RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पेड़ पर टंगी दोनों लाशें नीचे उतारी जा चुकी थीं ।
उस वक्त वहाँ बड़ा संजीदा माहौल था ।
भीड़ भी वहाँ अच्छी खासी जमा थी ।
जिनमें ‘सपोर्ट ग्रुप’ के तीनों यौद्धा ! कोई पचास की संख्या में हथियारबंद गार्ड ! इसके अलावा नुकीले भाले पकड़े जंगलियों की एक बड़ी फौज ! वह सबके सब नगाड़े की आवाज सुनते ही भागते हुए वहाँ चले आये थे ।
“आखिर कमाण्डर करण सक्सेना ने हमारे चार आदमी और मार डाले ।” डायमोक गुस्से से बोल रहा था- “उसका कहर अब हद से ज्यादा बढ़ चुका था ।”
“वो शैतान अभी यहीं कहीं होगा ।” तभी जंगलियों का सरदार रणहुंकार भरता हुआ चिल्लाया- “हमें उसे फौरन ढूंढना चाहिये ।”
“हाँ ।” मास्कमैकन भी आवेश में बोला- “सब चारों तरफ फैलकर उसे तलाश करो ।”
तुरंत वहाँ जितने भी गार्ड और जंगली जमा थे, वह रणहुंकार भरते हुए चारों दिशाओं में फैल गये ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश करने का वह सिलसिला बड़े जोर-शोर के साथ शुरू हो गया ।
एक बार वो सिलसिला शुरू हुआ, तो फिर तब तक चला, जब तक जंगल में अंधेरा न घिरने लगा ।
जब तक वहाँ शाम न हो गयी ।
शाम होते ही वह सब लोग वापस उसी जगह जमा हुए ।
“कुछ पता चला ?” हिटमैन बोला ।
“नहीं ।” जंगलियों के सरदार के चेहरे पर बुरी तरह सस्पेंस के भाव थे- “कुछ पता नहीं चला । न जाने वो शैतान जंगल में कहाँ जा छिपा है ।”
तीनों योद्धाओं ने बाकी लोगों की तरफ देखा ।
उनके चेहरों पर भी नाकामी पुती थी ।
सब हताश थे ।
“अब क्या करना है ?” एक जंगली बोला ।
“फिलहाल सब आराम करो । दिन निकलने के बाद हम कोई प्रोग्राम बनायेंगे ।”
फिर सबसे पहले उन चारों लाशों का क्रियाकर्म किया गया ।
उसके बाद सारे जंगली तो आराम करने के लिए वापस अपनी बस्ती में चले गये थे, जबकि दोनों यौद्धाओं और हथियारबंद गार्डों ने वहीं जंगल में अपना डेरा डाला ।
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