RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर पिछले दो दिन से एक गुफा में बंद था ।
दरअसल भाला लगने से उसके बाये कंधे में जो जख्म हुआ था, वह जख्म कुछ ज्यादा खतरनाक हो गया था । उसके बायें हाथ ने बिल्कुल काम करना बंद कर दिया था और वह उसे जरा भी हिलाता था, तो उसमें से दर्द की भीषण लहरें उठती थीं । हालांकि कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन ही फर्स्ट एड किट निकालकर कंधे की अच्छी तरह मरहम पट्टी की थी और चार-चार घण्टे के अंतराल से तीन ऐसे इंजेक्शन भी लिये थे, जिससे कंधे में जहर न फैलने पाये । परन्तु फिर भी कमाण्डर को डर था कि कहीं जहर फैल न गया हो ।
मिशन के बीच में ही कंधे की उस दशा ने उसे भारी चिंता में डाल दिया था ।
बहरहाल शुक्र था कि वो केस बहुत ज्यादा न बिगड़ा ।
आज दो दिन बाद वह कंधे के दर्द में काफी सकून महसूस कर रहा था । जहाँ जख्म भरने लगा था, वहीं बायें हाथ को हिलाने में भी अब उसे ज्यादा दुश्वारी नहीं हो रही थी ।
कमाण्डर गुफा से बाहर निकला ।
दो दिन बाद उसने दोबारा बर्मा के उन खौफनाक जंगलों को देखा ।
दिन का उजाला वहाँ हर तरफ बिखरा था ।
अभी उसने नौ यौद्धाओं को और जहन्नुम पहुँचाना था ।
नौ खतरनाक यौद्धा ।
इसके अलावा उन नौ यौद्धाओं को जहन्नुम पहुँचाने के लिए उसने सीढ़ी दर सीढ़ी कितनी लाशों के ऊपर से और गुजरना था । उनका तो कुछ हिसाब ही न था । उसने खून की एक बड़ी होली वहाँ खेलनी थी और उस होली को खेलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसका चुस्त रहना था, जो फिलहाल वो नहीं था ।
कमाण्डर ने गुफा से बाहर आकर अपने कंधे को आहिस्ता से इधर-उधर हिलाया । उसके बाद हल्का-फुल्का व्यायाम भी किया ।
जिससे उसके शरीर में थोड़ी स्फूर्ति आयी ।
फिर उसने बैग में-से आइना निकालकर अपना चेहरा देखा । वह खुद भी अब काफी हद तक जंगलियों जैसा दिखाई पड़ने लगा था । दाढ़ी बहुत बढ़ गयी थी । सिर के बाल रूखे हो गये थे । त्वचा पर भी कहालत बरस रही थी । इसके अलावा सारे कपड़े धूल-मिट्टी में अटे हुए थे । ओवरकोट तो कंधे के पास से काफी सारा फट भी गया था, जिसमें उसने यूं ही तीन-चार टांके लगा लिये ।
उसे जंगल वारफेयर का एक और सिद्धांत याद आया, जिसे बीते युग के यौद्धाओं ने अपने अनुभव के आधार पर निम्न रूप में लिखा था- जंगल की एक खासियत है, वह चीजों को अपने अनुरूप ढालता है । यही कारण है कि एक अच्छा-खासा आदमी भी कुछ दिन जंगल में रहने के बाद जंगलियों जैसा दिखाई पड़ने लगता है । परंतु जंगल वारफेयर का असली योद्धा वो है, जो जंगल में रहने के बाद भी उस वातावरण की छाप से खुद को दूर रखे ।”
कमाण्डर ने फौरन अपने कपड़ों के ऊपर से धूल साफ करनी शुरू कर दी ।
फिर उसने स्प्रिंग ब्लेड निकाल लिया और धीरे-धीरे उसकी बहुत पैनी धार से अपनी दाढ़ी साफ करने लगा ।
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हिटमैन की जीप अब बड़ी तेजी से एक हिरन के पीछे दौड़ रही थी । लेकिन हिरन भी बहुत फुर्तीला था, वह उसके निशाने पर आकर नहीं दे रहा था ।
“साहब, मैं कहता हूँ कि आज यह मरने वाला नहीं है ।”
