RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर ने भागते हुए एक पेड़ के पीछे पोजिशन ले ली तथा फिर वहीं से दो-तीन हैण्डग्रेनेड बम और उन सबकी तरफ उछाले । प्रचण्ड विस्फोट हुए । वहाँ चारों तरफ धुआं-ही-धुआं फैल गया ।
धुंआ छंटा तो कमाण्डर करण सक्सेना को वहाँ काफी सारी लाशें दिखाई दीं । ऐसा लगता था, मानो सारे ही गार्ड मर गये हों । कमाण्डर ने इधर-उधर नजर दौड़ाई । उसे कहीं कोई न दिखाई दिया ।
कमाण्डर बेहद सावधानीपूर्वक पेड़ के पीछे से थोड़ा बाहर निकला । कुछ क्षण वो स्तब्ध भाव से वहीं खड़ा रहा ।
किधर से कोई गोली न चली ।
कमाण्डर रिवॉल्वर हाथ में पकड़े-पकड़े अब दबे पांव लाशों की तरफ बढ़ा ।
तभी भारी-भरकम शरीर वाला हूपर एकदम लाशों के बीच में से जम्प लेकर उठ खड़ा हुआ । फिर उसकी काली जैकिट की आस्तीन में से सर्र-सर्र करते हुए दो चाकू और हाथ में प्रकट हुए ।
“तुमने इन्हें तो मार डाला है कमाण्डर करण सक्सेना !” हूपर बड़े खतरनाक ढंग से चाकू अपने हाथ में नचाता हुआ बोला- “लेकिन अब तुम मेरे हाथों से मरोगे । बर्मा के इन जंगलों में घुसकर तुमने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती कर दी है ।”
“गलती तो मैं कर चुका हूँ ।” कमाण्डर के हाथ में मौजूद रिवॉल्वर भी फिरकनी की तरह घूमी- “लेकिन मै जंगल में अपने सिर पर कफन बांधकर घुसा हूँ । या तो तुम तमाम बारह योद्धाओं को मारूंगा या फिर खुद मरूंगा । अब कुछ-न-कुछ फैसला तो होकर रहेगा ।”
“चिन्ता मत करो कमाण्डर !” हूपर हंसा- “फैसले के लिये तुम्हें ज्यादा लम्बा इंतजार नहीं करना होगा । लो मरो !” और हूपर ने बड़े अकस्मात् ढंग से दोनों चाकू कमाण्डर की तरफ खींचकर मारे ।
ऐसा लगा, जैसे आकाश में चांदी के दो हंटर चमचमाये हों । तेज धार वाले चाकू कमाण्डर की तरफ झपटे ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन नीचे झुक गया ।
दोनों चाकू सर्र-सर्र करते हुए उसके ऊपर से गुजरे तथा सामने पेड़ के मजबूत तने में जा धंसे ।
कमाण्डर संभल पाता, उससे पहले ही सर्र-सर्र करते हुए दो चाकू और हूपर के हाथ में आ गये । इस बार वह उसकी जैकिट के कॉलर में से सनसनाते हुए बाहर निकले थे ।
“लो मरो !”
उसने फिर चाकू कमाण्डर की तरफ खींच मारे । उसके चाकू फैंकने की गति चौंका देने वाली थी ।
कमाण्डर फिर बचा ।
परन्तु इस मर्तबा एक चाकू सीधे उसकी कोल्ट रिवॉल्वर में जाकर लगा ।
टन्न !
