RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
“बस !” बार्बीं बोली- “जीप यहीं रोक दो ।”
बार्बी के आदेश की देर थी, फौरन जीप के पहिये चीख उठे और वह घनी झाड़ियों के बीच पहुँचकर रूक गयी ।
फिलहाल उस जीप को जैकब चला रहा था ।
बार्बी उस जीप की अगली सीट पर ही बैठी थी ।
“यहाँ वातावरण में जले हुए बारूद की गंध आ रही है ।” बार्बी बहुत ध्यान से आसपास की गंध लेते हुए बोली- “ऐसा लगता है, मारकोस की कमाण्डर करण सक्सेना से मुठभेड़ यहीं कहीं हुई थी । इस हिसाब से कमाण्डर करण सक्सेना को भी आसपास ही होना चाहिये ।”
“अगर कमाण्डर करण सक्सेना इसी क्षेत्र में है ।” जैकब बोला- “तो हमारे आगे बीस गार्ड गये हैं, वह उनसे जरूर टकरायेगा । लेकिन माहौल में जिस प्रकार निस्तब्धता है, उससे तो यही लगता है कि वो उनसे नहीं टकराया है ।”
“न जाने क्यों मुझे अब खतरे का अहसास हो रहा है ।” बार्बी थोड़ा सहमकर बोली ।
“कैसा खतरा ?”
“खतरा किसी भी तरह का हो सकता है ।”
जैकब खामोश रहा । सच बात तो ये है, उसके दिल में भी अजीब-सी घबराहट हो रही थी ।
“मैं एक काम करती हूँ ।” बार्बी ने कहा ।
“क्या ?”
“तुम दो गार्डों के साथ यहीं जीप में रूको । जबकि बाकी के दो गार्ड लेकर मैं पैदल आगे का माहौल देखने जा रही हूँ कि वहाँ कुछ गड़बड़ तो नहीं हैं ।”
“ठीक है ।”
बार्बी ने फौरन दो गार्डों को इशारा किया ।
तुरन्त दो गार्ड उसके साथ-साथ जीप से नीचे उतर गये ।
कमाण्डर करण सक्सेना जो नजदीक की झाड़ियों में ही छिपा हुआ, वह सारा मंजर देख रहा था, उसने फौरन झटके के साथ अपना नौ इंच लम्बा स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया ।
उसने क्या करना है, वो सोच चुका था ।
वह बड़ी तेजी के साथ झाड़ियों में सांप की तरह रेंगता हुआ उन तीनों के पीछे-पीछे चला ।
उसके रेंगने की बिल्कुल भी आवाज नहीं हो रही थी ।
अपनी फौजी ट्रेनिंग का उस मिशन के दौरान उसे कदम-कदम पर फायदा मिल रहा था ।
शीघ्र ही वह जीप से काफी आगे निकल आये ।
अब जीप नजर नहीं आ रही थी ।
कमाण्डर ने गौर से उन तीनों की पोजिशन नोट की ।
बार्बी उनमें सबसे आगे थी और बहुत चौकन्नी थी ।
बार्बी से कोई पांच फुट पीछे एक दूसरा गार्ड चल रहा था ।
उससे इतना ही और पीछे तीसरा गार्ड था ।
वह एक खास पोजिशन में चल रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना हरकत में आया ।
वह झाड़ियों में रेंगता हुआ ही तीसरे गार्ड के बिल्कुल पीछे पहुँच चुका था ।
फिर इससे पहले की तीसरे गार्ड को उसकी जरा भी भनक मिल पाती, वह जम्प लेकर उठा और तुरन्त पीछे से उसके मुंह पर कसकर हाथ जकड़ दिया ।
गार्ड छटपटाया ।
उसके नेत्र दहशत से फटे ।
लेकिन कमाण्डर करण सक्सेना की पकड़ बहुत मजबूत थी ।
वह उसे लिये-लिये नीचे घनी झाड़ियों में गिरा और गिरते ही उसने स्प्रिंग ब्लेड से उसकी गर्दन काट डाली ।
खून का तेज फव्वारा छूटा ।
मगर कमाण्डर ने फिर भी उसके जबाड़े के ऊपर से तब तक हाथ न हटाया, जब तक इस बात की पूरी संतुष्टि न कर ली कि वह मर गया है ।
उसके बाद उसने गर्दन उठाकर बार्बी तथा उस दूसरे गार्ड की तरफ देखा ।
उन्हें उस हादसे की भनक तक न थी ।
वह सीधे-सीधे चले जा रहे थे ।
कमाण्डर दोबारा झाड़ियों के अंदर-ही-अंदर बहुत तेजी से सांप की तरह रेंगता हुआ अब दूसरे गार्ड की तरफ झपटा ।
वह जितनी तेजी से और जितनी बेआवाज अंदाज में रेंग रहा था, वह सचमुच कमाल था ।
जल्द ही वह दूसरे गार्ड के भी पीछे जा पहुँचा ।
