Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
05-16-2020, 02:21 PM,
#53
RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर करण सक्सेना अभी झाड़ियों में छिपा बैठा था ।
रात्रि का दूसरा पहर शुरू हो चुका था ।
अब उसके सामने दो तम्बू गड़े हुए थे । एक काफी बड़ा तम्बू था, जिसमें सारे हथियारबंद गार्ड जाकर सो गये थे । जबकि उससे थोड़ा फासले पर एक छोटा सा तम्बू गाड़ा गया था, जिसमें दोनों योद्धा जाकर सोये ।
दो गार्ड उन तम्बुओं के बाहर पहरे पर थे, जो अपने साथियों की रखवाली कर रहे थे ।
कमाण्डर का दिमाग काफी तेजी से चलने लगा और वह कोई ऐसी युक्ति सोचने लगा, जिससे उन सबसे एक साथ निपटा जाये ।
जल्द ही उसके दिमाग में ऐसी एक युक्ति आ गयी ।
वह थोड़ी रात और गुजरने का इंतजार करने लगा, ताकि यह बात कन्फर्म हो जाये कि वह सब लोग सो चुके हैं ।
तभी उसे अपने पीछे हल्की सरसराहट सी अनुभव हुई ।
कमाण्डर एकदम झटके से पलटा ।
उसके पीछे एक हरा सांप था, जो बड़ी तेजी से झाड़ियों में सरसराता हुआ उसी की तरफ आ रहा था ।
कमाण्डर ने झपटकर अपना स्प्रिंग ब्लेड निकाल लिया ।
उसी क्षण सांप भी कमाण्डर के ऊपर झपटा ।
कमाण्डर ने फौरन सांप को मुंह के पास से पकड़ लिया और इससे पहले कि सांप कुछ हरकत दिखा पाता, उसने सांप के दो टुकड़े कर दिये तथा उसे दूर उछाल दिया ।
कुछ देर सांप झाड़ियों में पड़ा छटपटाता रहा और फिर ठण्डा पड़ गया ।
कमाण्डर ने फिर सामने तम्बूओं की तरफ देखा ।
वहाँ पहले जैसा ही सन्नाटा था ।
घोर सन्नाटा !
दोनो गार्ड राइफल संभाले खामोशी से इधर-उधर टहल रहे थे ।
वक्त पहले की तरह ही गुजरने लगा ।
रात के दो बज गये ।
कमाण्डर को पूरी उम्मीद थी कि तम्बुओं में मौजूद लोग अब गहरी नींद सो चुके होंगे । वैसे भी वो सारा दिन के थके-हारे थे ।
तभी कमाण्डर करण सक्सेना ने अपने मुंह से जंगली गुरिल्ले जैसी आवाज निकाली ।
चक ! चक ! ! चक ! ! !
किर ! किर ! ! किर ! ! !
पहरा देते गार्ड चौंके ।
“यह कैसी आवाजें हैं ?” एक गार्ड बड़े स्तब्ध भाव से बोला- “किसी जंगली गुरिल्ले की आवाज मालूम होती है ।”
“जंगली गुरिल्ला ।”
“हाँ, वही ऐसी आवाज निकालता है ।”
दोनों गार्ड अब और ज्यादा स्तब्ध होकर उन आवाजों को सुनने की कोशिश करने लगे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने फिर अपने मुंह से जंगली गुरिल्ले की चक-चक जैसी आवाज निकाली । इस तरह की आवाज जंगली गुरिल्ला अपनी छाती पीटते हुए निकालता है ।
दोनों गार्डों के जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
“उस्ताद, यह तो सचमुच में ही जंगली गुरिल्ला है ।” दूसरा गार्ड भी शुष्क स्वर में बोला- “कहीं यह तम्बूओं में गहरी नींद सोते हमारे साथियों पर हमला न बोल दे, उससे पहले ही हमें कुछ करना चाहिये ।”
“लेकिन यह जंगली गुरिल्ला है किधर ?”