लोहे से लोहा टकराने की तेज आवाज हुई ।
रिवॉल्वर फौरन कमाण्डर के हाथ से छूटकर नीचे जा गिरी । जबकि दूसरा चाकू कमाण्डर के क्लेंसी हैट में जाकर लगा और वह उसके हैट को लेकर पीछे जा गिरा ।
तुरन्त ही हूपर के हाथ में दो चाकू और नमूदार हुए ।
उसने चमड़े की जो टाइट पेण्ट पहनी हुई थी, उस पेण्ट की साइड में चौड़ी-चौड़ी नालियां बनी हुई थीं और वह चाकू उन्हीं नालियों में-से बाहर निकलकर उसके हाथ में आये थे ।
हूपर ने फौरन वह दोनों चाकू भी कमाण्डर की तरफ खींच मारे ।
कमाण्डर ने इस बार अपने आपको बिल्कुल नीचे जमीन पर गिरा लिया ।
वह निहत्था हो चुका था । जबकि हूपर के चाकू फैंकने की गति सचमुच अद्धितीय थी । वह सांस लेने का मौका भी नहीं दे रहा था । वह वाकई दुनिया का सबसे खतरनाक चाकूबाज था ।
कमाण्डर ने अपने दिमाग का इस्तेमाल किया । उस जैसे खतरनाक योद्धा को किसी शातिराना चाल में फंसाकर ही मात दी जा सकती थी ।
कमाण्डर ने देखा, हूपर के हाथ में बिजली जैसी फुर्ती के साथ दो चाकू और आ चुके थे । वह उसकी पेण्ट की मोहरी के अंदर से न जाने किधर से निकले थे ।
कमाण्डर ने इस बार जबरदस्त एक्शन दिखाया । वो नीचे गिरते ही हूपर की तरफ झपटा ।
लेकिन यह क्या, कमाण्डर झपटा नहीं था । वह उसका टाइगर क्लान का सुपर एक्शन था ।
जिस तरह शेर अपने शिकार पर झपटने से पहले शिकार को एक बार धोखा देता है कि वह उसके ऊपर झपटने वाला है, कुछ इसी तरह की हरकत कमाण्डर ने दिखाई ।
और हूपर चाल में फंस गया ।
कमाण्डर के टाइगर क्लान के एक्शन में आते ही उसने समझा कि वह उसके ऊपर झपट रहा हैं, उसने फौरन दोनों चाकू बेपनाह फुर्ती के साथ कमाण्डर की तरफ खींच मारे ।
कमाण्डर ने हवा में ही दोनों चाकू पकड़ लिये और फिर उन्हें वापस हूपर की तरफ खींचकर मारे ।
दोनों चाकू खच्च-खच्च की आवाज करते हुए सीधे हूपर के सिर में जा धंसे ।
भैंसे की तरह डकरा उठा हूपर !
उसके भयानक ढंग से आर्तनाद करने की आवाज पूरे जंगल को दहलाती चली गयी ।
सिर से खून के बड़े तेज दो फव्वारे छूटे । फिर उसका भीमकाय शरीर किसी मदमस्त हाथी की तरह नीचे गिरा ।
और गिरते ही ढेर हो गया ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने देखा, बिल्कुल अंतिम समय में भी न जाने कहाँ से निकलकर हूपर के हाथ में दो चाकू आ चुके थे, जिन्हे बस वो फैंक नहीं सका था ।
कमाण्डर, हूपर की लाश के करीब पहुँचा और फिर उसने उसके नितम्बों पर एक जोरदार ठोकर जड़ी ।
दुनिया के सबसे खतरनाक चाकूबाज को यह कमाण्डर करण सक्सेना का एक मामूली-सा तोहफा था- “अलविदा दोस्त ! अभी तुम्हारे ग्यारह साथी योद्धाओं से और मुठभेड़ होनी बाकी है । बर्मा के खौफनाक जंगलों में एक ऐसा इतिहास लिखा जाने वाला है, जो फिर कोई सदियों तक भी इस तरफ बुरी निगाह उठाकर नहीं देखेगा ।”
वहाँ चारों तरफ अब लाशें-ही-लाशें पड़ी थीं ।
फिर कमाण्डर ने कुछ महत्वपूर्ण कार्य और किये ।
