RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
कमाण्डर अब एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर मौजूद था ।
कैमोफ्लाज किट उसने अपने ऊपर डाली हुई थी और वह आगे गये दोनों यौद्धाओं के वापस लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था ।
कमाण्डर जानता था, सबसे पीछे जो दो योद्धा आ रहे थे और जो शायद अभी ‘मंकी हिल’ पर भी नहीं पहुंचे थे, उन्हें अभी उस तक पहुँचने में काफी वक्त था ।
फिलहाल तो उसने हवाम और अबू निदाल को ही अपना शिकार बनाना था ।
मास्टर के हंसिये से कमाण्डर करण सक्सेना की जांघ काफी कट गयी थी । कमाण्डर ने अपनी जांघ पर एक ‘एण्टीसेप्टिक लोशन’ स्प्रे कर लिया, जिससे उसकी जांघ से खून बहना फौरन बंद हो गया ।
फिलहाल इतना ही काफी था ।
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उधर दोनों योद्धा चले जा रहे थे ।
हवाम के हाथ में उस समय अपनी ‘लिजर्ड रिवॉल्वर’ थी ।
जबकि अबू निदाल के हाथ में थी- स्नाइपर राइफल ।
“यहाँ तो कोई नहीं है ।” अबू निदाल क्रेन की भांति अपनी गर्दन इधर-से-उधर घुमाता हुआ बोला ।
“लेकिन उसने हमें काली पहाड़ी के नजदीक ही पहुँचने के लिए बोला था ।”
“हाँ ।”
“फिर वो कहाँ गया ?”
“मालूम नहीं ।”
“मास्टर !” हवाम ने जोर से आवाज लगायी- “मास्टर !”
शान्ति !
कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं ।
“मास्टर !” हवाम और ज्यादा जोर से गला फाड़कर चिल्लाया- “मास्टर कहाँ हो तुम ?”
पहले जैसी ही शांति ।
“कमाल है, बोल ही नहीं रहा ।”
“मुझे तो कुछ गड़बड़ लगती है हवाम भाई !” अबू निदाल बोला ।
“कैसी गड़बड़ ?”
“अब एकदम से क्या कहा जा सकता है ।”
दोनों के चेहरे सुत गये ।
इस बीच निदाल, मास्टर को तलाश करता हुआ काली पहाड़ी से थोड़ा आगे चला गया और वहाँ जाते ही वो चौंका ।
“हवाम, जल्दी यहाँ आओ ।”
हवाम दौड़कर अबू निदाल के नजदीक पहुँचा ।
“क्या हुआ ?”
“ये देखो, यहाँ खून की कुछ बूंदे पड़ी हुई हैं ।” अबू निदाल ने अंगुली से झाड़ियों में एक तरफ इशारा किया ।
हवाम ने देखा, वहाँ सचमुच खून की काफी बूंदे पड़ी हुई थीं ।
“य... यह किसके खून की बूंदें हैं ?” हवाम की आवाज कंपकंपायी- “कहीं कमाण्डर ने मास्टर को भी तो नहीं मार डाला ?”
“क्या कहा जा सकता है ।”
खून की वो बूंदे काफी दूर तक गिरती चली गयी थीं ।
वह दोनों खून की बूंदों का पीछा करते हुए झाड़ियों में घुसते चले गये । झाड़ियों में थोड़ा अंदर जाते ही उन्हें मास्टर की खून में बुरी तरह लथपथ लाश नजर आ गयी ।
“तौबा !” अबू निदाल के जिस्म में तेज सिहरन दौड़ी- “आखिर वही हुआ, जिसका शक था । कमाण्डर करण सक्सेना ने हमारे एक और योद्धा को ठिकाने लगा दिया है ।”
“वो जरूर यहीं कहीं आसपास है ।” हवाम गुर्राया-“ मास्टर ने बताया था कि वो एक ‘कैमोफ्लाज किट’ के नीचे छिपा हुआ है । हमें ऐसी झाड़ियों को तलाश करना चाहिये, जो बनावटी नजर आयें ।”
दोनों बिल्कुल अलग-अलग दिशा में झाड़ियों को देखते हुए आगे बढ़े ।
दोनों बहुत चौकन्ने थे ।
जरा सी आहट होते ही गोली चलाने के लिए तैयार ।
अबू निदाल झाड़ियों के अंदर कमाण्डर की तलाश करता हुआ अब उस छोटी सी पहाड़ी के करीब पहुंचा, जिस पर वास्तव में ही कमाण्डर छिपा था ।
कमाण्डर बहुत गौर से उसकी एक-एक एक्टिविटी देख रहा था ।
जैसे ही अबू निदाल पहाड़ी के थोड़ा और करीब आया । फौरन कमाण्डर पहाड़ी के ऊपर से ही एकदम चीते की तरह उसके ऊपर झपट पड़ा और अबू निदाल को अपने शिकंजे में इस तरह जकड़ लिया, जैसे गिद्ध अपने शिकार को जकड़ता है । फिर वो अबू निदाल को जकड़े-जकड़े उसे लेकर दौड़ता हुआ पहाड़ी के पीछे पहुँचा ।
अबू निदाल लड़खड़ाकर गिरा ।
उसके पैर की ठोकर एक पत्थर से लगी थी ।
गिरते ही वो कमाण्डर के शिकंजे से आजाद हो गया ।
वह संभलकर खड़ा हुआ और उसने फौरन अपनी ‘स्नाईपर’ राइफल से कमाण्डर की गर्दन के खास प्वाइंट पर गोली चलायी ।
“हवाम !” साथ ही वो गला फाड़कर चिल्लाया- “हवाम, जल्दी यहाँ आओ । यह रहा कमाण्डर करण सक्सेना ।”
कमाण्डर ने अद्वितीय फुर्ती के साथ नीचे झुककर खुद को गोली लगने से बचाया ।
कोल्ट रिवॉल्वर कमाण्डर की उंगुली के गिर्द फिरकनी की तरह घूमी और गोली चली ।
अबू निदाल चीख उठा ।
गोली अबू निदाल की टांग में लगी थी ।
उसने पुनः ‘स्नाइपर’ राइफल से निशाना लगाना चाहा ।
धांय !
