RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
अंतिम संस्कार के बाद वो पूरा काफिला कमाण्डर करण सक्सेना को ढूंढने के लिए फिर आगे बढ़ा ।
उस क्षण मास्कमैन इतना ज्यादा गुस्से में था कि अगर कमाण्डर उसके सामने आ जाता, तो वह उसकी बोटी-बोटी छितरा डालता ।
लेकिन काश उन दोनों योद्धाओं को मालूम होता कि जिस कमाण्डर करण सक्सेना को वह बर्मा के उन खौफनाक जंगलों में ढूंढते फिर रहे हैं, वो कमाण्डर उन लोगों के पास वहीं झाड़ियों में छिपा था और उस वक्त उन सबकी एक-एक हरकत पर पैनी निगाह रखे हुए था । उनकी तमाम बातें कमाण्डर ने अपने कानों से सुनी थीं और उनके सारे कार्यकलाप अपनी आँखों से देखें ।
इतना ही नहीं उसने उन योद्धाओं को भी साफ पहचाना ।
मास्कमैन !
एक आला दर्जे का बम एक्सपर्ट ।
दूसरा डायमोक ।
स्पेन का एक जबरदस्त बुलफाइटर ! कमाण्डर ने मिशन पर रवाना होने से पहले डायमोक की भी पूरी फाइल पढ़ी थी । स्पेन देश जो अपनी बुलफाइटिंग (साण्डों की लड़ाई) के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, डायमोक उसी स्पेन का एक जबरदस्त बुलफाइटर था । बचपन से ही डायमोक बहुत खतरनाक था । उसके मसल्लस काफी मजबूत थे, जब डायमोक सिर्फ पांच साल का था, तभी वह अपने से कहीं ज्यादा बड़े बच्चों को बुरी तरह धुन डालता था । इंसानी खून बहते देखने में उसे खूब मजा आता था । बचपन से ही उसका वह लड़ाका स्वभाव उसे बुलफाइटिंग के धंधे में ले आया, जहाँ अच्छा खासा पैसा था । डायमोक रिंग के अंदर खतरनाक साण्डों के सामने तलवार लेकर इस तरह खड़ा हो जाता था, जैसे मौत का उसे कोई खौफ न हो । रिंग के चारों तरफ खड़े दर्शक गला फाड़-फाड़कर चिल्लाते रहते, शोर मचाते रहते । और डायमोक मौत का फरिश्ता बना खूंखार साण्ड की अपनी तलवार से धज्जियां बिखेर डालता ।
बाद में डायमोक स्पने के ही एक आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया । वहाँ भी उसने बुलफाइटरों वाली तलवार से ही अनेक आदमियों को कत्ल कर डाला ।
डायमोक आज भी वही तलवार अपने पास रखता था ।
बहरहाल अंतिम संस्कार करने के बाद वह सब लोग आगे बढ़े, तो कमाण्डर करण सक्सेना ने भी झाड़ियों में सरसराते हुए उनका पीछा करना शुरू कर दिया ।
अब उल्टा काम हो रहा था ।
वह पीछे था, योद्धा आगे !
कमाण्डर बस किसी मुनासिब मौके की इंतजार में था कि कब उसको जिबह किया जाये । हालांकि उन सबसे एक साथ निपटना कोई आसान काम न था । उसके लिए कमाण्डर को कोई ऐसी युक्ति सोचनी थी, जो वह अकेला ही उन सब पर भारी पड़ता ।
जंगल में चलते-चलते उन्हें फिर रात होने लगी ।
“कमाल है ।” डायमोक थके-हारे और बहुत हैरानीपूर्वक अंदाज में बोला- “यह कमाण्डर करण सक्सेना कत्लोगारत करने के बाद एकाएक कहाँ गायब हो जाता है ।”
“समझ में नहीं आता ।” एक गार्ड बोला- “क्या चक्कर है ।”
“मुझे तो लगता है साहब, वह कोई छलावा वगैरा है ।” वो एक अन्य गार्ड की आवाज थी- “या फिर कोई ऐसा आदमी है, जिसके ऊपर जिन्न वगैरा का साया है ।”
“बेकार की बात मत करो ।” डायमोक गुर्रा उठा- “यह मजाक का वक्त नहीं है ।”
“मैं मजाक कहाँ कर रहा हूँ साहब, मैं तो सच्चाई बयान कर रहा हूँ । जरा सोचो, अगर वो आदमी सचमुच में ही छलावा नहीं है, तो फिर जंगल में एकाएक किधर गायब हो जाता है ।”
“अब अपनी चोच बंद रखो ।”
गार्ड खामोश हो गया ।
कमाण्डर उस वक्त उन सबसे मुश्किल से पांच गज के फासले पर था और दम साधे झाड़ियों में छिपा था ।
तब तक जंगल में अंधेरा बहुत घिर चुका था और अब आगे बढ़ने में भी उन्हें काफी मुश्किल पेश आ रही थी ।
“अब क्या करना है ?” एक गार्ड बोला- “क्या रात भर इसी तरह जंगल में भटकते रहेंगे ?”
“नहीं, मैं समझता हूँ कि अब हमें यहाँ आराम करना चाहिये ।” डायमोक बोला ।
“मुझे तो भूख भी लग रही है साहब ।”
“कोई बात नहीं, भूख का इंतजाम भी अभी करते हैं ।”
जीप में ही खाने का काफी सारा सामान था ।
डायमोक के कहने पर दो गार्डों ने खाने का वह सामान निकाल लिया ।
फिर उन सबने वहीं जंगल में बैठकर खाना खाया ।
परन्तु मास्कमैन भूखा रहा । आखिर उनका जान से भी ज्यादा प्यारा भाई मारा गया था ।
मास्कमैन ने कुछ न खाया, तो डायमोक ने भी कुछ न खाया ।
उसके बाद उन्होंने वहीं जंगल के अंदर रात गुजारने की तैयारी शुरू कर दी ।
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