बर्मा के उन जंगलों में आने से पहले कमाण्डर ने कुछ किताबें पढ़ी थीं, जिनमें जंगल वारफेयर के बारे में लिखा था कि किसी भी यौद्धा को जंगल में लड़ाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिये । जैसे अपने दुश्मन को मारने के बाद भी योद्धा इस बात की अच्छी तरह तस्दीक कर ले कि वह मर गया है या नहीं । उसमें कोई सांस तो बाकी नहीं हैं, क्योंकि अगर दुश्मन में जरा भी सांस बाकी हुई, तो वह जंगली युद्ध में कहर ढा सकता है । वो पीछे से आकर हमला कर सकता है, जो बस जानलेवा ही साबित होगा ।
इसके अलावा जंगल वारफेयर (जंगल युद्ध) का एक नियम और है कि दुश्मन को मारने के बाद उसके हथियार या तो तहस-नहस कर डालो या फिर अपने पास रखकर आगे बढ़ो, ताकि पीछे आ रहा दुश्मन का कोई और आदमी उन हथियारों का इस्तेमाल न कर सके ।
कमाण्डर ने जंगल वारफेयर के उन सभी नियमों का पालन किया ।
उसने सबसे पहले अपना क्लेंसी हैट उठाकर झाड़ा और उसे अपने सिर पर रख लिया ।
हैट की ग्लिप में कोल्ट रिवॉल्वर अभी भी सुरक्षित थी ।
फिर उसने दूसरी रिवॉल्वर भी उठाकर अपने ओवरकोट की जेब में रखी ।
उसके बाद कमाण्डर ने जांघ के साथ बंधा अपना स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया तथा फिर वह एक-एक लाश के पास जाकर उसे चैक करने लगा ।
हर लाश को वह सीधी करके देखता कि उसमें कोई सांस तो बाकी नहीं है ।
खूब अच्छी तरह से यह तस्दीक होने के बावजूद भी कि गार्ड मर चुका है, वह उसके दिल में नौ इंच लम्बा दोधारी स्प्रिंग ब्लेड जरूर उतार देता । इससे उसके जीवित होने की अगर कोई संभावना होती, तो वह भी खत्म हो जाती ।
कई गार्ड के दिल में स्प्रिंग ब्लेड उतारने के बाद कमाण्डर करण सक्सेना ने जैसे ही एक और गार्ड की लाश को सीधा किया, तुरंत वहाँ बिजली-सी लपलपाई ।
खून में बुरी तरह लथपथ नजर आने वाला वो गार्ड एकाएक जम्प लेकर सीधा खड़ा हो गया था ।
उसके हाथ में राइफल थी ।
उसने राइफल कमाण्डर की तरफ तान दी और इससे पहले कि वो राइफल का ट्रेगर दबा पाता, बेपनाह फुर्ती के साथ कमाण्डर का स्प्रिंग ब्लेड चल गया और उसका नौ इंच लम्बा दोधारी फल गार्ड के सीने को फाड़ता चला गया ।
गार्ड के हलक से वीभत्स चीख निकली ।
झटके के साथ कमाण्डर ने स्प्रिंग ब्लेड वापस खींचा और फिर उसकी गर्दन पर वार किया ।
गार्ड की गर्दन कटकर अलग जा गिरी ।
राइफल उसके हाथ से छूट गयी । फिर उसका धड़ भी नीचे गिरा ।
सब कुछ पलक झपकते हुआ था ।
तेजी से ।
अगर कमाण्डर करण सक्सेना स्प्रिंग ब्लेड चलाने में जरा भी देर कर जाता, तो बिना शक गार्ड ने उसके ऊपर गोलियां चला देनी थी ।
बहरहाल शुक्र था, जो कोई अनहोनी न हुई ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने और भी ज्यादा सावधानी से एक-एक लाश को चैक किया तथा उनके दिल में स्प्रिंग ब्लेड उतारे ।
उसके बाद उसने तमाम गार्डों की असॉल्ट राइफलें भी तहस-नहस कर दीं ।
सिर्फ एक राइफल को अपने कंधे पर लटका लिया ।
गार्डो के पास गोलियों का भी काफी सारा स्टॉक था । कुछ स्टॉक उसने अपने हैवरसेक बैग में भर लिया, जबकि बाकी गोलियों को भी उसने तोड़-फोड़़ डाला ।
उसके बाद कमाण्डर बर्मा के उन जंगलों में आगे की तरफ बढ़ा ।
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