तभी कोल्ट रिवॉल्वर से एक शोला और निकला ।
इस मर्तबा गोली अबू निदाल की गर्दन में ठीक उसी खास प्वाइंट पर जाकर लगी, जहाँ अक्सर वो निशाने लगाया करता था । गोली उसकी गर्दन में अंदर ही अंदर घूमती चली गयी ।
दहाड़ा अबू निदाल !
गर्दन धड़ से कटकर एकदम हवा में उछलती चली गयी ।
‘मंकी हिल’ पर शान्ति छा गयी, गहरी शान्ति ।
फिर हवाम के दौड़ते कदमों की आवाज उभरी । अबू निदाल की चीख और गोली चलने की आवाज सुनकर वह उसी तरफ भागा चला आ रहा था । ‘लिजर्ड’ रिवॉल्वर हाथ में पकड़े-पकड़े वह दौड़ता हुआ उसी पहाड़ी के पिछले हिस्से में आ गया ।
सामने ही अबू निदाल की गर्दन कटी लाश पड़ी थी ।
‘स्नाइपर’ राइफल भी उसे काफी दूर झाड़ियों में पड़ी नजर आयी ।
“माई गॉड ।” हवाम के शरीर में तेज सिहरन दौड़ी- “अबू निदाल भी मारा गया । यह सब क्या हो रहा है ।”
वह रिवॉल्वर पकड़े-पकड़े चारों तरफ घूम गया ।
“कमाण्डर करण सक्सेना ।” हवाम जोर से चीखा- “कहाँ हो तुम, सामने आओ ।”
खामोशी !
सन्नाटा !
“सामने क्यों नहीं आते तुम ?”
फिर खामोशी ।
कमाण्डर उस समय ‘मलायका टाइगर क्रेक’ छापामारों की तरह पेड़ पर चढ़ा हुआ था और अपने तीसरे शिकार पर हमला करने का कोई मुनासिब मौका ढूंढ रहा था ।
हवाम काफी देर तक उसे जोर-जोर से पुकारता रहा ।
पहले मास्टर और अब अबू निदाल की लाश देखने के बाद वो मानों पागल हो चुका था ।
वह नहीं जानता था, उसका इस तरह कमाण्डर को पुकारना कितना खतरनाक है ।
कमाण्डर ने वहीं पेड़ पर छिपे-छिपे हवाम की खोपड़ी का निशाना लगाना शुरू किया ।
हवाम, जो अभी तक अबू निदाल की लाश के आसपास ही मंडरा रहा था, एकाएक उसे न जाने क्या सूझा कि वह लम्बे-लम्बे डग भरता हुआ पहाड़ी के दूसरी तरफ चला गया ।
कमाण्डर समझ न सका, उसे एकाएक क्या हुआ है ।
बहरहाल अब हवाम दिखाई देना बंद हो गया था ।
कमाण्डर फिर भी ‘मलायका टाइगर क्रेक’ छापामारों की तरह पेड़ पर छिपा बैठा रहा और हवाम की किसी अगली हरकत की प्रतीक्षा करने लगा ।
पेड़ पर बैठे-बैठे पुनः उसके ऊपर बेहोशी छाने लगी और कमाण्डर को ऐसा अहसास हुआ, जैसे वो अभी लुढ़ककर नीचे जा गिरेगा ।
उसकी हालत सचमुच काफी खराब थी ।
भूख से अंतड़िया कुलबुला रही थीं और आधे से ज्यादा शरीर खून में नहाया हुआ था । अपने आपको बेहोश होने से बचाये रखने के लिए कमाण्डर ने कंधे के जख्म को थोड़ा और स्प्रिंग ब्लेड से कुरेदा ।
इसके जवाब में पेड़ से काफी सारे पत्ते भी तोड़-तोड़कर खाये और हैवरसेक बैग में से कैन निकालकर पानी भी पिया ।
कमाण्डर की तबियत कुछ संभली ।
परन्तु वो जानता था कि इस प्रकार ज्यादा देर तक काम चलने वाला नहीं है ।
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