“चक-चक की आवाज तो उस तरफ से आ रही है ।” एक गार्ड ने सामने वाली झाड़ियों की तरफ इशारा किया ।
“नहीं, उस तरफ से आ रही है ।” एक गार्ड ने सामने वाली झाड़ियों की तरफ इशारा किया ।
“नही, उस तरफ से आ रही है ।” दूसरे गार्ड ने एक अन्य दिशा की तरफ अंगुली उठाई ।
“ठीक है । तुम उस तरफ जाकर देखो, मैं दूसरी तरफ देखता हूँ और गुरिल्ले से थोड़ा सावधान रहना, वह एकदम से हमला बोलता है ।”
“बेफिक्र रहो ।”
दोनो गार्ड अलग-अलग दिशा में झाड़ियों की तरफ बढ़े ।
एक गार्ड बिल्कुल कमाण्डर की तरफ दबे पांव चला आ रहा था ।
कमाण्डर करण सक्सेना चौंकन्ना हो उठा ।
गार्ड जैसे ही झाड़ियों के करीब आया और उसने आँखें फाड़-फाड़कर अंधेरे में झाड़ियों के अंदर झांकना शुरू किया, कमाण्डर फौरन चीते की तरह गार्ड के ऊपर झपट पड़ा ।
गार्ड ने चिल्लाने के लिए मुंह खोला, लेकिन उससे पहले ही उसकी हथेली कुकर के ढक्कन की तरह गार्ड के मुंह पर जाकर जकड़ चुकी थी । फिर कमाण्डर के हाथ में स्प्रिंग ब्लेड नमुदार हुआ और उसने झटके के साथ गार्ड की गर्दन काट डाली ।
गार्ड थोड़ी ही देर में छटपटाकर शांत हो गया ।
फिर कमाण्डर करण सक्सेना ने दूसरे गार्ड की तरफ देखा ।
वह उस समय उससे काफी फासले पर था और घनी झाड़ियों के अंदर कुछ झांक-झांककर देख रहा था । शायद वो जंगली गुरिल्ले की तलाश में था ।
कमाण्डर करण सक्सेना फौरन झाड़ियों के अंदर-ही-अंदर सर्प की तरह सरसराता हुआ तेजी से उसकी तरफ बढ़ा ।
“कौन है ?” झाड़ियों में हल्की सरसराहट की आवाज सुनकर गार्ड चौंका- “कौन है उधर ?”
कमाण्डर तुरंत उसके ऊपर भी चीते की तरह झपट पड़ा और इससे पहले कि गार्ड संभल पाता, उसकी गर्दन कटी हुई झाड़ियों में पड़ी थी ।
कमाण्डर अब झाड़ियों से बाहर निकल आया ।
उसके बाद वो बेहद दबे पांव उस बड़े तम्बू की तरफ बढ़ा, जिसमें तमाम हथियारबंद गार्ड मौजूद थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने धीरे से तम्बू के अंदर झांककर देखा, वहाँ मौजूद तमाम गार्ड गहरी नींद में सो रहे थे । कमाण्डर ने अब अपने हैवरसेक बैग में से क्लोरोफार्म की एक काफी बड़ी शीशी निकाली और फिर उस क्लोरोफार्म को धीरे-धीरे उन सब गार्डों की नाक के पास स्प्रे करना शुरू कर दिया ।
जल्द ही वह सब नींद में ही बेहोश हो गये ।
उसके बाद कमाण्डर करण सक्सेना ने अपने स्प्रिंग ब्लेड से उन सबकी गर्दनें काटनी शुरू कर दीं ।
सारा काम वो बड़े इत्मीनान से कर रहा था ।
सकून के साथ ।
वह पचास के करीब हथियारबंद गार्ड थे, जल्द ही कमाण्डर ने उन सबको गहरी नींद सुला दिया ।
तभी घटना घटी ।
जैसे ही वो अंतिम गार्ड की गर्दन काटने के लिए उसके नजदीक पहुँचा, तभी न जाने कैसे उस गार्ड की आँख खुल गयी और अपने आसपास का मंजर देखकर उसके नेत्र दहशत से उबल पड़े ।
“बचाओ-बचाओ ।” वह एकाएक गला फाड़कर चिल्लाता हुआ तम्बू से बाहर की तरफ झपटा- “बचाओ ।”
कमाण्डर तीर की तरह उसके पीछे दौड़ा ।
परन्तु तब तक गार्ड उस तम्बू से बाहर निकल चुका था और अब तूफानी गति से उस छोटे तम्बू की तरफ भागा जा रहा था, जिसमें मास्कमैन और डायमोक सोये हुए थे ।
ज्यादा वक्त नहीं था ।
जल्दी कुछ करना था ।
तुरंत कमाण्डर के दिमाग की मांस-पेशियों ने हरकत दिखा दी और पलक झपकते ही उसके क्लेंसी हैट की ग्लिप में फंसी कोल्ट रिवॉल्वर निकलकर कमाण्डर के हाथ में आ गयी ।
रिवॉल्वर हाथ में आते ही उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और ट्रेगर दबा ।
बेतहाशा भागता हुआ गार्ड और भी ज्यादा जोर से गला फाड़कर चीख उठा ।
गोली ठीक उसकी पीठ में जाकर लगी ।
वह लहराता हुआ गिरा और तम्बू के पास ही ढेर हो गया ।
कमाण्डर दौड़ता हुआ वापस झाड़ियों में जा छिपा और सांस रोककर अब आगामी हलचल की प्रतीक्षा करने लगा ।
वो जानता था, गार्ड के बुरी तरह चीखने और गोली चलने की उस आवाज ने दोनों योद्धाओं को जरूर उठा दिया होगा । वही हुआ, कुछ सैकण्ड भी न गुजरे कि तभी मास्कमैन और डायमोक बहुत घबराई हुई सी स्थिति में अपने-अपने तम्बू से बाहर निकले ।
“कोई गोली चलने जैसी आवाज थी ।” मास्कमैन बोला ।
“कोई चीखा भी था ।”
तभी उन दोनों की नजर गार्ड की लाश पर पड़ी ।
“माई गॉड !” डायमोक के मुंह से तेज सिसकारी छूटी- “यह तो किसी ने हमारे आदमी को मार डाला ।”
“यह दूसरा गार्ड कहाँ है?”
