RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
पांचों खतरनाक यौद्धा तुरंत हरकत में आ गये ।
वह ‘शेडो वारफेयर’ की एक बेहद खास पोजीशन में जंगल के अंदर फैल चुके थे और बड़े योजनाबद्ध अंदाज में अब कमाण्डर करण सक्सेना को तलाश कर रहे थे ।
माइक के हाथ में उस समय एक ‘बजूका’ थी ।
बजूका, जो एण्टी टैंक गन होती है और जिसकी नाल में से कोई तीन इंच मोटा गोला निकलता है ।
माइक इंग्लैंड का एक खतरनाक आतंकवादी था और कभी वहाँ बड़े-बड़े आतंकवादी ग्रुपों के लिए भाड़े पर काम करता था । उसने अपनी उसी ‘बजूका’ से इंसानों की हत्या करने से लेकर ट्रेन, बस और धार्मिक स्थल तबाह करने जैसे सारे काम किये थे ।
उस समय अबू निदाल और माइक दोनों साथ-साथ जंगल में कमाण्डर करण सक्सेना को ढूंढ रहे थे ।
अबू निदाल आगे था ।
माइक थोड़ा पीछे ।
“अगर आज कमाण्डर करण सक्सेना मेरे हाथ लग जाये ।” अबू निदाल गुर्राकर बोला- “तो मैंने अपनी स्नाइपर राइफल से उस हरामजादे की गर्दन काट डालनी है ।”
“कमाण्डर कोई जंगलियों का सरदार नहीं है अबू निदाल ।” माइक मुस्कराकर बोला- “जिसे तुम अपनी एक ही गोली से मार डालोगे ।”
“वह एक ही गोली से मरेगा ।” अबू निदाल बोला- “बस मेरे हत्थे चढ़ जाये ।”
“शायद इसीलिए वो तुम्हारे हत्थे चढ़ने वाला भी नहीं है ।”
वह दोनों योद्धा जंगल को अच्छी तरह छानते हुए आगे बढ़ रहे थे ।
पेड़-पौधे और घनी झाड़ियां, हर चीज को वह रूक-रूककर देखते ।
तभी उन दोनों ने अपनी बायीं तरफ की घनी झाड़ियों में कुछ सरसराहट की आवाज सुनी ।
“लगता है, उस तरफ की झाड़ियों में कोई है ।” माइक एकाएक थमककर बोला ।
यही वो क्षण था, जब झाड़ियों में एक जंगली सुअर ने बड़े खतरनाक ढंग से अबू निदाल के ऊपर छलांग लगायी ।
चीख पड़ा अबू निदाल !
जंगली सुअर बड़ा लम्बा-चौड़ा और ताकतवर था ।
छलांग लगाते ही वो अबू निदाल को लेकर नीचे गिरा ।
अबू निदाल ने झटके के साथ अपनी स्नाइपर राइफल का लाठी की तरह इस्तेमाल करना चाहा, तो जंगली सुअर ने जोर से अपनी एक टांग अबू निदाल के मुंह पर जड़ी और उसके उसी हाथ पर बुक्का मारा, जिसमें उसने स्नाइगर राइफल पकड़ी हुई थी ।
दांत गड़ गये ।
अबू निदाल बहुत पीड़ादायक ढंग से चिल्लाया ।
माइक, जो बड़े दहशतनाक नेत्रों से उस दृश्य को देख रहा था, उसने फौरन अपनी बजूका तानी और लीवर दबा दिया ।
भड़ाम !
गोला चलने की ऐसी भीषण आवाज हुई, जैसे वह गोला बजूका की बजाय सीधे किसी बड़ी तोप से ही छोड़ा गया हो ।
जंगली सुअर चिल्ला तक न सका ।
गोला सीधे उसके पेट में जाकर घुसा और आगे से जंगली सुअर के मुंह को फाड़ता हुआ बाहर निकल गया ।
उसके मांस के लोथड़े इधर-उधर बिखर गये ।
खून के छींटे उड़े ।
बजूका चलने की आवाज सुनकर बाकी तीनों तुरंत भागे-भागे वहाँ आये ।
जंगली सुअर की क्षत-विक्षप्त लाश देखकर उनकी आँखों में और खौफ के भाव तेरे ।
“यह सब क्या हुआ ?”
“कुछ नहीं ।” माइक ने अपनी बजूका की नाल नीचे झुकाई- “जंगली सुअर ने एकाएक अबू निदाल पर हमला कर दिया था, मजबूरी में मुझे बजूका का इस्तेमाल करना पड़ा ।”
“ओह !”
“यह ठीक नहीं हुआ ।” रोनी विचलित मुद्रा में बोला- “गोला चलने की आवाज जंगल में दूर-दूर तक गूंजी होगी, इससे कमाण्डर करण सक्सेना सावधान हो जायेगा ।”
“लेकिन अगर मैं बजूका न चलाता, तो उस जंगली सुअर ने अबू निदाल को मार डालना था ।”
सब यौद्धा खामोश रहे । मगर सभी को इस बात का अहसास था कि यह ठीक नहीं हुआ है ।
अबू निदाल की उस दायीं कलाई में से खून अभी भी बड़ी मात्रा में निकल रहा था, जहाँ जंगली सुअर ने बुक्का मारा था ।
उसकी कमीज की आस्तीन वगैरा सब फट गयी थीं ।
रोनी ने फौरन अपनी जेब से फर्स्ट एड का सामान निकाला । उसने एक स्प्रे अबू निदाल के जख्म पर छिड़क दिया, जिससे उसका खून बहना तो फौरन ही रूक गया ।
उसके बाद रोनी ने दवाई लगाकर उसके जख्म पर पट्टी वगैरा भी बांध दी ।
“अब कैसा महसूस कर रहे हो ?”
“ठीक ही महसूस कर रहा हूँ ।” अबू निदाल उठकर खड़ा हुआ ।
अलबत्ता जंगली सुअर ने जितने खतरनाक ढंग से उसके ऊपर हमला किया था, उसकी दहशत अभी भी उसके ऊपर हावी थी ।
“हमें अब बड़ी सावधानी के साथ आगे बढ़ना है ।” मास्टर बोला- “क्योंकि जंगल में जानवरों के साथ-साथ कमाण्डर करण सक्सेना का भी हमला अब हमारे ऊपर हो सकता है । जिसमें किसी की जान भी जा सकती है ।”
“अगर बजूका का निशाना सही न लगता ।” अबू निदाल बोला- “तो मेरी जान तो अभी चली जाती । मैं तो अभी जन्नतनशीन हो जाता ।”
“जन्नतनशीन !” मास्टर हंसा- “या फिर दोज़ख़नशीन !”
अबू निदाल ने बड़ी भस्म कर देने वाली निगााहों से अब मास्टर को घूरा ।
सब धीरे-धीरे मुस्करा दिये ।
उसके बाद वह पांचों यौद्धा शेडो वारफेयर की एक दूसरी पोजिशन के अंदर आगे बढ़े ।
जंगल में वह पांचो जिधर-जिधर से भी गुजर रहे थे, यह बात निश्चित थी कि कम से कम वहाँ उनका दुश्मन मौजूद नहीं था ।
अगर होता, तो वह उन्हें दिखाई जरूर पड़ता ।
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