RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
तभी सुरंग के अंदर से हलचल की आवाज हुई ।
“लगता है, कोई इसी तरफ आ रहा है ।”
सब चौकन्ने हो उठे ।
सब उसी तरफ देखने लगे, जिधर से आवाज आ रही थी । शीघ्र ही एक हथियारबंद गार्ड और नजर आया, जो लम्बे-लम्बे डग रखता हुआ उसी तरफ आ रहा था । उसके हाथ में दो बड़े-बड़े टिफिन कैरिअर भी थे ।
“क्या नाश्ते का सामान लाये हो ?” हूपर उसे देखकर बोला ।
“हाँ , नाश्ते का ही सामान है ।”
“चलो अच्छा किया, जो नाश्ता ले आये । वैसे भी चाय पीने की इच्छा हो रही थी ।”
उस हथियारबंद गार्ड ने अब दोनों टिफिन कैरिअर एक स्टूल पर रख दिये । फिर उसने प्लास्टिक के एक अनब्रेकेबल गिलास में चाय पटलकर हूपर की तरफ बढा़ई ।
“लीजिये हूपर साहब !”
“थैंक्यू !”
हूपर ने गिलास पकड़ लिया, फिर वो धीरे-धीरे चाय के घूंट भरने लगा ।
आसपास खड़े गार्ड भी अब अपने वास्ते चाय पलटने लगे थे । जबकि एक गार्ड टिफिन कैरिअर में से गरमा-गरम पेटीज का पैकिट निकालकर खोल रहा था ।
“क्या तुम यहाँ आने से पहले जैक क्रेमर साहब से भी मिले थे ?” हूपर ने पूछा ।
“हाँ , हूपर साहब- दरअसल उन्होने ही मुझे नाश्ता लेकर यहाँ भेजा है ।”
“ओह !”
“जैक क्रेमर साहब ने मुझसे यह भी कहा है कि मैं आपसे पता करके आऊं कि अभी दुश्मन के बारे में कुछ पता चला या नहीं ? उसे पकड़ने की दिशा में आप क्या कर रहे हैं ?”
“उनसे कहना, वो बहुत जल्द पकड़ा जायेगा । उसके जंगल में मौजूद होने की खबर हमने चारों तरफ फैला दी है । बस किसी भी क्षण उसके बारे में कोई खबर आती ही होगी ।”
“ठीक है, मैं उनसे बोल दूंगा ।”
हूपर गरमा-गरमा चाय चुसकता रहा ।
वो सारी रात का जागा हुआ था । सारी रात उसकी बड़ी हंगामें से भरी गुजरी थी । उसने इधर से उधर दौड़-दौड़कर रात भर यही काम किया था कि किसी तरह वो खबर पूरे जंगल में फैल जाये ।
बल्कि रात सबसे पहले तो उसने खुद ही गार्डों के साथ काफी सारा जंगल छान मारा था, लेकिन जब उसे वो आदमी कहीं नजर न आया, तो हूपर को लगा कि इस तरह से बात नहीं बनेगी ।
जंगल काफी बड़ा था और उसमें से एकदम किसी आदमी को तलाश लेना कोई मजाक का काम न था ।
इसीलिए हूपर ने अपनी रणनीति बदली ।
इसीलिए उसने सबसे पहले उस आदमी के जंगल में मौजूद होने की खबर चारों तरफ फैलवानी शुरू की । इस तरह उस आदमी के जल्दी पकड़े जाने की संभावना थी, क्योंकि उस अवस्था में पूरा जंगल उसके पीछे होता ।
तभी एक गार्ड बहुत जल्दी-जल्दी सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे सुरंग में आया ।
“क्या हो गया ?” हूपर ने पूछा ।
“अभी-अभी जंगल में दक्षिण की तरफ से धुएं का सिग्नल देखा गया है, हूपर साहब !” गार्ड आंदोलित लहजे में बोला- “ऐसा मालूम होता है, किसी जंगली ने वहाँ हमारे दुश्मन को पकड़कर रखा है ।”
“क्या कह रहे हो तुम !” हूपर एकदम उछलकर खड़ा हो गया- “धुएं का सिग्नल !”
