RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
उस वक्त तक युवक बेहोश ही था , जब अमीचन्द जैन वहां पहुंच गया—हालांकि इंस्पेक्टर दीवान को ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी कि अमीचन्द जैन युवक के बारे में कुछ बता सकेगा। फिर भी एक नजर उसने अमीचन्द से युवक को देख लेने के लिए कहा।
वही हुआ जो दीवान पहले से जानता था।
यानि अमीचन्द ने कहा—“यह युवक मेरे लिए नितान्त अपरिचित है।"
डॉक्टर भारद्वाज के तीनों सहयोगी डॉक्टर आ चुके थे और अब वे चारों एक बन्द कमरे में उस केस के सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर रहे थे। नर्स को निर्देश दे दिया गया था कि युवक के होश में आते ही उन्हें सूचना दे दी जाए।
उस वक्त करीब एक बजा था , जब नर्स ने उन्हें सूचना दी।
वे चारों ही उस कमरे में चले गए , जिसमें युवक था। गैलरी के बाहर बेचैन-सा टहलता हुआ दीवान उत्सुकतापूर्वक उनके बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहा था। इस वक्त उसके दिमाग में भी केवल एक ही सवाल चकरा रहा था कि वह युवक कौन है ?
पता लगाने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था उसे।
दरवाजा खुला , चारों डॉक्टर बाहर निकले और दीवान लपककर उनके समीप पहुंच गया। बोला— “क्या रहा डॉक्टर ?"
"उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा है।" डाक्टर भारद्वाज ने बताया।
"उसके ठीक होने के बारे में आपकी क्या राय है ?"
एक अन्य डॉक्टर ने कहा— "अगर ठीक होने से आपका तात्पर्य उसकी याददाश्त वापस आने से है तो हम यह कहेंगे कि उसमें चिकित्सा विज्ञान कुछ नहीं कर सकता।"
"क्या मतलब?" दीवान का चेहरा फक्क पड़ गया था।
अचानक ही डॉक्टर भारद्वाज ने पूछा— “क्या तुमने कभी कोई खराब घड़ी देखी है इंस्पेक्टर? खराब से तात्पर्य है ऐसी घड़ी देखी है , जो बन्द पड़ी हो अथवा कम या ज्यादा समय दे रही हो ?"
"य...ये घड़ी बीच में कहां से आ गई ?"
"इस वक्त उस युवक का मस्तिष्क नाजुक घड़ी के समान है। कमानी और घड़ी का संतुलन ही वे मुख्य चीजें हैं , जिनसे घड़ी सही समय देती है , अगर संतुलन ठीक नहीं है तो घड़ी धीमी चलेगी या तेज, जबकि इस युवक के दिमाग रूपी घड़ी की दोनों चीजें खराब हैं साधारण अव्यवस्था होने पर ये सारी चीजें ठीक काम करने लगेंगी, कई बार यह सम्भव होता है कि ऐसी घड़ी साधारण झटके से सही चलने लगती है , मगर ध्यान रहे—यदि झटका आवश्यकता से जरा भी तेज लग जाए तो परिणाम उल्टे और भयानक ही निकलते हैं। यह पागल हो सकता है , अत: उतना संतुलित झटका देना किसी डॉक्टर के वश में नहीं है—वह तो स्वयं ही होगा।"
"कब ?”
"जब प्रकृति चाहे। ऐसा एक क्षण में ही होगा , वह क्षण भविष्य की कितनी पर्तों के नीचे दबा है—या भला कोई डॉक्टर कैसे बता सकता है ?"
"म...मेरा मतलब यह झटका उसे किन अवस्थाओं में लगने की सम्भावना है ?"
“विश्वासपूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता है , यदि अचानक ही उसके सामने कोई उसका बहुत ही प्रिय व्यक्ति आ जाए तो संभव है।"
इंस्पेक्टर दीवान की आंखों के सामने युवक के पर्स से निकला युवती का फोटो नाच उठा। कुछ देर तक जाने वह किन ख्यालों में गुम रहा—फिर बोला— “ क्या मैं उससे बात कर सकता हूं, डॉक्टर ?"
"प्रत्यक्ष में उसे बहुत ज्यादा चोट नहीं लगी है, बयान ले सकते हो , मगर हम एक बार फिर कहेंगे—प्लीज , उसकी याददाश्त के सम्बन्ध में अपने पुलिसिया ढंग से न सोचें, ऐसी कोई बात न करें , जिससे उसके मस्तिक को वह झटका लगे , जिससे वह पागल हो सकता है।"
"थैंक्यू डॉक्टर , मैं ध्यान रखूंगा।" कहकर इंस्पेक्टर दीवान फिरकनी की तरह एड़ी पर घूम गया और अगले ही पल आहिस्ता से दरवाजा खोलकर यह कमरे के अन्दर था।
युवक बेड पर रखे तकिए पर पीठ टिकाए अधलेटी-सी अवस्था में बैठा था। उसके समीप ही स्टूल पर एक नर्स बैठी थी , जो दीवान को देखते ही उठकर खड़ी हो गई। युवक उलझी हुई-सी नजरों से दीवान को देख रहा था।
"हैलो मिस्टर।” उसके पास पहुंचकर दीवान ने धीमे से कहा।
युवक कुछ नहीं बोला, ध्यान से दीवान को केवल देखता रहा।
दीवान स्टूल पर बैठता हुआ बोला—“क्या तुम बोल नहीं सकते ?"
