RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
एक घण्टा गुजर गया ।
सभी छः योद्धा इस समय झोंपड़े के उसी अंदर वाले हिस्से में लेटे थे, जहाँ उनके पहले ही बिस्तर कर दिये गये थे । इस समय वहाँ का माहौल बड़ा सस्पैंसफुल था ।
पिन ड्रॉप साइलेंस जैसी स्थिति !
सरदारनी की लाश वो सब मिलकर ठिकाने लगा चुके थे । झोंपड़े के पीछे ही उन्होंने एक बड़ा-सा गड्ढा खोदा था और उसी गड्ढे में उन्होंने लाश को दबा दिया । उसी गड्ढे में सरदारनी के कपड़े वगैरा सब दफना दिये गये । इसके अलावा झोंपड़े में-से सारा खून भी अच्छी तरह साफ कर दिया गया था । फिलहाल झोंपड़े के अंदर ऐसा कोई चिन्ह शेष नहीं बचा था, जिससे साबित होता कि वहाँ थोड़ी देर पहले ही कोई मरा है ।
धीरे-धीरे दो घण्टे का समय और गुजर गया ।
यही वो क्षण था, जब झोंपड़े का बाहर वाला दरवाजा खुलने की आवाज हुई ।
“लगता है, सरदार क्रियाकर्म में भाग लेकर वापस आ गया ।”
रोनी तेजी से फुसफुसाकर बोला ।
फिर भारी-भरकम कदमों की आवाज ।
“सरदार ही है ।” अबू निदाल ने भी उसके ‘सरदार’ होने की पुष्टि की ।
“सब अपनी-अपनी आँखें बंद कर लो ।” जैक क्रेमर शीघ्रतापूर्वक बोला- “सरदार को इस बात का जरा भी शक नहीं होना चाहिये कि हम लोग जाग रहे हैं ।”
सबने आदेश का पालन किया ।
पलक झपकते ही उन सबकी आँखें बंद हो गयीं और ऐसा प्रतीत होने लगा, जैसे वह सचमुच गहरी नींद में हों ।
बाहर से अब सरदार के चलने की आवाजें आ रही थीं । फिर दोबारा दरवाजा खुलने की आवाज । शायद वो बड़ी बेकरारी से सरदारनी को तलाश कर रहा था ।
“क्रेमर साहब !” फिर वो जोर-जोर से चीखता हुआ उसी तरफ बढ़ा- “क्रेमर साहब !”
वो अंदर आ गया ।
“क्रेमर साहब !”
“क... क्या हो गया ?” जैक क्रेमर ने थोड़ा हड़बड़ाकर आँखें खोलीं और वह उठा ।
“ग्रेन्डी कहाँ गयी ?”
“ग्रेन्डी !”
“मेरी बीवी ।”
“ओह !”
तो ‘ग्रेन्डी’ उस सरदारनी का नाम था ।
“क्या ग्रेन्डी तुम्हारे साथ बूढ़े के अंतिम संस्कार में भाग लेने नहीं गयी थी ?” जैक क्रेमर बोला ।
“नहीं, मैं तो उसे यहीं छोड़कर गया था । रात के समय अगर कोई जरूरी काम आ जाता है, तो वो कभी भी मेरे साथ बाहर नहीं जाती ।”
“फिर तो वो बाहर झोंपड़े में ही कहीं होगी ।”
“बाहर ही तो नहीं है क्रेमर साहब !”
उसी क्षण बाकी योद्धाओं ने भी अपनी आँखें मलते हुए इस तरह उठने का उपक्रम किया, जैसे उनकी बातचीत से उनकी नींद में भी विघ्न पड़ गया हो ।
“क्या हो गया ?” हवाम थोड़ा कुपित भाव से बोला ।
“ग्रेन्डी गायब है ।”
“ग्रेन्डी, कौन ग्रेन्डी ?” रोनी चिहुंका ।
“अरे सरदारनी, और कौन !”
बाकी योद्धओं के चेहरे पर भी हैरानी के भाव तैर गये ।
वह सब लाजवाब अभिनय कर रहे थे ।
“वो भला कहाँ गायब हो सकती हैं ।” अबू निदाल बोला- “जरूर बस्ती में यहीं कहीं चली गयी होंगी । यह भी मुमकिन है, वह उसी बूढ़े के घर चली गयी हों, जिसकी मौत हुई है ।”
“हाँ !” जैक क्रेमर की गर्दन भी स्वीकृति में हिली- “यह संभव है । वरना भला ग्रेन्डी और कहाँ जा सकती है ?”
“लेकिन उसी बूढ़े के घर से तो मैं आ रहा हूँ ।”
“शायद ऐसा हुआ हो !” मास्टर ने एक नई संभावना व्यक्त की- “तुम उधर से आये हो और वो इधर से गयी हो ।”
सरदार को बात कुछ जम नहीं रही थी ।
पहले तो कभी ग्रेन्डी इतनी रात को झोंपड़ी से गायब नहीं हुई थी ।
यह इस तरह का पहला वाकया था ।
और वो वाकया उसके दिल में दहशत पैदा कर रहा था । सरदार को लग रहा था, जरूर कहीं-न-कहीं कुछ गड़बड़ है ।
“ठीक है ।” सरदार परास्त लहजे में बोला- “मैं ग्रेन्डी को उस बूढ़े के घर भी देखकर आता हूँ ।”
“मैं भी तुम्हारे साथ चलूं ?” मास्टर फौरन अपनी जगह से उठकर बोला । फिर वो हंसिये को अपनी कमर के साथ बांधने लगा ।
“नहीं, तुम्हारी जरूरत नहीं हैं ।”
“फिर भी मैं चलता हूँ, शायद तुम्हारी कुछ मदद हो जाये ।”
“जैसी तुम्हारी इच्छा ।”
मास्टर, सरदार के साथ ग्रेन्डी को ढूंढने के लिये झोंपड़े से बाहर निकल गया ।
“देखो तो साले को !” जैक क्रेमर, मास्टर के जाते ही फुंफकारा- “सरदार के सामने कैसा भला बनके दिखा रहा है । ग्रेन्डी को ढूंढने गया है, जैसे अभी सच में ही उसे ढूंढकर लायेगा ।”
“मैं तो एक दूसरी बात सोच रहा हूँ ।” माइक ने कहा ।
“क्या ?”
“सरदारनी की मौत की यह बात आखिर कब तक छुपेगी ?”
“देखो, कब तक छुपती है । जब नहीं छुपेगी, तब कोई दूसरा रास्ता खोजेंगे ।”
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