RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
चीख इतनी करुणादायी और कर्कश थी कि उस चीख की आवाज ने गहरी नींद सोते योद्धाओं को भी जगा डाला और वह दौड़ते हुए जल्दी बाहर आये । बाहर का दृश्य बड़ा दहशतनाक था ।
मास्टर उस समय बिल्कुल दरिंदा नजर आ रहा था ।
उसने हंसिये से सरदारनी के गुप्तांग को बुरी तरह फाड़ डाला था । छातियां उधेड़ डाली थीं और अब वो हंसिये की पैनी धार से उसके बेजान निप्पल खरोंच रहा था । सरदारनी का पूरा शरीर खून में लिथड़ा हुआ था और वो मर चुकी थी ।
“य... यह तुमने क्या किया ?” जैक क्रेमर ने चीखते हुए मास्टर को बुरी तरह झिझोंड़ा- “सरदारनी को क्यों मार डाला ?”
“इस जैसी त्रिया चरित्र औरत का यहीं अंजाम होना था, मैंने इसके साथ न्याय किया है ।”
“यह आदमी पागल है ।” रोनी के शरीर में झुरझुरी दौड़ी- “यह आज तक इसी तरह कई औरतों को जहन्नुम पहुँचा चुका है ।”
“या मेरे खुदा !” अब निदाल ने भयभीत होकर दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ा- “अब हम सरदार को क्या जवाब देंगे ? इस आदमी ने अपने जरा से गुस्से की बदौलत कितना बड़ा बवाल पैदा कर दिया है । अगर सरदार को इसकी हरकतों के बारे में पता चल गया, तो कमाण्डर करण सक्सेना के साथ-साथ बर्मा की पूरी जंगली कौम हमारी दुश्मन हो जायेगी ।”
“मेरे बाप !” हवाम बोला- “इतना बड़ा काम करने से पहले थोड़ा अकल का तो इस्तेमाल कर लेता । पहले ही क्या हमारे ऊपर कुछ कम बड़ी आफत टूटी हुई है ।”
“मैं एक योद्धा हूँ ।” मास्टर फुंफकारा- “और मैं वही करता हूँ, जो मेरा दिल इजाजत देता है ।”
फिर मास्टर ने अपने खून से सने हंसिये को मृत सरदानी के नितम्बों से रगड़कर साफ किया और उसके बाद टहलता हुआ झोंपड़ी के अंदर वाले हिस्से में चला गया ।
उसकी हरकतें ऐसी थीं, जैसे कुछ हुआ ही न हो । योद्धाओं की निगाह दोबारा सरदारनी की लाश पर जाकर ठहर गयी ।
लाश उस समय भयानक नजर आ रही थी । क्योंकि मास्टर ने उसके ऊपर एकाएक आक्रमण किया था, इसलिए उसकी आखें दहशत के कारण फटी की फटी रह गयी थीं । मुंह जो चीखने के लिए खुला, तो वह अंत तक खुला हुआ था ।
“सचमुच सरदारनी को मारकर मास्टर ने बहुत भयानक गड़बड़ कर दी है ।” माइक बोला ।
“अब यह सोचो-फिलहाल हम लोग क्या करें ।” जैक क्रेमर ने आंदोलित मुद्रा में कहा- “अगर ऐसी परिस्थिति में सरदार लौट आया, तो हमारे ऊपर कहर टूटने में फिर कोई ज्यादा वक्त नहीं लगेगा ।”
“मैं एक तरीका बताता हूँ ।” रोनी ने थोड़े उत्साहपूर्वक कहा ।
“क्या ?”
“इससे पहले कि सरदार वापस लौटे, हमें इस लाश को कहीं ठिकाने लगा देना चाहिये ।”
सब योद्धाओं की आँखें एक-दूसरे से टकराई ।
उनकी आँखों में हल्की उम्मीद की किरण रोशन हुई । रोनी के प्रस्ताव में जान थी ।
“आप लोग मानें या न मानें ।” रोनी बोला- “लेकिन फिलहाल अपने बचाव का हमारे पास यही एक मुनासिब तरीका है ।”
“मगर जब सरदार अपनी बीवी के बारें में पूछेगा ।” हवाम बोला- “तब हम उसे क्या जवाब देंगे ?”
