Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 01:15 PM,
#6
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
बर्मा के खौफनाक जंगल, जहाँ की जमीन या तो बेहद रेतीली हुआ करती है या फिर हलकी दलदली ।
इसके अलावा बर्मा के जंगलों की एक विशेषता और है- वहाँ तीन तरह के पेड़ पाये जाते हैं । बेहद ऊंचे, उससे नीचे और नीचे । इसीलिए सूरज की किरणें भी ढंग से जंगल की जमीन तक नहीं पहुँच पाती । वह पेड़ों की शाखों तथा घनी पत्तियों के बीच में ही उलझकर रह जाती हैं । बर्मा के उसी अद्भुत जंगल के बीच में उन बारह खतरनाक योद्धाओं का वो हैडक्वार्टर बना था, जहाँ से वह अपनी ड्रग्स की तथा दूसरी गतिविधियों को संचालित करते थे ।
वह काफी विशालकाय हैडक्वार्टर था ।
उस हैडक्वार्टर की सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि उसकी निर्माण-पद्धति बर्मा के पुराने पेगोडाओं (बौद्ध मंदिरों) की याद ताजा कराती थी ।
तभी हैडक्वार्टर में हलचल मची ।
तेज हलचल ।
“य... यह क्या ।” हैडक्वार्टर के रेडियो रूम में बैठा एक गार्ड चौंका-“लगता है, राडार कोई फ्रींक्वेंसी कैच कर रहा है । जरूर जंगल में कहीं कुछ गड़बड़ है ।”
गार्ड रेडियो बोर्ड पर झुककर जल्दी-जल्दी कुछ तार इधर से उधर जोड़ने लगा और स्विच दबाने लगा ।
“लेकिन कैसी गड़बड़ हो सकती है ?” वहीं बैठे दूसरे गार्ड ने सवाल किया ।
“मालूम नहीं, कैसी गड़बड़ है । लेकिन कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरूर है, ऐसा मालूम होता है- जैसे जंगल में कोई ट्रांसमीटर पर बात कर रहा है ।”
“ट्रांसमीटर !”
“हाँ ।”
उसी क्षण रेडियो बोर्ड पर कमाण्डर करण सक्सेना और गंगाधर महन्त की आवाजें सुनायी देनी शुरू हो गयीं ।
लेकिन वह क्योंकि कोड भाषा में बात कर रहे थे, इसलिए कोई भी बात उनके समझ में नहीं आयी ।
“लगता है, किसी सीक्रेट भाषा में कोई संदेश प्रसारित किया जा रहा है ।”
“जरूर कोई दुश्मन जंगल में घुस आया है ।” दूसरा गार्ड बोला ।
“मुझे फौरन जैक क्रेमर साहब को इस बारे में सूचना देनी चाहिये ।”
☐☐☐
फ्रींक्वेंसी कैच करते ही रेडियो रूम में भूचाल सा आ गया था ।
तेज भूचाल ।
गार्ड टेलीफोन की तरफ झपटा और उसने जल्दी-जल्दी कोई नम्बर डायल किया ।
“हैलो ! हैलो ! !” वह रिसीवर पर जोर जोर से चिल्लाने लगा ।
“यस !” तुरंत दूसरी तरफ से आवाज आयी ।
“मैं रेडियो रूम का ऑपरेटर बोल रहा हूँ ।” गार्ड शीघ्रतापूर्वक बोला- “मेरी फौरन जैक क्रेमर साहब से बात कराओ ।”
“जैक क्रेमर साहब !”
“हाँ ।”
“तुम शायद पागल हो गये हो ।” दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति गुर्राया- “तुम जानते हो, इस वक्त क्या बज रहा है ? रात के दो बज रहे हैं । इस समय जैक क्रेमर साहब गहरी नींद में होंगे ।”
“बेवकूफ, मैं भी जानता हूँ कि इस वक्त क्या बजा है ।” गार्ड झुंझला उठा- “लेकिन मेरी फौरन जैक क्रेमर साहब से बात कराओ । क्वीकली ! लगता है, कोई दुश्मन हमारे इलाके में घुस आया है । अगर तुरंत यह खबर जैक क्रेमर साहब को न दी गयी, तो वह तुम्हें गोली मार देंगे ।”
दूसरी तरफ मौजूद व्यक्ति हड़बड़ा उठा ।
“जस्ट ए मिनट होल्ड ऑन प्लीज ।” वह बोला- “मैं अभी जैक क्रेमर साहब से तुम्हारी बात कराता हूँ ।”
“जल्दी !”
“सिर्फ दो मिनट रूको ।”
फिर कुछ देर के लिए टेलीफोन लाइन पर खामोशी छा गयी ।
गहरी खामोशी !
उस क्षण रेडियो रूम में मौजूद गार्ड को एक-एक सेकेण्ड गुजारना काफी भारी पड़ रहा था ।
थोड़ी देर बाद ही एक उनींदी सी आवाज रिसीवर पर उभरी । वह जैक क्रेमर की आवाज थी । ऐसा लगता था, जैक क्रेमर उस वक्त गहरी नींद सो रहा था, जब उसे जगाया गया था ।
“हैलो !”
“सर !” गार्ड तत्परतापूर्वक बोला- “मैं रेडियो रूम का ऑपरेटर बोल रहा हूँ ।”
“क्या आफत आ गयी है, जो इतनी रात को मुझे सोते से जगाया गया है ?”
“आफत ही आ गयी लगती है सर ! मुझे महसूस हो रहा है, हमारा कोई दुश्मन जंगल में घुस आया है ।”
“यह क्या कह रहे हो तुम ?” जैक क्रेमर भी चौंका ।
“मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूँ सर !”
“लेकिन तुम्हें यह सब कैसे मालूम हुआ ?”
“मैंने रेडियो रूम में बोर्ड पर अभी-अभी कुछ फ्रीक्वेंसीज कैच की हैं । वह किसी ट्रांसमीटर सैट की फ्रीक्वेंसीज हैं । ऐसा मालूम होता है, हमारे दुश्मन ने जंगल में घुसने के बाद अपने हैडक्वार्टर को कोई संदेश दिया है । संदेश बहुत छोटा था । यह भी इत्तेफाक ही रहा, जो वह संदेश रेडियो बोर्ड पर कैच हो गया ।”
“संदेश क्या था ?”
“यह नहीं मालूम हो सका ।”
“क्यों ?”
“क्योंकि संदेश किसी गुप्त भाषा में था ।”
“ओह !” जैक क्रेमर अब साफ-साफ विचलित नजर आने लगा- “क्या तुमने वो संदेश रिकार्ड किया है ?”
“यस सर !” गार्ड बोला- “मैंने तभी रिकॉर्डिंग वाला स्विच दबा दिया था । मैं समझता हूँ , वो संदेश जरूर रिकार्ड हो गया होगा ।”
“ठीक है, तुम वहीं रूकों ।” जैक क्रेमर बोला- “मैं अभी रेडियो रूम में आता हूँ ।”
“ओके सर ।”
गार्ड ने टेलीफोन का रिसीवर रख दिया ।
उस बियाबान जंगल में उन बारह योद्धाओं ने सारी सुविधायें जुटा रखी थीं ।
अपना टेलीफोन एक्सचेंज था ।
अपनी राडार प्रणाली थी ।
यहाँ तक कि उन्होंने जंगल में नीचे बड़ी-बड़ी सुरंगे भी खोदी हुई थीं, जो जंगल में इधर-से-उधर आने जाने का गुप्त रास्ता थीं ।
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RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार - by hotaks - 05-16-2020, 01:15 PM

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