RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
तभी एक घटना घटी ।
जबरदस्त घटना !
जिसने कमाण्डर करण सक्सेना को उछालकर रख दिया । कमाण्डर ने चारपाई पर लेटे-लेटे देखा कि नीचे से ऊपर आसमान की तरफ धुएं की दो लकीर उठ रही हैं । वह पीले तथा काफी गाढ़े धुएं की लकीर थीं और एक-दूसरे के बिल्कुल समानान्तर थीं ।
कमाण्डर की निगाह फौरन उस जगह पहुँची, जहाँ से गाढ़े धुएं की वह दोनों लकीरें उठ रहीं थीं ।
वह ‘बर्मी सिगार’ में से उठते धुएं की लकीर थीं ।
वह सिगार खास किस्म के पत्ते के बने हुए थे और इसलिये उनका धुआं इतना गाढ़ा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन बिजली जैसी फुर्ती के साथ चारपाई से उछलकर खड़ा हो गया ।
इस बीच ओवरकोट की जेब से निकलकर कब उसके हाथ में अपनी कोल्ट रिवाल्वर आ गयी, यह भी पता न चला । सिर्फ कमाण्डर करण सक्सेना के हाथ में रिवाल्वर चमकी थी और चमकते ही उसकी उगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमीं । उसके बाद कमाण्डर ने पलक झपकते ही उस बर्मी युवक का गिरेहबान पकड़ लिया, जो चूल्हे के पास बैठा बड़े मजे से सिगार पी रहा था ।
“क... क्या बात है ?” युवक हड़बड़ाया ।
“बता हरामजादे !” कमाण्डर ने उसे बुरी तरह झिंझोड़ डाला- “बता, तेरा साथी इस वक्त कहाँ गया है ? जल्दी बोल, वरना मैं अभी तेरी खोपड़ी गोली से छलनी कर डालूगां ।”
“अ... अभी बताया तो था ।” युवक दहशतनाक स्वर में बोला- “वो गांव से किसी मल्लाह को लेने गया है, जो तुम्हें इरावती नदी पार करा सके ।”
“नहीं, तुम झूठ बोल रहे हो । तुम बेवकूफ बना रहे हो । तुमने अभी दो सिगार सुलगाकर धुए के जो सिग्नल उपर की तरफ छोड़े हैं, उन सिग्नलों को मैं अच्छी तरह पहचानता हूँ । उन सिग्नलों का मतलब है कि तुम्हारा शिकार हमारे कब्जे में हैं और उसे फौरन यहाँ आकर पकड़ लो ।”
बर्मी युवक के सीने पर घूंसा-सा पड़ा ।
उसका चेहरा एकदम सफेद फक्क पड़ गया ।
“जल्दी बता !” कमाण्डर ने रिवॉल्वर की नाल उसके माथे के बीचों-बीच रख दी- “कहाँ गया है तेरा साथी ? किसे बुलाने गया है ?”
“त... तुम्हें कोई गलतफहमी हो गयी है ।”
“मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई ।” कमाण्डर गरजा ।
“लेकिन... ।”
“फालतू बकवास नहीं । मुझे सिर्फ मेरे सवाल का जवाब दो ।”
“मैं फिर कहूँगा ।” बर्मी युवक थर-थर कांपता हुआ बोला- “वह नजदीक के गांव से किसी मल्लाह को बुलाने गया है और मैंने धुएं का कोई सिग्नल किसी को नहीं भेजा ।”
“यानि तुम आसानी से कुछ नहीं बताओगे ।”
“मैं बताऊंगा क्या, जब हम लोगों ने कुछ किया ही नहीं है ।”
“ठीक है, मरो ।”
कोल्ट रिवॉल्वर एक बार फिर कमाण्डर की उंगलियों के गिर्द घूमी और गोली चली ।
धांय !
गोली चलने की वह भीषण आवाज पूरे जंगल में गूंज गयी थी ।
वह बर्मी युवक गला फाड़कर हिस्टीरियाई अंदाज में डकराया और फिर कटे वृक्ष की तरह नीचे गिरा ।
उसकी खोपड़ी से थुल-थुल करके खून बहने लगा । उसे खुद पता न चला कि कब उसकी मौत हो गयी ।
कमाण्डर ने अब एक सेकण्ड और भी वहाँ रूकना मुनासिब न समझा ।
वो जानता था कि वहाँ खतरा है । कभी भी दुश्मन वहाँ आ सकता है ।
कमाण्डर ने दौड़कर दोनों सिगार अच्छी तरह बुझाये ।
हैवरसेक बैग अपनी पीठ पर कसा ।
उसके बाद वो झाड़ियों का सहारा लेता हुआ जंगल में आगे की तरफ दौड़ पड़ा ।
|