“हाँ , हूपर साहब । वह धुएं का सिग्नल ही है । जंगली लोग आमतौर पर सिगारों से इस तरह का सिग्नल सर्कुलेट करते हैं ।”
“लगता है, हमारा काम बन गया है ।”
हूपर ने ऊपर पहुँचकर दक्षिणी दिशा में देखा, लेकिन उस वक्त आसमान पूरी तरह साफ था ।
“यहाँ तो धुएं का कोई भी सिग्नल नजर नहीं आ रहा ।”
“कमाल है ।” वही गार्ड बोला- “अभी-अभी तो मैंने खुद उस सिग्नल को अपनी आँखों से देखा था ।”
“तुम्हें कोई वहम तो नहीं हुआ ?”
“सवाल ही नहीं है ।”
तभी वहाँ कुछ और गार्ड भी आ गये । उन्होंने भी बताया कि थोड़ी देर पहले धुंए का वह सिग्नल उन्हें भी नजर आया था ।
“फिर वह एकाएक गायब कैसे हो गया ?”
“मालूम नहीं, मुझे तो कुछ गड़बड़ लगती है ।” गार्ड कुछ चिन्तित था ।
“वैसे थोड़ी देर पहले उसी तरह हमारे दस-बारह गार्ड भी गश्त पर गये हैं हूपर साहब ।” एक अन्य गार्ड बोला- “अगर उस तरफ कुछ गड़बड़ है, तो उस सम्बन्ध में उन्हें जरूर जानकारी हो जायेगी ।”
“गार्डों को गये हुए कितनी देर हो गयी ?”
“कोई दस मिनट हो गये ।”
उसी क्षण जंगल में से कुछ और आवाजें भी उभरीं । वह धप्प-धप्प की आवाजें थीं ।
सब ध्यानपूर्वक उन आवाजों को सुनने लगे ।
“लगता है ।” हूपर बोला- “कोई तेज़ दौड़ता हुआ इसी तरफ आ रहा है ।”
“कहीं वो हमारा दुश्मन तो नहीं है ?”
जैसे ही उसकी जबान से वो शब्द निकले, तुरंत बाकी तमाम गार्ड हरकत में आये । एक ही झटके में उन सबके हाथ में अपनी-अपनी राइफल आ चुकी थीं और वह राइफलें उसी तरफ तन गयीं, जिधर से किसी के दौड़कर आने की आवाजें आ रही थीं ।
“कोई एक आदमी मालूम होता है ।”
“एक ही है ।” हूपर बोला- “अगर ज्यादा आदमी होते, तो ज्यादा कदमों की आवाजें सुनाई पड़ती ।”
कदमों की आवाज अब काफी करीब आ चुकी थी ।
फिर वो आदमी भी नजर आया, जो दौड़ता हुआ उस तरफ आ रहा था ।
वो उनका दुश्मन नहीं था ।
वो वही बर्मी युवक था, जिसने भाले की नोंक पर कमाण्डर करण सक्सेना को पकड़ा था और जो अब कमाण्डर से यह कहकर आया था कि वो पास के गांव से किसी मल्लाह को लेने जा रहा है ।
“हमने दुश्मन को पकड़ लिया ।” वो बर्मी युवक उन लोगों को देखकर दूर से ही चिल्लाया- “इस वक्त वो हमारी झोंपड़ी में है और वहीं आराम कर रहा है ।”
दुश्मन के पकडे जाने की खबर सुनकर उन सबके चेहरे पर चमक आ गयी ।
“क्या रास्ते में तुम्हें हमारे गार्ड नहीं मिले थे ?” हूपर बोला- “वो थोड़ी देर पहले इसी तरफ गये हैं ?”
“वो भी मिले थे, मैंने उन्हें भी दुश्मन के पकड़े जाने के बारे में बता दिया है । दरअसल उन्होंने ही मुझे इस वक्त यहाँ भेजा है कि मैं आप लोगों को भी यह खुशखबरी सुना दूं । फिलहाल वो दुश्मन को दबोचने झोंपड़ी की तरफ ही गये हैं ।”
“वैरी गुड ! यानि हमने जो रात मेहनत की, वो कामयाब रही ।” फिर हूपर ने अपने तमाम साथियों की तरफ एबाउट टर्न लिया- “दोस्तों हम सबको भी फौरन उसी तरफ बढ़ना चाहिये, जिधर दुश्मन मौजूद है, जल्दी चलो ।”
सब तुरंत उस बर्मी युवक के साथ उसी तरफ दौड़ पड़े ।
|