RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर रिवॉल्वर हाथ में लेकर वहीं सुरंग के एक कोने में छिप गया और दौड़ते हुए कदमों की आवाज ध्यान से सुनने लगा ।
वह कई आदमियों के दौड़ने की आवाज थी, जो धमाके सुनकर उसी तरफ भागे चले जा रहे थे ।
कमाण्डर ने अपनी रिवॉल्वर का चैम्बर खोलकर देखा ।
उसमें सिर्फ तीन गोलियां थीं ।
कमाण्डर ने चैम्बर वापस बंद कर दिया ।
भागते हुए कदमों की आवाज अब काफी नजदीक आ चुकी थी । जैसे ही वह दोनों मोड़ के करीब पहुंचे, कमाण्डर फौरन चीते की तरह जम्प लेकर उन दोनों के सामने खड़ा हो गया ।
उन दोनों के हाथ में भी राइफलें थीं, मगर उस वक्त दोनों राइफलों के मुंह छत की तरफ थे ।
“क... कौन हो तुम ?” कमाण्डर को देखते ही वो हड़बड़ाये ।
“फिलहाल तुम मुझे अपनी मौत समझो ।”
रिवॉल्वर फौरन कमाण्डर की उंगली के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और ट्रेगर दबा ।
उनमें से एक गार्ड तो तभी चीखता हुआ वहीं ढेर हो गया ।
जबकि दूसरे गार्ड ने फौरन अपनी राइफल की नाल कमाण्डर की तरफ ताननी चाही, परन्तु उससे पहले ही एक फ्लाइंग किक उसके चेहरे पर पड़ी ।
गार्ड के हाथ से राइफल छूट गयी ।
वो दहाड़ता हुआ पीछे सुरंग की दीवार से जाकर टकराया ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने झपटकर उसका गिरेहबान पकड़ लिया और रिवॉल्वर की नाल उसके गले की घण्टी पर रख दी ।
गार्ड ने जोर से थूक सटकी ।
खौफ के मारे उसके जिस्म का एक-एक रोआं खड़ा हो गया ।
“क... क्या चाहते हो तुम ?”
“सिर्फ मेरे एक सवाल का जवाब दो ?”
“पूछो ।”
“यह सुरंग कहाँ जाकर खत्म होती है ?”
गार्ड ने फौरन सख्ती से अपने होंठ भींच लिये ।
तुरंत कमाण्डर का एक प्रचण्ड प्रहार उसके पेट में पड़ा । गार्ड के मुंह से इस तरह हवा निकली, जैसे किसी गुब्बारे में से निकली हो ।
तभी कमाण्डर करण सक्सेना ने रिवॉल्वर की बैरल को जोर से खींचकर उसकी कनपटी पर मारा ।
गार्ड के मुंह से तेज सिसकारी छूटी । उसकी कनपटी से खून बहने लगा ।
“जल्दी बताओ ।” रिवॉल्वर कमाण्डर की उंगलियों के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और दोबारा उसके गले की घण्टी पर जा टिकी- “यह सुरंग किस जगह पहुँचकर खत्म होती है ?”
“ह... हैडक्वार्टर !”
“क्या हैडक्वार्टर ?”
“य... यह हमारे हैडक्वार्टर पहुँचकर खत्म होती है ।”
कमाण्डर ने रिवॉल्वर का ट्रेगर दबा दिया ।
गार्ड की खोपड़ी इस तरह फटी, जैसे उसके अंदर रखा कोई बम फटा हो ।
उसकी खोपड़ी में से ढेर सारा खून निकलकर दीवार पर फैल गया ।
फिर कमाण्डर ने उन गार्डों की राइफलें बेकार कीं । उनकी गोलियां अपने हैवरसेक बैग में भरीं और उसके बाद वह मौत का कालदूत बना सुरंग में आगे की तरफ बढ़ा ।
पहले की तरह ही कमाण्डर उसके पीछे टाइम-बम फिट करता जा रहा था ।
सुरंग की धज्जियां उड़ाता जा रहा था ।
बर्मा के खौफनाक जंगलों में उन बारह योद्धाओं ने कोई इतनी बड़ी सुरंग भी बनायी हुई है, इस बात की जानकारी कमाण्डर को पहले से नहीं थी ।
अलबत्ता उस सुरंग को देखकर वो प्रभावित जरूर हुआ ।
वाकई यह उसी सुरंग का कमाल था, जो यह योद्धा उस पूरे जंगल को अपनी मुटठी में कैद किए हुए थे ।
जो वहाँ उनका एकमात्र राज चल रहा था ।
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