"आप वही इंस्पेक्टर हैं न , जो मेरे बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं?”
"जी हां , मेरा नाम दीवान है।"
युवक ने उत्सुकतापूर्वक पूछा— “कुछ पता लगा ?"
"तुम्हें कैसे मालूम कि मैं...।"
"डॉक्टर ने बताया था , मैं बार-बार उससे पूछ रहा था , उसने कहा कि एक पुलिस इंस्पेक्टर मेरे बारे में पता लगाने के लिए इनवेस्टिगेशन कर रहा है।"
दीवान निश्चय नहीं कर पा रहा था कि युवक को वह कड़ी दृष्टि से घूरे अथवा सामान्य भाव से , कुछ देर तक शान्त रहने के बाद बोला—“देखो , यदि तुम होने वाले एक्सीडेण्ट, पुलिस की पूछताछ या मिलने वाली सजा से आतंकित हो तो मैं स्पष्ट किए देता हूँ कि उस एक्सीडेण्ट में तुम्हारी कोई गलती नहीं थी। तुम अपनी साइड पर ड्राइविंग कर रहे थे , हवा से बातें करते उस ट्रक ने रांग साइड़ में आकर तुम्हारी कार में टक्कर मारी , अत: तुम्हारे लिए डरने जैसी कोई बात नहीं है।”
"मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि एक्सीडेण्ट हुआ था, मैं यहां हूं, सिर में चोट है, पिछली एक भी बात याद नहीं कर पा रहा हूं, डॉक्टर्स , नर्स और तुम भी कह रहे हो कि मेरा एक्सीडेण्ट हुआ था , इसीलिए मानना पड़ रहा है कि जरूर हुआ होगा।"
"क्या तुम्हें कुछ भी याद नहीं है? अपना नाम भी ?"
"मैं खुद परेशान हूं।"
"क्या तुम इन चीजों को पहचानते हो ?" सवाल करते हुए दीवान ने पर्स और नेकलेस निकालकर उसकी गोद में डाल दिए।
उन्हें देखने के बाद युवक ने इन्कार में गर्दन हिलाई।
अब दीवान ने जेब से युवती का फोटो निकाला और उसे दिखाता हुआ बोला— “क्या तुम इस युवती को भी नहीं पहचानते ?”
कुछ देर तक युवक ध्यान से फोटो को देखता रहा। दीवान बहुत ही पैनी निगाहों से उसके चेहरे पर उत्पन्न होने वाले भावों को पढ़ रहा था, किन्तु कोई ऐसा भाव वह नहीं खोज सका , जो उसके लिए आशाजनक हो। युवक ने इन्कार में गर्दन हिलाते हुए कहा— "कौन है ये ?”
"फिलहाल इसका नाम तो मैं भी नहीं जानता , मगर यह फोटो आपके पर्स से निकली है।"
"मेरे पर्स से?"
"जी हां। यह पर्स आप ही की जेब से निकला है और नेकलेस भी।"
युवक चकित भाव से इन तीनों चीजों को देखने लगा। आंखों में उलझन-सी थी, बोला—"अजीब बात है, इंस्पेक्टर ! मैं खुद ही से खो गया हूं।"
अचानक ही दीवान की आंखों में सख्त भाव उभर आए , चेहरा कठोर हो गया और वह युवक की आंखों में झांकता हुआ गुर्राया—"तुम्हारा यह नाटक डॉक्टर्स के सामने चल गया मिस्टर , पुलिस के सामने नहीं...।"
युवक ने चौंकते हुए पूछा—"क्या मतलब ?"
"तुमने अमीचन्द के गैराज से गाड़ी चुराई—रात के समय कोई संगीन अपराध किया और फिर सुबह दुर्भाग्य से एक्सीडेण्ट हो गया—तुम चोरी और रात में किए अपने किसी अपराध से बचने के लिए नाटक कर रहे हो।"
"म...मैँ समझ नहीं रहा हूं इंस्पेक्टर? कैसी चोरी? कैसा अपराध और यह अमीचन्द कौन है ?"
"वही , जिसकी तुमने गाड़ी चुराई थी।"
"अजीब बात कर रहे हैं आप!"
"जिस ट्रक से तुम्हारी टक्कर हुई थी , उसमें स्मगलिंग का सामान था, वह ट्रक ड्राइवर एक मासूम बच्चे का हत्यारा है—उसे केवल तुम्हीं ने देखा है मिस्टर , सिर्फ तुम ही उसे पहचान सकते हो, उस तक पहुंचने में यदि तुम मेरी मदद करो तो कार चुराने जैसे छोटे जुर्म से मैं तुम्हें बरी करा सकता हूं।"
"मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है , कैसा ट्रक? कैसा ड्राइवर?”
"उफ्फ।" झुंझलाकर दांत पीसते हुए दीवान ने मोटा रूल अपने बाएं हाथ पर जोर से मारा। यह झुंझलाहट उस पर इसीलिए हावी हुई थी , क्योंकि अब वह इस नतीजे पर पहुंच गया था कि युवक की याददाश्त वाकई गुम है।
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