RE: Kamukta kahani मेरे हाथ मेरे हथियार
इस बीच माइक ने चालाकी से काम लिया ।
कमाण्डर की दहशत उसके दिलो-दिमाग पर इतनी बुरी तरह हावी हो चुकी थी कि फिलहाल उससे टकराने का ख्याल तक उसे न सूझा । उसने फौरन अपनी बजूका उठाई और मैदान छोड़कर भाग खड़ा हुआ ।
रोनी को मारने के बाद कमाण्डर ने माइक को तलाशा ।
मगर माइक उसे कहीं न चमका ।
इतना तय था, वो अभी वहीं कहीं आसपास था । क्योंकि इतनी जल्दी उसके ‘मंकी हिल’ से भाग निकलने का कोई सवाल ही नहीं था ।
कमाण्डर ने स्नाइपर राइफल अपने से आगे तान ली ।
उसके बाद उसने बड़ी अलर्ट पोजीशन में उस पहाड़ी क्षेत्र में माइक को तलाशना शुरू किया ।
झाड़ियों में !
पेड़ों पर ।
छोटी-छोटी चट्टानों के पीछे ।
सब जगह वो माइक को देखता हुआ आगे बढ़ा ।
लेकिन माइक गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो चुका था ।
उसका कहीं कुछ पता न था ।
वो न जाने कहाँ जा छिपा था ।
कमाण्डर काफी देर तक उसकी तलाश में इधर-उधर भटकता रहा । जब वो निराश होने ही वाला था, तभी अंधकार में रोशनी की तेज किरण की तरह उसे माइक दिखाई पड़ा ।
दरअसल वहीं ‘मंकी हिल’ पर एक झरना था, जो एक ऊंची पहाड़ी से नीचे की तरफ गिर रहा था । निंरतर ऊपर से पानी गिरता रहने के कारण चट्टान में पीछे की तरफ थोड़ा सा गडढा भी हो गया था । इस वक्त माइक झरने और चट्टान के बीच में पैदा हुए उसी गड्ढे में छिपा था ।
झरने का पानी इतना साफ था कि उसके पीछे छिपे हुए माइक की झलक कमाण्डर को साफ़ दिखाई पड़ी ।
वाकई !
माइक ने छिपने के लिए एक बहुत बेहतरीन जगह चुनी थी ।
लेकिन छिपते समय वो भूल गया था, उसका मुकाबला कमाण्डर से है । जिसकी निगाह से बचना आसान नहीं होता ।
माइक को वहाँ देखने के बाद भी कमाण्डर ने ऐसा जाहिर किया, जैसे उसकी निगाहें उसके ऊपर न पड़ी हों ।
अलबत्ता अब वो हद से ज्यादा सावधान हो गया था और फिर टहलता हुआ पहले थोड़ा आगे चला गया । उसके बाद उसने साइड में उस पहाड़ी के ऊपर की तरफ चढ़ना शुरू किया, जहाँ से झरना नीचे बह रहा था ।
जल्द ही कमाण्डर पहाड़ी के ऊपर जा पहुँचा ।
वहाँ काफी बड़े-बड़े पत्थर रखे हुए थे । वह पत्थर कुछ इस तरह एक के ऊपर एक टिके हुए थे कि अगर नीचे से किसी एक पत्थर को भी अपनी जगह से हिला दिया जाता, तो तमाम पत्थर गड़गड़ाते हुए धड़ाधड़ नीचे गिरते ।
हालांकि कमाण्डर करण सक्सेना जख्मी था, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत दिखाई ।
उसने अपनी सम्पूर्ण शक्ति टटोलकर नीचे रखे एक पत्थर को धकेलना शुरू किया ।
पत्थर अभी थोड़ा ही हिला था कि ऊपर रखे सारे पत्थर गड़गड़ाते हुए धड़ाधड़ नीचे गिरने शुरू हो गये । फौरन ही कमाण्डर को झरने के पीछे छिपे माइक की हृदयविदारक चीखें भी सुनाई दीं ।
वह बुरी तरह चिल्ला रहा था ।
करूणादायी अंदाज़ में ।
कमाण्डर तेजी के साथ दौड़ता हुआ नीचे पहुँचा ।
झरने के पीछे जो गड्ढा बना हुआ था, माइक अब वहाँ फंस चुका था और उसके सामने काफी पत्थर आकर जमा हो गये थे ।
अंदर से अभी भी माइक की भयंकर चीख सुनायी दे रही थीं ।
“नहीं-नहीं, अब और युद्ध नहीं ।” माइक चिल्ला रहा था- “मैं मरना नहीं चाहता कमाण्डर, मुझे बाहर निकालो ।”
कमाण्डर कुछ देर वही खड़ा हाँफता रहा ।
उसकी हालत खराब थी ।
“प्लीज, मुझे बाहर निकालो ।” वह गिडगिड़ाने लगा- “प्लीज कमाण्डर, मैं मरना नहीं चाहता । मैं अब और युद्ध नहीं चाहता ।”
उसकी आवाज में बेहद करूणा का भाव था ।
कमाण्डर को न जाने क्यों उस पर दया आ गयी ।
उसने फिर अपनी सम्पूर्ण शक्ति बटोरी और एक पत्थर को धकेलना शुरू किया ।
जल्द ही उसने एक पत्थर को पीछे धकेल दिया ।
अंदर माइक खून से लथपथ पड़ा हुआ था-लेकिन बजूका अभी भी उसके हाथ मे थी । सांस उल्टे सीधे चल रहे थे ।
“लाओ ।” कमाण्डर करण सक्सेना ने पत्थरों के बीच में से अपना हाथ माइक की तरफ बढ़ाया- “अपना हाथ मुझे दो ।”
अंदर फंसे माइक ने फौरन अपना हाथ कमाण्डर करण सक्सेना के हाथ में दे दिया ।
कमाण्डर ने फिर अपनी शक्ति बटोरी और पूरी ताकत लगाकर उसे पत्थरों के ढेर में-से बाहर पकड़कर खींचा ।
वह रगड़ खाता हुआ बाहर निकल आया ।
“प...पानी !” बाहर आते ही माइक हाथ पैर फैलाकर नीचे पड़ गया- “पानी !”