“मालूम नहीं कहाँ है ।” डायमोक की गर्दन इधर-उधर घूमी- “हमें तम्बू के अंदर चलकर देखना चाहिये, कहीं वहाँ तो कुछ गड़बड़ नहीं हो गयी ।”
दोनों योद्धा तेजी से बड़े तम्बू की तरफ बढ़े और उसके अंदर घुसते ही उन दोनों के नेत्र दहशत से फटे के फटे रह गये ।
मास्कमैन ने झटके के साथ राइफल अपने हाथ में ले ली ।
जबकि डायमोक के हाथ में अपनी बुलफाइटरों वाली तलवार नजर आने लगी थी ।
उन दोनों के सामने लाशों का ढेर लगा था ।
“जरूर कमाण्डर यहीं कहीं आसपास है ।” मास्कमैन गुर्राया- “उसे फौरन तलाश करना होगा, फौरन !”
दोनों यौद्धा दौड़ते हुए तम्बू से बाहर निकल आये ।
उनके हथियार तने हुए थे, तम्बू से बाहर आते ही उन्होंने एक-दूसरे से कोई पचास गज का फासला बना लिया ।
वह ‘शेडो वारफेयर’ (छाया युद्ध) की पोजिशन थी ।
जिसमें यौद्धा एक-दूसरे से काफी फासला बनाकर बेहद ख़ास स्टाइल में अपने दुश्मन को तलाश करते हैं ।
फासला वह इसलिए बनाते हैं, ताकि अगर दुश्मन अटेक की पोजिशन में आये, तो वह किसी एक यौद्धा पर ही आक्रमण कर सके ।
दोनों योद्धाओं के बीच फिर वो फासला धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और सौ मीटर तक पहुँच जाता है, उसके बाद वो एक निश्चित प्वाइंट पर पहुँचकर आपस में मिलते हैं तथा वहाँ तक घटी तमाम घटनाओं की जानकारी एक-दूसरे को देते हैं, उसके बाद पीछे चल रहा योद्धा आगे चला जाता है और आगे चल रहा योद्धा पीछे चलता है । इस तरह वो शैडो वारफेयर की सेकण्ड पोजिशन होती है । फिर वो इसी प्रकार क्रम अनुसार आगे-पीछे चलते हुए जंगल को छानते हैं और दुश्मन को तलाश करते हैं ।
कमाण्डर झाड़ियों के अंदर-ही-अंदर निःशब्द अंदाज में चलता हुआ आगे बढ़ने लगा ।
वो जानता था, अगर वो वहीं झाड़ियों में छिपा रहा, तो अभी उन योद्धाओं की निगाह में आ जायेगा ।
डायमोक फिलहाल आगे चल रहा था ।
उसके हाथ में तलवार थी ।
कमाण्डर ने अनुमान लगाया- जिस स्पीड से डायमोक चल रहा है, अगर वो उसी स्पीड से चलता रहा, तो बहुत जल्द मास्कमैन और डायमोक के बीच एक बड़ा फासला हो जायेगा ।
वही हुआ ।
पन्द्रह मिनट के अंदर उन दोनों योद्धाओं के बीच एक बड़ा फासला हो गया ।
कमाण्डर के लिए वही एक गोल्डन चांस था ।
वह फौरन झाड़ियों के अंदर से निकलकर डायमोक के सामने आ खड़ा हुआ ।
“त... तुम !” डायमोक उसे देखकर बुरी तरह चिहुंका ।
“क्यों, मुझे देखकर हैरानी हो रही है ?”