“तब की तब सोंचेगे ।” रोनी ने कहा- “फिलहाल मास्टर की बेवकूफी के कारण खतरे की जो तलवार हमारे सिर पर आकर लटक गयी हैं, हमें उससे तो छुटकारा मिलेगा । वरना सोचो इस जंगल के अंदर कमाण्डर और तमाम जंगली लोग हमारे दुश्मन होंगे, जबकि जंगल के बाहर बर्मा की पूरी फौज हमारे मुकाबले पर होगी । फिर ऐसे माहौल में हम लोगों के ज्यादा देर तक जिंदा रहने की संभावना नहीं है ।”
सब यौद्धाओं के शरीर में सिहरन दौड़ी ।
वाकई !
मास्टर ने सरदारनी की हत्या करके एक बड़ा फसाद पैदा कर दिया था ।
“लेकिन हम लाश को किस जगह ठिकाने लगायेंगे ?” जैक क्रेमर ने पूछा ।
“वह कौन-सा मुश्किल काम है । इस झोंपड़ी के पीछे ही सन्नाटे भरा इलाका है, हम वहीं गड्ढा खोदकर लाश ठिकाने लगा सकते हैं ।”
सब यौद्धाओं ने फिर एक-दूसरे की तरफ देखा ।
“मैं समझता हूँ ।” अबू निदाल धैर्यपूर्वक बोला- “रोनी बिल्कुल ठीक कह रहा है । फिलहाल लाश को ठिकाने लगाने के सिवाय हमारे सामने दूसरा कोई रास्ता नहीं है । इसके अलावा मैं एक बात और भी कहना चाहूँगा ।”
“क्या ?”
“जब हमने लाश को ठिकाने लगाना ही है, तो हमें सोचने-विचारने में भी ज्यादा वक्त बर्बाद नही करना चाहिये । यह काम जितनी जल्दी निपटे, उतना बेहतर होगा ।”
“सबसे पहले तो लाश ही यहाँ से हटाओ ।”
“चलो, लाश मैं हटाता हूँ ।” रोनी शीघ्रतापूर्वक लाश की तरफ बढ़कर बोला-“कोई जरा हाथ लगाने में मेरी मदद करो ।”
“मैं मदद करता हूँ ।” माइक भी लाश उठाने के लिए रोनी की तरफ बढ़ा ।
इस बीच जैक क्रेमर जल्दी-जल्दी वहीं पड़े सरदारनी के कपड़े उठाने लगा ।
“उसकी कोई भी निशानी यहाँ छूटनी नहीं चाहिये ।”
“ऐसा ही होगा ।” रोनी बोला ।
“और गहरा गड्ढा खोदने के लिए हम फावड़ा कहाँ से लायेंगे ?”
“वह कोई प्रॉब्लम नहीं है ।” हवाम ने कहा- “फावड़ा मैंने थोड़ी देर पहले अंदर ही देखा था, मैं अभी उसे उठाकर लाता हूँ ।”
हवाम फावड़ा लाने के लिए झोपड़ी के अंदर की तरफ बढ़ा ।
एकाएक वहाँ सब सक्रिय हो उठे थे ।
“और उस मास्टर के बच्चे को भी बाहर निकालकर ले आना ।” जैक क्रेमर कुत्सित मुद्रा में बोला- “हमारी जान को झंझट तो उसने पैदा कर ही दिया है, अब कम से कम उस झंझट को निपटाने में तो हमारी कुछ हैल्प करे ।”
“मुझे बाहर लाने की कोई जरूर नहीं है ।” तभी मास्टर पर्दा हटाकर वहाँ आया- “मैं खुद आपकी मदद के लिए हाजिर हूँ ।”
उस समय मास्टर काफी सहज दिखाई दे रहा था ।
“बहुत-बहुत मेहरबानी जनाब ?” अबू निदाल व्यंग्यपूर्वक बोला- “आपकी इस मदद को हम जिंदगी में कभी नहीं भूलेंगे ।”
“तुम शायद मेरा मजाक उड़ा रहे हो ।” मास्टर की त्यौरियों पर बल पड़े ।
“नहीं, मेरी इतनी हिम्मत कहाँ ! मैं तो आपकी तारीफ कर रहा हूँ जनाब ।”
“अब बहस में वक्त बर्बाद मत करो ।” जैक क्रेमर गुर्रा उठा- “और जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ ।”
तभी हवाम भी दौड़कर अंदर से फावड़ा निकाल लाया ।
|