कमाण्डर ने अपने हैवरसेक बैग में से पानी की कैन निकाली । फिर उसने थोड़ा सा पानी माइक के मुंह में डाला और थोड़ा-सा खुद पीया ।
पानी पीते ही बुरी तरह हांफते माइक के शरीर में थोड़ी जान पड़ी । उसकी हालत कुछ सुधरी ।
“त… तुम सचमुच एक महान यौद्धा होने के साथ-साथ एक महान इंसान भी हो कमाण्डर ।” वो हांफता हुआ ही बोला- “ए... एक महान इंसान भी हो ।”
उसके उल्टे सीधे चलते सांस अब कुछ नियंत्रित होने लगे थे ।
“लेकिन एक बात कहूँ कमाण्डर ।”
“क्या ?”
“किसी आदमी को इतना ज्यादा अच्छा भी नही होना चाहिये, जो वह अपने दोस्त और दुश्मन के बीच के फर्क को न समझ सके ।”
“क... क्या मतलब ?”
“मतलब भी अभी समझ आता है ।”
माइक एकाएक बिजली जैसी अद्वितीय फुर्ती के साथ झपटकर खड़ा हुआ और उसने अपनी बजूका कमाण्डर की तरफ तान दी ।
“तुम्हारी इस शराफत ने तुम्हारी सारी मेहनत बेकार कर दी हैं कमाण्डर !” वह एकाएक जहरीले नाग की तरह फुंफकार उठा- “एक ही झटके में तुम्हारे तमाम पत्ते पिट चुके हैं । अब तुम मरने के लिए तैयार हो जाओ ।”
माइक ने जैसे ही बजूका का लीवर दबाना चाहा, तुरंत कमाण्डर की राउण्ड किक बड़ी तेजी के साथ घूमी और वो भड़ाक से माइक के सीने पर पड़ी ।
माइक की चीख निकल गयी ।
तभी राउण्ड किक की दूसरी लात घूमकर प्रचण्ड वेग से माइक के चेहरे पर पड़ी और अगले ही पल बजूका कमाण्डर के हाथ में दिखाई दे रही थी ।
माइक के नेत्र आतंक से फटे के फटे रह गये ।
सब कुछ सेकंड के सौंवे हिस्से में हो गया ।
“तुम शायद अपने छल-प्रपंच से भरे हुए इस खेल में एक बात भूल गये माइक ।” कमाण्डर उसे बेहद नफरतभरी निगाहों से देखता हुआ बोला- “जो आदमी जान बचाना चाहता है, वो जान लेना भी जानता है । गुड बाय ।”
कमाण्डर ने उस एंटी टैंक गन ‘बजूका’ का लीवर पकड़कर खींचा ।
माइक के मुंह से ऐसी वीभत्स चीख निकली, जैसे किसी ने उसका गला काट डाला हो ।
बजूका के अंदर से निकला तीन इंच व्यास का बड़ा गोला घूमता हुआ सीधा माइक के सीने में जा घुसा और वहाँ काफी बड़ा झरोखा-सा बनता चला गया ।
माइक वापस पत्थरों पर जा गिरा ।
उसके सीने में इतना चौड़ा छेद हो गया था, जैसे किसी ने तोप की पूरी नाल उसमें घुसा दी हो ।
पलक झपकते ही उसके प्राण-पखेरू उड़ गये ।
उसके बाद खुर कमाण्डर भी अपनी टांगों पर खड़ा न रह सका ।
पहले उसके हाथ से बजूका छूटकर नीचे गिरी ।
फिर वो खुद भी जमीन पर ढेर हो गया ।
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