RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
सभी छः योद्धा रेडियो-रूम में जमा थे, उनके बीच खलबली मची हुई थी ।
“कमाण्डर करण सक्सेना हमारे काबू में नहीं आ रहा है ।” रोनी बेहद बैचेनीपूर्वक बोला- “वह हमारा आधे से ज्यादा हैडक्वार्टर तबाह कर चुका है ।”
“वाकई !” हवाम भी बोला- “कमाण्डर की तबाही को रोकने के लिये हमें जल्दी कुछ करना होगा ।”
“लेकिन हम करें क्या ?”
जैक क्रेमर जैसे योद्धा की आवाज में ही जबदरस्त उलझन का पुट था ।
“यही तो समझ नहीं आ रहा । वह साक्षात् मौत का फरिश्ता बन चुका है ।”
सब बहुत बेचैन थे ।
बाहर से बम फटने की आवाजें निरंतर उनके कानों में पड़ रही थीं ।
जैक क्रेमर उनमें सबसे ज्यादा परेशान था ।
“लगता है, पूरे बर्मा पर कब्जा करने का हमने जो सपना देखा था, वो इस एक आदमी की वजह से ही धूल में मिलकर रहेगा ।”
“नहीं ।” अबू निदाल गुर्रा उठा- “हम इतनी आसानी से अपने सपने को धूल में नहीं मिलने देंगे सर !”
“लेकिन हम कर क्या सकते हैं ।” जैक क्रेमर झुंझलाकर बोला- “वो हमारे हैडक्वार्टर में घुसा हुआ है और तब भी हम उसका कुछ बिगाड़ने में नाकाम हैं ।”
“मैं तो कहता हूँ सर !” माइक बोला- “हमें फिलहाल बातों में वक्त बर्बाद करने की बजाय बाहर जाकर कमाण्डर करण सक्सेना का मुकाबला करना चाहिये ।”
सब योद्धा फिर अपने-अपने हथियार लेकर बुलंद हौसलों के साथ रेडियो-रूम से बाहर निकले ।
☐☐☐
कमाण्डर अभी भी पहले माले के उसी गलियारे में दौड़ा जा रहा था, जो फिलहाल कुछ सुरक्षित था ।
मगर जल्द ही वो सुरक्षित रहने वाला नहीं था ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वहाँ भी जगह-जगह टाइम-बम जो फिट कर दिये थे ।
वो पिछली तरफ की रेलिंग के नजदीक पहुँचकर ठिठका ।
उसने नीचे झांका, नीचे भी एक गलियारा था । मगर फिलहाल वो पूरी तरह सुनसान था ।
जितनी भी अफरा-तफरी मची थी, सब हैडक्वार्टर के अगले हिस्से में मची थी ।
कमाण्डर करण सक्सेना की निगाहें इधर-उधर दौड़ीं ।
जल्द ही उसे एक काफी बड़ी रस्सी पड़ी नजर आ गयी । कमाण्डर करण सक्सेना ने दौड़कर रस्सी उठा ली ।
उसने रस्सी खींचकर देखी ।
वो मजबूत थी ।
कमाण्डर ने रस्सी का एक सिरा रेलिंग के पाइप के साथ कसकर बांधा और दूसरा सिरा नीचे गलियारे में लटका दिया ।
फिर वो रस्सी पर धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा ।
जल्द ही उसने धम्म से नीचे गलियारे में छलांग लगायी । नीचे कूदते ही वो एकदम स्प्रिंग लगे खिलौने की भांति सीधा खड़ा हो गया और फिर रस्सी उसने वापस ऊपर रेलिंग की तरफ उछाल दी । उसके बाद वो दौड़ता हुआ नजदीक के ही एक कमरे में जा छिपा ।
सामने से पांच-छः गार्ड अपने ऐमीनेशन ब्लैक बूट बजाते हुए तेज-तेज कदमों से उसी तरफ चले आ रहे थे ।
कमाण्डर करण सक्सेना दरवाजे के दोनों पटों से पीठ लगाये स्तब्ध मुद्रा में खड़ा रहा ।
जल्द ही वह गार्ड कमरे के सामने से गुजर गये ।
कमाण्डर ने एक बेहद शक्तिशाली टाइम-बम उस कमरे के अंदर फिट किया और दरवाजे की झिरी में-से बाहर झांका ।
गलियारा सुनसान था ।
कमाण्डर बाहर निकल आया और उसके बाद गलियारे में जगह-जगह टाइम-बम फिट करता हुआ आगे की तरफ दौड़ा ।
तभी उसने फिर कुछ गार्डों के उस तरफ आने का स्वर सुना ।
कमाण्डर फौरन एक गोल स्तम्भ के पीछे छुप गया ।
गार्ड अब काफी करीब आ चुके थे । कमाण्डर करण सक्सेना ने देखा, वह तीन गार्ड थे ।
“यहाँ तो कोई नहीं है ।” उसी क्षण एक गार्ड की आवाज कमाण्डर के कानों में पड़ी ।
“किसी के तेज़ दौड़कर आने की आवाज तो इसी तरफ से आ रही थी ।”
“मुझे तो कुछ गड़बड़ लगती है ।” वह एक अन्य गार्ड की आवाज थी- “जरूर कमाण्डर यहीं-कहीं छिपा है, हमें उसे तलाश करना चाहिेये ।”
“ठीक है, देखते हैं ।”
गार्ड जो गलियारे के बीच में ही ठिठकर खड़े हो गये थे, वह अपने ऐमीनेशन ब्लैक बूट बजाते हुए फिर आगे की तरफ बढ़े ।
कमाण्डर ने अपनी लाइट मशीनगन संभाल ली ।
जैसे ही वह गार्ड उस गोल स्तम्भ के करीब आये, कमाण्डर एकदम किसी प्रेत की तरह उन तीनों के सामने जा खड़ा हुआ और वह कुछ समझ पाते, उससे पहले ही गोलियां चीखती हुई उनके जिस्म के भिन्न-भिन्न हिस्सों में जा धंसी ।
कमाण्डर फिर आगे की तरफ भागा ।
जगह-जगह टाइम-बम वो अभी भी फिट करता जा रहा था । इस बीच पीछे फिट किये गये टाइम-बमों में जोर-जोर से धमाके होने लगे ।
हैडक्वार्टर अब ताश के पत्तों की तरह ढहता हुआ नजर आया ।
सभी छः योद्धा जो कमाण्डर करण सक्सेना की तलाश में उसी तरफ दौड़े चले आ रहे थे, धमाकों की आवाज सुनकर ठिठक गये ।
“मेरी एक सलाह है ।” रोनी बोला ।
“क्या ?”
