RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
वो खतरा भांप चुका था ।
कमाण्डर को यह समझते देर न लगी कि आज गुफा से बाहर निकलते ही उसकी फिर किसी योद्धा से मुठभेड़ हो गयी है ।
यानि इन दो दिनों के दौरान योद्धा चैन से नहीं बैठे थे, वह अभी भी उसकी तलाश में जंगल की खाक छान रहे थे ।
कमाण्डर ने अपने जख्मी कंधे को हल्का सा जर्क दिया और खुद को मुकाबले के लिए तैयार करने लगा ।
लाइट मशीनगन फौरन उसके हाथ में आ चुकी थी ।
“दुश्मन कोई अगली चाल चले, उससे पहले ही मुझे अपना वार करना चाहिये ।”
कमाण्डर घुटनों के बल थोड़ा ऊपर को हुआ तथा फिर उसने सामने की तरफ मशीनगन से धुआंधार गोलियां चला दीं ।
गोलियां चलाते ही वह पलट गया और झाड़ियों के अंदर ही अंदर तीर की तरह भागा ।
फौरन सामने की तरफ से भी गोलियों की बाढ़ ठीक उस जगह झपटी, जहाँ कमाण्डर थोड़ी देर पहले मौजूद था ।
वहीं एक काफी बड़ी चट्टान थी ।
कमाण्डर झाड़ियों मे धीरे-धीरे रेंगता हुआ अब उस चट्टान के पीछे पहुँच चुका था ।
उसने सबसे पहले यह पता लगाना था कि दुश्मनों की संख्या कितनी है ।
वो कुछ देर सोचता रहा ।
फिर उसने धीरे-धीरे उस चट्टान पर चढ़ना शुरू किया ।
जल्द ही कमाण्डर उस चट्टान के ऊपर पहुँच चुका था । अब अगर वो सिर्फ अपना सिर ही थोड़ा ऊपर उठाता, तो तुरंत चट्टान के दूसरी तरफ का नजारा उसे दिखाई देने लगता ।
परन्तु सिर ऊपर उठाने में भी खतरा था ।
अगर उसके सिर उठाते ही दुश्मन की निगाह उस पर पड़ गयी, तो दुश्मन ने फौरन उसकी खोपड़ी में सुराख कर देना था ।
लेकिन खतरा उठाये बिना बात नहीं बनने वाली थी ।
कमाण्डर ने खतरा उठाया ।
उसने बहुत धीरे-धीरे पहले अपनी लाइट मशीनगन की नाल चट्टान से ऊपर की तथा फिर अपना सिर भी चट्टान से ऊपर किया । फौरन उसे जंगल में सामने की तरफ का हिस्सा नजर आने लगा ।
वह चूंकि ऊंचाई पर था, इसलिये सामने झाड़ियों में छिपे दुश्मन उसे साफ़ नजर आये ।
वह तीन थे ।
दो तो उसे बिल्कुल साफ चमके ।
जबकि तीसरे की सिर्फ टांगे दिखाई दे रही थीं, अलबत्ता उनमें से किसी की निगाह कमाण्डर पर न पड़ी ।
कमाण्डर ने जंगल में और दूर-दूर तक देखा, उन तीनों के अलावा उसे वहाँ कोई नजर न आया ।
कमाण्डर ने फिर अपने जख्मी कंधे को हल्का सा जर्क दिया और एक हथियारबंद गार्ड की खोपड़ी का वहीं से निशाना साधकर गोली चला दी ।
गार्ड चकरा उठा ।
गोली ठीक उसकी खोपड़ी में जाकर लगी थी, वो वहीं ढेर हो गया । फौरन बाकी दोनों दुश्मन बदहवासों की तरह झाड़ियों में-से उठकर भागे ।
अब तीसरा आदमी भी कमाण्डर करण सक्सेना को साफ चमका । वो उसे देखते ही पहचान गया ।
वो हिटमैन था ।
अचूक निशानेबाज ।
कमाण्डर ने फौरन उन दोनों के ऊपर गोलियां चलायीं ।
हिटमैन के दूसरे साथी की चीख भी गूंज उठी । वो भी वहीं झाड़ियों में लहराकर गिरा ।
तभी भागते-भागते हिटमेन रूका । पलटा । फिर उसने चट्टान की तरफ जवाबी फायरिंग कर दी ।
कमाण्डर ने अपनी गर्दन नीचे कर ली ।
एक साथ ढेर सारी गोलियां चट्टान के उसी हिस्से पर आकर लगीं, जहाँ थोड़ी देर पहले कमाण्डर की गर्दन थी ।
हिटमैन ने अंधाधुंध गोलियां चलायी थीं ।
फिर कमाण्डर के कान में ‘पिट्’ की आवाज पड़ी ।
वह चौंकन्ना हो उठा ।
जरूर हिटमैन की राइफल में गोलियां खत्म हो गयी थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने फौरन ही चट्टान पर दूसरी तरफ जाकर अपनी गर्दन ऊपर की ।
मगर हिटमैन अब उसे सामने कहीं न चमका ।
जरूर वो कहीं छिप गया था ।
|