“नहीं, कोई हैरानी नहीं हो रही ।” डायमोक बोला- “बल्कि खुशी हो रही है कि अब तुम्हारा मेरे से मुकाबला होने वाला है । वैसे भी मेरी तलवार की प्यास बहुत दिनों से किसी के खून से नहीं बुझी ।”
कमाण्डर ने फौरन अपना स्प्रिंग ब्लेड बाहर निकाल लिया ।
वह गोली चलाकर पीछे-पीछे आ रहे मास्कमैन को सचेत नहीं करना चाहता था ।
तभी डायमोक नीचे को झुका और उसकी तलवार बड़ी तेजी के साथ उरेकान की मुद्रा में कमाण्डर की तरफ झपटी ।
मगर कमाण्डर उससे कहीं ज्यादा अलर्ट था ।
वह फौरन रेत के ढेर की तरह नीचे गिर गया । डायमोक की तलवार सर्राटे के साथ उसके सिर के ऊपर से गुजरी ।
कमाण्डर ने तुरंत कराटे की हिजागिरी का एक्शन दिखाया ।
उसका घुटना अपने पूरे वेग के साथ डायमोक के गुप्तांग पर पड़ा ।
चीख उठा डायमोक ।
वह संभल पाता, उससे पहले ही कमाण्डर ने राउण्ड किक जड़ी ।
डायमोक चीखता हुआ नीचे गिरा ।
मगर नीचे गिरते ही वो फिर जम्प लेकर खड़ा हो गया था । एक बार फिर उसकी तलवार बुलफाइटिंग के एक बड़े सधे हुए अंदाज में घूमी और कमाण्डर की तरफ झपटी ।
कमाण्डर ने फौरन अपना स्प्रिंग ब्लेड उसके सीने की तरफ खींच मारा ।
“न... नहीं ।” जोर से चीखा डायमोक ।
उसकी उठी हुई तलवार उठी रह गयी ।
फिर वह दोनों हाथों के बीच में-से निकलकर टन्न की आवाज करती हुई नीचे गिरी ।
कमाण्डर ने तुरंत झपटकर उसकी बुलफाइटरों वाली तलवार उठा ली और इससे पहले कि डायमोक अपने बचाव के लिए कुछ कर पाता, उसने वो तलवार डायमोक के दिल में घुसा दी ।
“सचमुच तुम्हारी तलवार की प्यास बहुत दिन से नहीं बुझी थी डायमोक ।” कमाण्डर फुंफकार कर बोला- “लेकिन आज उसकी वो इच्छा भी पूरी हो गयी । अलविदा मेरे दोस्त ।”
डायमोक की आँखें फटी की फटी रह गयीं ।
वो धड़ाम से नीचे जा गिरा ।
फिर कमाण्डर ने पीछे आ रहे मास्कमैन की स्पीड को केलकुलेट किया । वह मुश्किल से दो मिनट बाद ही वहाँ पहुँचने वाला था ।
कमाण्डर ने आनन-फानन कुछ काम किये ।
सबसे पहले उसने डायमोक के सीने में धंसा अपना स्प्रिंग ब्लेड निकालकर वापस खांचे में फिट किया और फिर अपने हैवरसेक बैग में-से आरडीएक्स (अत्यंत विध्वंसक पदार्थ) का एक गोला निकाला ।
आरडीएक्स के गोले में-से उसने थोड़ा सा आरडीएक्स तोड़ा, उसे जांघ पर रखकर गोलाई में बेला और फिर उसे एक कागज में फोल्ड कर दिया ।
उसके बाद कमाण्डर ने एक डिटोनेटर पैंसिल निकाली ।
उस डिटोनेटर पेंसिल की यह खासियत थी कि उसमें दो सेकण्ड से लेकर चौबीस घंटे तक का टाइम फिक्स किया जा सकता था । कमाण्डर ने उसमें तीन मिनट बाद का टाइम फिक्स किया और फिर वह डिटोनेटर पैंसिल उस आरडीएक्स के अंदर लगा दी ।
अब बेहद खतरनाक टाइम बम तैयार था ।
“मैंने सुना है मास्कमैन ।” कमाण्डर बोला- “कि तुम टाइम-बम के बड़े जबरदस्त विशेषज्ञ थे । टाइम-बम बनाने से लेकर उन्हें डिस्कनेक्ट करने तक में तुम्हें महारथ हासिल है । अब देखना है, तुम्हारी विशेषज्ञता तुम्हारे कितने काम आती है ।”
कमाण्डर ने आरडीएक्स का वह टाइम बम डायमोक की लाश के नीचे छुपा दिया और फिर वो द्रुतगति के साथ वहाँ से भाग खड़ा हुआ ।
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