“कमाण्डर इस समय बहुत आक्रामक मूड में है । अगर ऐसी परिस्थिति में हमारी उससे मुठभेड़ हुई, तो इसमें कोई शक नहीं कि हममें से एक-दो योद्धा और कम हो जायेंगे और फिर भी यह गारण्टी नहीं है कि कमाण्डर करण सक्सेना मारा ही जाये ।”
“तुम कहना क्या चाहते हो रोनी ?” हवाम गुर्राया ।
“मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ मिस्टर हवाम !” रोनी बोला- “कि फिलहाल हम लोगों को यहाँ से भागकर अपनी जान बचानी चाहिये और उसके बाद हमें ठण्डे और शान्त दिमाग से कोई योजना बनाकर कमाण्डर पर हमला करना होगा ।”
“यानि हम यहाँ से पीठ दिखाकर भाग खड़े हों ?” अबू निदाल की त्यौरियों पर बल पड़े- “हम कायर बन जायें ?”
“सवाल कायर बनने का नहीं है अबू निदाल ! सवाल ये है कि इस वक्त परिस्थितियां हमें किस बात की इजाजत दे रही हैं । जिस बात की परिस्थितियां इजाजत दें, वही काम करने में बुद्धिमानी है ।”
“रोनी बिल्कुल ठीक कह रहा है ।” जैक क्रेमर ने भी रोनी की बात का समर्थन किया- “फिलहाल हैडक्वार्टर छोड़कर भागने में ही हमारी भलाई है । वैसे भी यहाँ खण्डहरों के सिवाय अब कुछ शेष नहीं बचा है । हमारी वर्षों की मेहनत तबाह हो चुकी है । जल्दी भागो !”
जैक क्रेमर के आदेश की देर थी, फौरन तमाम योद्धा कमाण्डर करण सक्सेना को ढूंढ निकालने की बात भूलकर हैडक्वार्टर के पिछले हिस्से की तरफ भागे ।
वहाँ एक छोटा-सा हैलीपेड बना हुआ था और वहीं एक गहरे नीले रंग का हैलीकॉप्टर खड़ा था ।
सबसे पहले माइक दौड़कर हलीकॉप्टर में चढ़ा ।
फिर हवाम, फिर जैक क्रेमर , मास्टर, अबू निदाल और उसके बाद रोनी ।
माइक तब तक पायलेट सीट पर बैठकर हैलीकॉप्टर स्टार्ट कर चुका था ।
जैसे ही रोनी ने झटके से दरवाजा बंद किया, तभी हैलीकॉप्टर की पंखुड़ियां जोर-जोर से घूमने लगीं ।
हैलीकॉप्टर स्टार्ट होने की आवाज कमाण्डर ने भी सुनी । वह दौड़ता हुआ जब तक पिछले हिस्से में पहुँचा, तब तक हैलीकॉप्टर उड़ान भर चुका था और वह भयानक गर्जना करता हुआ दूर आकाश में उड़ा जा रहा था ।
कमाण्डर ने मशीनगन से हैलीकॉप्टर की तरफ धुआंधार फायरिंग की ।
लेकिन सब बेकार !
हैलीकॉप्टर फायरिंग रेंज से बाहर निकल चुका था ।
शीघ्र ही वो कमाण्डर की नजरों से ओझल हो गया ।
“शिट !” कमाण्डर ने जोर से अपनी जांघ पर घूंसा मारा- “आखिरकार सब बचकर भाग निकले, सब ।”
कमाण्डर के चेहरे पर हताशा घिरने लगी ।
पीछे हैडक्वार्टर में बमों के धमाके अभी भी हो रहे थे ।
लेकिन कमाण्डर पूरी तरह निराश नहीं था । वो जानता था, असॉल्ट ग्रुप के वह सभी छः योद्धा जंगल छोड़कर भागने वाले नहीं हैं ।
क्योंकि अगर उन्होंने उस जंगल से बाहर निकलने की जरा भी कोशिश की, तो उसी क्षण चारों तरफ फैली बर्मा की फौज ने उन्हें मार डालना था ।
यानि अभी कमाण्डर की जंगल में उन योद्धाओं से मुठभेड़ होनी बाकी थी ।
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