RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
सरदार और मास्टर, वह दोनों पूरी बस्ती छानकर कोई डेढ घण्टे में वापस लौट आये ।
तब तक दिन का उजाला धीरे-धीरे चारों तरफ फैलने लगा था । इसके अलावा तब तक यह बात भी पूरी बस्ती में फैल चुकी थी कि ग्रेन्डी गायब है । सरदारनी के गायब होने की उस खबर ने तमाम जंगलियों को घोर आश्चर्य में डाल दिया । वह सब धीरे-धीरे अब सरदार के झोंपड़े के बाहर जमा होने लगे ।
उन जंगलियों में वह युवक भी शामिल था, जिसने रात ग्रेन्डी के साथ फ्रीस्टाइल कुश्ती लड़ी थी ।
वह उस समय कुछ ज्यादा भयभीत था ।
“ग्रेन्डी के बारे में कुछ मालूम हुआ ?” उन दोनों के लौटते ही जैक क्रेमर ने पूछा ।
“नहीं, हम सारी बस्ती छान चुके हैं ।” सरदार का शुष्क स्वर- “लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं ।”
सरदार उस वक्त बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहा था ।
“फिर कहाँ गयी ग्रेन्डी ?”
“कुछ समझ नहीं आ रहा, वो कहाँ गयी । मैं तो जितना सोच रहा हूँ, उतनी ही मेरी परेशानी बढ़ रही है ।”
“सरदार !” तभी झोंपड़े के बाहर खड़े कुछ जंगली नौजवान बोले- “हमारा ख्याल है, हमें सरदानी को जंगल में भी ढूंढने जाना चाहिये ।”
“जंगल में क्यों ?”
“शायद वो रात किसी काम से जंगल में चली गयी हों और वहीं किसी जंगली जानवर ने उनके ऊपर हमला कर दिया हो ।”
“लेकिन सवाल तो ये है मेरे भाई !” सरदार अवसादपूर्ण लहजे में बोला- “ग्रेन्डी भला रात के समय बस्ती छोड़कर जंगल में जायेगी क्यों ?”
“फिर जंगली नौजवानों का एक बड़ा ग्रुप ग्रेन्डी को ढूंढने के लिये जंगल में भी चला गया ।
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कमाण्डर करण सक्सेना जंगल में ‘चीता चाल’ से दौड़ता-दौड़ता जब थक गया, तो वह एक पेड़ के नीचे इत्मीनान से बैठ गया ।
उसके बाद उसने ‘मिल्क पाउडर’ को थोड़े से पानी में घोलकर पिया और कुछ सूखे मेवे खाये ।
कमाण्डर करण सक्सेना की चिन्तायें अब बढ़ने लगी थीं ।
उसे महसूस हो रहा था कि शीघ्र ही विपदाओं का पहाड़ उसके ऊपर टूटने वाला है ।
सबसे ज्यादा फिक्र उसे खाद्य सामग्री को लेकर थी, जो धीरे-धीरे खत्म होती जा रही थी । इसीलिये वो उसका कम प्रयोग कर रहा था । परन्तु फिर भी पेट की अग्नि शान्त करने के लिये उसका कुछ-न-कुछ सेवन करते रहना तो जरूरी था ।
इसीलिये कमाण्डर करण सक्सेना के शरीर में अब कुछ कमजोरी भी आने लगी थी ।
पूरा दिन उसे योद्धाओं को तलाशते-तलाशते हो गया कि वह हैडक्वार्टर से फरार होने के बाद जंगल में किस जगह जाकर छिपे हैं ।
मगर योद्धाओं का उसे कहीं कुछ पता न चला ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने वहीं बैठे-बैठे जंगल का पूरा नक्शा खोलकर अपने सामने फैला लिया और फिर उन छोटी-छोटी बस्तियों को तलाशने लगा, जो जंगल के बीच में बनी हुई थीं और जहाँ बर्मा के जंगली लोग रहते थे ।
“योद्धा इन्ही में से किसी एक बस्ती में होने चाहियें ।” कमाण्डर होंठो-ही-होंठों में बुदबुदाया ।
उसकी आँखें नक्शे पर दौड़ती रहीं ।
जल्द ही उसे जंगल में ऐसी कोई दस बस्ती नजर आ गयीं, जहाँ जंगली लोग रहते थे ।
“दस बस्ती । इनमें अलग-अलग जाकर योद्धाओं को तलाश करना भी कोई आसान काम न होगा ।” कमाण्डर ने सोचा- “क्योंकि सारी बस्ती एक-दूसरे से काफी-काफी फासले पर बनी हुई हैं ।”
“फिर क्या किया जाये ?”
कमाण्डर के दिमाग में उलझनें बढ़ रही थीं ।
वह उन योद्धाओं को जितना जल्द-से-जल्द खत्म कर देना चाहता था, उतना ही उसके और योद्धाओं के बीच फासला बढ़ रहा था । कमाण्डर ने नक्शा फोल्ड करके वापस अपने हैवरसेक बैग में रख लिया ।
कुछ क्षण वो वहीं बैठा-बैठा अपनी आगामी योजनाओं पर विचार करता रहा और उसके बाद उसने नजदीक की ही एक बस्ती की तरफ दौड़ना शुरू किया ।
उसके पास पीने का पानी बिल्कुल खत्म हो चुका था । इसलिये दौड़ते हुए उसकी निगाहें पानी को भी तलाश रही थीं, जहाँ से वो अपनी कैनें भर सके ।
कमाण्डर दौड़ता रहा ।
दौड़ता रहा ।
दिमाग में नये-नये विचार जन्म लेते रहे ।
वो अभी थोड़ी ही दूर गया होगा कि उसे एक झरना दिखाई पड़ा, जो पहाड़ की एक ऊंची अट्टालिका से होकर नीचे गिर रहा था । उस झरने का पानी काफी स्वच्छ और निर्मल था ।
कमाण्डर फौरन उस झरने के करीब पहुँचा और उसने अपने हैवरसेक बैग में से निकालकर दो कैनें भरीं ।
फिर उसने थोड़ा पानी पिया भी ।
पानी पीते हुए कमाण्डर करण सक्सेना को मिलिट्री का एक नियम याद आया । अगर रणभूमि में कोई सैनिक अपनी लापरवाही से पानी की बोतल नहीं भरता है, तो वह चाहे कितना ही अच्छा सैनिक क्यों न हो, उसे कोर्ट मार्शल करके मिलट्री से निकाल दिया जाता है । उसके बारे में कहा जाता है, जो सोल्जर अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत का ध्यान नहीं रख सकता, वह अपने देश का ध्यान क्या रखेगा ।
बात वाकई ठीक थी ।
पानी जिदंगी की सबसे बड़ी जरूरत थी ।
पानी पीने के बाद कमाण्डर ने अपना आगे का सफर दोबारा शुरू किया ।
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