगाधर महन्त की आवाजें आ रही थीं- “तुम इस वक्त कहाँ हो करण ? क्या तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो ?”
सबसे बड़ी बात ये है कि गंगाधर महन्त अब एक ऐसी कोड भाषा में बोल रहे थे, जिसे इस पूरी दुनिया में सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना ही समझ सकता था ।
उस मिशन के लिए खासतौर पर वो कोड भाषा ईजाद की गयी थी ।
“करण, तुम मेरी आवाज सुन रहे हो या नहीं ?” गंगाधर महन्त की ट्रांसमीटर सैट पर पुनः आवाज गूंजी- “तुम सुरक्षित रूप से नीचे उतर चुके हो या नहीं ?”
“यस चीफ !” कमाण्डर करण सक्सेना ने भी बड़े तत्पर अंदाज में उसी कोड भाषा में जवाब दिया- “मैं बिल्कुल सुरक्षित बर्मा के जंगल में पहुँच चुका हूँ और मैं महसूस करता हूँ कि बहुत जल्द मेरा अब दुश्मन से मुकाबला होगा ।”
“ओह !” दूसरी तरफ गहरी खामोशी छा गयी ।
“दुश्मन बेहद ताकतवर है चीफ !” कमाण्डर पुनः बोला- “उसके पास ऐेसे इलैक्ट्रानिक गैजेट भी हो सकते हैं, जो वह ट्रांसमीटर पर होने वाली हमारी इस बातचीत की फ्रीक्वेंसी को कैच कर लें । इसलिये इस पल के बाद हमारे बीच ट्रांसमीटर पर भी कोई बातचीत नहीं होगी ।”
“ओके करण ! लेकिन अगर तुम किसी बड़ी मुश्किल में फंस जाओ, तो मुझे जरूर इन्फार्मेशन देना ।”
“जरुर चीफ !”
“गॉड ब्लैस यू माई सन एण्ड गुड नाइट ।”
“गुड नाइट !”
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।
कमाण्डर ने ट्रांसमीटर का हैडफोन अपने सिर से उतारा और पूरा ट्रांसमीटर सैट अपने ओवरकोट की गुप्त जेब में रख लिया ।
उसने सितारों टंके काले आसमान की तरफ देखा ।
उस थ्री सीटर विमान का अब वहाँ दूर-दूर तक कहीं कुछ पता नहीं था, जो उसे वहाँ छोड़ गया था ।
जंगल में ठण्डी-ठण्डी हवा अभी भी चल रही थी ।
दूर कहीं से किसी सियार के रोने की आवाज आ रही थी, जिसने जंगल के उस वातावरण को और भी ज्यादा खौफनाक बना दिया था ।
सचमुच बर्मा का वह जंगल बड़ा खतरनाक था । दुनिया के सबसे बड़े ‘अनाकोंडा’ अजगर अगर वहाँ थे, तो उन बारह योद्धाओं ने अफ्रीका के माम्बा सांप भी वहाँ लाकर छोड़ रखे थे । लाल चींटियों के तो वहाँ झुंड के झुंड थे और अफ्रीकन गुरिल्लों की भी एक बड़ी प्रजाति उस जंगल में मौजूद थी ।
कमाण्डर को इस बार काफी तैयारियों के साथ उस मिशन पर भेजा गया था ।
उसकी चुस्त पेंट पर दोनों साइडों में स्प्रिंग ब्लेड बंधे थे ।
स्प्रिंग ब्लेड खास तरह के चाकू थे, जिन्हें उस मिशन के लिए स्पेशल तौर पर तैयार किया गया था ।
उन स्प्रिंग ब्लेड के दोनों तरफ तेजधार थीं । उनका फल कोई नौ इंच लम्बा था और उनकी मूठ के पास स्प्रिंग कुछ इस तरह से सैट की गई थी कि जब उन स्प्रिंग ब्लेडों से किसी पर हमला किया जाता, तो उस परिस्थिति में स्प्रिंग ब्लेडों की वेलोसिटी दोगुनी हो जाती और वह दुश्मन के छक्के छुटा डालते ।
इसके अलावा कमाण्डर के हैवरसेक बैंग में भी काफी सारा सामान था ।
जैसे दो कम्बल !
पानी की कैन !
काफी सारी खाद्य सामग्री !
फर्स्ट-एड-बॉक्स !
हैंडग्रेनेड बम !
प्वाइंट अड़तीस कैलीबर की रिवॉल्वर में चलाने के लिए गोलियों के कई पैकिट ।
कुल मिलाकर कमाण्डर करण सक्सेना के पास इतना साज-सामान था, जो वह कई दिन उस खतरनाक जंगल में गुजार सके ।
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