“कैसे मरेगा साला ।” हिटमैन झल्लाया- “मैं भी देखता हूँ, आज यह कहाँ तक दौड़ता है ।”
“लेकिन ।”
“तुम चुप बैठे रहो, मेरा ध्यान मत बंटाओ ।”
गार्ड ने अपने होंठ सी लिये ।
हिटमैन अंधाधुंध उस जीप को दौड़ाये लिए जा रहा था ।
हिरन को मारने का उसके ऊपर जुनुन सवार था । बिल्कुल पागलों जैसा जुनून ।
जीप उस हिरन के पीछे दौड़ती-दौड़ती और काफी दूर निकल गयी ।
“साहब !” हिटमैन के बराबर में बैठा दूसरा गार्ड कुछ आतंकित होकर बोला-“अब हमें वापस लौटना चाहिये ।”
“क्यों, क्या आफत आ गयी हैं, जो वापस लौटना चाहिये ।”
“हम जंगल में काफी दूर तक आ गये हैं । अगर हम यहाँ से वापस अपने साथियों के पास पहुँचना चाहे, तो तब भी हमें एक घण्टा लग जायेगा ।”
“हुंह, एक घण्टा ।” हिटमैन बोला- “लगता है, कमाण्डर करण सक्सेना के डर से तुम्हारी पतलून गीली हो रही है । चिंता न करो भाई !”
“ए... ऐसी कोई बात नहीं है ।” गार्ड कुछ सकपकाकर बोला ।
“मैं जानता हूँ, क्या बात है । और मुझे भी ये मालूम है कि तुम कितने बड़े जवां मर्द हो ।”
तभी जीप के आगे-आगे दौड़ रहा हिरन कुछ ऐसी जंगली झाड़ियों में जा घुसा, जहाँ जीप चलनी नामुमकिन थी । हिटमैन ने जल्दी से सांस रोक दी और राइफल लेकर जीप से नीचे कूदा ।
“जल्दी से मेरे साथ आओ ।” हिटमैन चिल्लाया- “लगता है, इसके मरने का वक्त आ गया है । इन झाड़ियों में यह ज्यादा तेजी से नहीं दौड़ पायेगा ।”
दोनों गार्ड अपनी-अपनी राइफल लेकर हिटमैन के पीछे-पीछे ही उन झाड़ियों की तरफ दौड़ पड़े ।
तभी हिटमैन ने अपनी राइफल सीधी करके गोली चलायी ।
उसी क्षण हिरन झाड़ियों में दायीं तरफ कूद गया, वह बस मरने से बाल-बाल बचा ।
“मैं भी देखता हूँ, यह कमबख्त मुझे आज कितना दौड़ाता है ।”
“लेकिन... ।” उसके पीछे-पीछे दौड़ रहे दोनों गार्डों ने कुछ कहना चाहा ।
“तुम दोनों चुप रहो ।”
उनके मुंह पर फिर ताला पड़ गया ।
हिटमैन अपनी पूरी ताकत से हिरन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा था ।
हिटमैन एक जबरदस्त निशानेबाज था ।
इस दुनिया में उससे ज्यादा खतरनाक निशानेबाज दूसरा कोई नहीं था । वह ‘शब्दभेदी’ गोली चलाने में माहिर था । वह आँखों पर काली पट्टी बांधकर भी ऐसे अदभुत निशाने लगा लिया करता था कि देखने वाला भौंचक्का रह जाता । उसने कई बार अपनी निशानेबाजी के जौहर दिखाये थे, वह अपनी आँखों पर पट्टी बांध लेता और फिर उसके सामने तांबे या चांदी के सिक्के उछाले जाते । सिक्का गिरने पर पिट् की जो हल्की सी ध्वनि होती है या फिर सिक्का उछालते समय उंगलियों से चुटकी बजाने की जो आवाज होती है, उसी आवाज से वह निशाना लगा लेता था और सिक्के को भेद डालता था । ‘शब्दभेदी’ गोली चलाने में उसका मुकाबला करने वाला कोई नहीं था ।
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+- की तारीख में बर्मा पुलिस की फाइलों के अंदर उसके नाम दर्जनों हत्याओं के मामले दर्ज थे । वह सारी हत्यायें उसने सिर्फ अपनी निशानेबाजी का प्रदर्शन करने के लिए खेल-खेल में की थीं ।
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