RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर इस समय वाकई ‘मंकी हिल’ पर था ।
उन योद्धाओं से छिपता-छिपाता वह बस थोड़ी देर पहले ही वहाँ पहुँचा था । लेकिन ‘मंकी हिल’ पर पहुँचने के बाद जैसे ही वहाँ गहरी खामोशी तारी हुई, कमाण्डर करण सक्सेना को फौरन इस बात का अहसास हो गया कि वहाँ आकर उससे भयंकर गलती हुई है ।
‘मंकी हिल’ पर काफी ऊंचे-ऊंचे झंझाड़ उगे हुए थे ।
पेड़ थे ।
इसके अलावा पथरीली चट्टानों के अदंर बड़े-बड़े बरूएं बने हुए थे, जिनमें अफ्रीकन गुरिल्ले छिपते हैं । कमाण्डर करण सक्सेना को चूंकि ‘मंकी हिल’ तक पहुँचने के लिए कई छोटी-छोटी चट्टानों पर चढ़ना पड़ा था, इसलिए एक बार फिर उसकी हिम्मत जवाब दे गयी थी और पहले की तरह ही उसके ऊपर धीरे-धीरे बेहोशी छाने लगी ।
कमाण्डर ने जोर से अपने सिर को झटका ।
वो जानता था, उस क्षण बेहोश होना खुद अपनी मौत को दावत देना है ।
लेकिन उसकी हालत बुरी थी ।
बहुत बुरी !
अपने आपको बेहोश होने से बचाने के लिए उसने फौरन कोई सख्त कदम उठाना था ।
और !
कमाण्डर करण सक्सेना ने कदम उठाया ।
उसने स्प्रिंग ब्लेड निकालकर उसका लम्बा फल सख्ती के साथ अपने कंधे की मांस पेशियों में घुसा दिया । फल उसकी मांस-पेशियों को अंदर तक काटता चला गया और उसके चेहरे पर बेइंतहा पीड़ादायक भाव उभरे । कमाण्डर ने जख्म में से स्प्रिंग ब्लेड बाहर खींचा, तो उसमें से खून बहने लगा और तेज टीसें उठने लगीं । अब जख्म मे से उठती तेज टीसों ने उसके ऊपर बेहोशी तारी होने से रोके रखनी थी ।
वहीं मंकी हिल की झाड़ियों में उसे कुछ छोटी-मोटी पीली फलियां लगी नजर आयीं ।
वह न जाने किस तरह की फलियां थीं ।
कमाण्डर करण सक्सेना ने एक फली तोड़ी और उसे खाकर देखा । वो काफी कड़वी थी । परंतु कमाण्डर ने परवाह न की । वो एक के बाद एक काफी सारी फली तोड़कर खा गया । इससे उसके पेट को काफी सकून पहुँचा । फिलहाल एक ही बात उसके दिमाग में थी, किसी भी तरह उसने अपने आपको जिंदा रखना है और चाक-चौबंद रहना है ।
चाहे इसके लिए उसे कुछ भी क्यों न करना पड़े ।
तभी उसे दो योद्धा ‘मंकी हिल’ पर आते दिखाई पड़े ।
हवाम !
अबू निदाल !
वहीं एक छोटा सा गड्ढा बना हुआ था । कमाण्डर ने तुरंत अपनी दोनों टांगे उस गड्ढे के अंदर घुसा दीं और कैमोफ्लाज किट खोलकर अपने ऊपर डाल ली ।
फिर वह उन पांचों योद्धाओं की टाइमिंग केलकुलेट करने लगा । दो योद्धा ‘मंकी हिल’ पर पहुँच चुके थे । एक उनसे अभी बहुत पीछे था तथा दो और भी ज्यादा पीछे । पांच योद्धाओं के बीच फिलहाल काफी फासला था । कोई आधा घंटे बाद पीछे चल रहे दो योद्धाओं ने सबसे आगे आ जाना था । फिर दो यौद्धा उनसे पीछे हो जाते और एक सबसे पीछे । फिर एक आगे जाता ।
वह ‘शैडो वारफेयर’ की खास पोजिशन थी, जिसमें दुश्मन को यही मालूम नहीं चल पाता था कि कुल कितने यौद्धा मृत्यु का कटोरा बनाकर उसकी तरफ बढ़ रहे हैं । कमाण्डर करण सक्सेना ने चूंकि उन्हें हैलीकॉप्टर से उतरते देख लिया था, इसीलिये जानता था कि उनकी कुल संख्या पांच है ।
उसी क्षण हवास और अबू निदान उसकी कैमोफ्लाज किट के करीब से गुजरे ।
कमाण्डर ने अपनी सांस तक रोक ली ।
दोनों योद्धा निर्विधन उसके करीब से गुजर गये ।
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