फिर वह दोबारा चीते की तरह उछला और उस गार्ड को अपने फौलादी शिकंजे में दबोचे-दबोचे वापस झाड़ियों में गिरा ।
झाड़ियों में गिरते ही उसने उसकी गर्दन भी स्प्रिंग ब्लेड से काट डाली ।
उसने भी छटपटाकर वहीं दम तोड़ दिया ।
कमाण्डर ने आहिस्ता से उसके जबाड़े के ऊपर से हाथ हटाया । उसकी लाश भी वहीं झाड़ियों में लिटाई तथा फिर गर्दन उठाकर बार्बी की तरफ देखा ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वह दोनों हत्यायें इतनी सफाई के साथ की थीं कि बार्बी को अभी भी उनके मरने की खबर न थी ।
वह काफी आगे निकल गयी थी ।
कमाण्डर ने स्प्रिंग ब्लेड का खून से सना फल वहीं झाड़ियों में रगड़कर साफ किया और फिर उसे वापस उसके खांचे में फिट कर दिया ।
फिर वह झाड़ियों में-से फिरकनी की तरह वापस घूमा ।
अब कमाण्डर करण सक्सेना उसी जीप की तरफ वापस बड़ी तेजी से रेंग रहा था, जिसमें जैकब दो गार्डों के साथ बैठा था ।
वह तीनों उस वक्त बिल्कुल लापरवाह थे ।
“अब मुझे इस जीप का इलाज करना चाहिये ।” कमाण्डर करण सक्सेना मन-ही-मन बुदबुदाया ।
झाड़ियों में रेंगता हुआ वह जीप से आगे निकल गया ।
फिर वह बेखौफ झाड़ियों से बाहर निकला ।
इस वक्त कमाण्डर जीप के बिल्कुल पीछे था और उन तीनों हथियारबंद गार्डों की पीठ उसकी तरफ थी ।
कमाण्डर बेहद दबे पांव चलता हुआ जीप तक पहुँचा और उसके बाद निःशब्द ढंग से जीप के नीचे घुस गया ।
उन तीनों को कानों-कान भनक तक न लगी कि जिस दुश्मन की तलाश में वो वहाँ आये हैं, उनका वही दुश्मन उस वक्त जीप के नीचे था ।
उधर !
जीप के नीचे पहुँचते ही कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में-से नारंगी रंग की एक गेंद निकाली ।
गेंद, जो बहुत शक्तिशाली टाइम-बम था ।
“अब यह टाइम-बम तुम्हें जहन्नुम का रास्ता दिखायेगा दोस्तों !”
कमाण्डर करण सक्सेना ने उस टाइम-बम में ठीक दो मिनट बाद का टाइम सैट किया ।
फिर उसकी उगलियां जीप के कुछ पुर्जों के साथ छेड़छाड़ करने लगीं ।
जल्द ही उसने वो टाइम-बम जीप के कलपुर्जों के बीच फिट कर दिया ।
“अलविदा दोस्तों ! गुडबाय !”
कमाण्डर करण सक्सेना पिछली साइड से ही जीप से बाहर निकला और दौड़कर वापस झाड़ियों में समां गया ।
तभी कमाण्डर को बार्बी नजर आयी, वह बड़ी चौकन्नी और घबराई हुई मुद्रा में जीप की तरफ चली आ रही थी ।
“दुश्मन का पता चला ?” जैकब ने ड्राइविंग सीट पर बैठे-बैठे पूछा ।
“नहीं, दुश्मन का तो कुछ पता नहीं चला ।” बार्बी बोली- “लेकिन एक बड़ी भारी गड़बड़ हो गयी है ।”
“कैसी गड़बड़ ?”
“मेरे साथ जो दो गार्ड गये थे और जो मेरे पीछे-पीछे चल रहे थे, वह न जाने कहाँ गायब हो गये हैं, मैं उन्हें सब जगह तलाश चुकी हूँ । मगर उनका कहीं कुछ पता नहीं ।”
“वो कहाँ चले गये ?”
“खुद मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा ।”
अब बार्बी के साथ जैकब और दोनों गार्ड भी घबराये हुए नजर आने लगे ।
स्थिति वाकई जटिल थी ।
जंगल में जो भी आगे जा रहा था, वही गायब हो रहा था ।
बार्बी भी जीप में बैठ गयी ।
“अब क्या करना है ?”
“जीप आगे बढ़ाओ ।” बार्बी बोली ।
जैकब ने जीप को आगे बढ़ाया ।
जीप अभी मुश्किल से थोड़ी ही दूर गयी होगी, तभी उसके नीचे लगा टाइम-बम फट पड़ा और एक बहुत प्रचण्ड धमाका हुआ ।
तत्काल पूरी जीप की धज्जियां बिखर गयीं ।
आकाश की तरफ भीषण आग के शोले उठते नजर आये ।
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