RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
नर्स के चुप होने पर कमरे में खामोशी छा गई। वहीं उत्सुक निगाहों से सभी ब्रिगेंजा की तरफ देख रहे थे। काफी प्रतीक्षा के बाद भी जब मिस्टर ब्रिगेंजा कुछ नहीं बोले तो भारद्वाज ने पूछा—“किसी नतीजे पर पहुंचे डॉक्टर ?"
"मरीज से बात करने के बाद ही शायद किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।"
तभी भागकर एक नर्स कमरे में आई। उसकी सांस फूली हुई थी। हड़बड़ाई-सी बोली— "उसे होश आ रहा है, डॉक्टर ?"
"चलो!" डॉक्टर ब्रिगेंजा उठकर खड़े हो गए—मगर उस नर्स से बोले—"तुम तब तक उसके कमरे में नहीं जाओगी , जब तक हम न बुलाएं, किसी अन्य के लिए उसके सामने जाने में कोई परहेज नहीं है।"
एक मिनट बाद दो डॉक्टर्स और दो नर्सों के साथ डॉक्टर ब्रिगेंजा युवक वाले कमरे में दाखिल हुए—बिस्तर पर अधलेटी अवस्था में पड़ा युवक इस वक्त शान्त था—उन सबको कमरे में दाखिल होते देखते ही वह सीधा होकर बैठ गया।
उसके चेहरे पर उलझन , हैरत और पश्चाताप के संयुक्त भाव थे।
भारद्वाज और उसके साथी दूर ही ठिठक गए। भयाक्रांत-से वे सभी युवक को देख रहे थे। उसे , जो इस वक्त नि:सन्देह किसी बच्चे जैसा मासूम और आकर्षक लग रहा था।
उसके समीप पहुंचते हुए ब्रिगेंजा ने कहा— "हैलो मिस्टर!"
"हैलो!" युवक ने फंसी-सी आवाज में कहा।
ब्रिगेंजा ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा— "मेरा नाम ब्रिगेंजा है। ”
अवाक्-से युवक ने उससे हाथ मिला लिया। उस वक्त ब्रिगेंजा ने बड़े प्यार से पूछा—"तुमने अपना नाम नहीं बताया ?"
“म.....मुझे अपना नाम नहीं पता है।" बहुत ही मासूम अन्दाज था उसका।
“अजीब बात है! क्यों ?"
"सब लोग कहते हैं कि मेरा एक्सीडेण्ट हो गया था—तब से मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है—मगर वह नर्स कहां गई डॉक्टर भारद्वाज?"
अन्तिम शब्द उसने अचानक ही डॉक्टर भारद्वाज से मुखातिब होकर कहे थे , जिसके कारण भारद्वाज एक बार को तो बौखला गया , फिर शीघ्र ही संभलकर बोला—"वह तुम्हारे साथ रहने के लिए तैयार नहीं है।"
"शायद मेरे व्यवहार के कारण ?”
ब्रिगेंजा ने पूछा— “क्या तुम्हें मालूम है कि उसके साथ तुमने क्या किया था ?"
“मैं बहुत शर्मिन्दा हूं, डॉक्टर , प्लीज़—उसे बुलाइए—वह मेरी बहन जैसी है—मैं उससे अपने व्यवहार की क्षमा मांगना चाहता हूं।"
"अगर ऐसा है तो तुमने वह सब किया ही क्यों था ?”
" 'म...मैँ समझ नहीं पा रहा हूं, मुझे बेहद दुःख है—चकित हूं......जाने मैं यह सब क्यों करने लगा , शायद मुझसे ऐसा करने के लिए किसी ने कहा था।"
"किसने ?”
"मैँ नहीं बता सकता , मगर उस वक्त यहां मेरे और उस नर्स के अलावा कोई था ही नहीं, फिर जाने वह कौन था , जिसने मेरे कान में , दिलो-दिमाग में चीखकर यह कहा कि उसे मार दे—मरने के बाद वह बेहद खूबसूरत लगेगी।"
"क्या तुम्हें खूबसूरत चीजें पसंद हैं ?"
"खूबसूरत चीजें भला किसे पसंद न होंगी ?"
"क्या वह नर्स जीवित अवस्था में खूबसूरत नहीं लग रही थी ?"
"ल...लग रही थी।"
"फिर तुमने उसे मारने की कोशिश क्यों की ?"
इस प्रकार ब्रिगेंजा ने कुरेद-कुरेदकर उससे सवाल किए। वह बेहिचक सभी बातों का जवाब देता चला गया …कुछ देर बाद उस कमरे में मौजूद सभी व्यक्ति जान चुके थे कि युवक ने किन विचारों और भावनाओं के झंझावात में फंसकर नर्स को मार डालने की कोशिश की थी। सुनने के बाद ब्रिगेंजा ने पूछा— "तो शुरू में आपकी यह इच्छा हुई कि वह नर्स बिना कपड़ों के ज्यादा सुन्दर लगेगी ?"
"ओह नो …मैं शर्मिन्दा हूं, डॉक्टर। बेहद शर्मिन्दा हूं।" चीखते हुए उसने अपने दोनों हाथों से चेहरा ढ़ाप लिया, निश्चय ही इस वक्त शर्म के कारण उसका बुरा हाल था। ब्रिगेंजा ने कहा—“तुम उन्हीं विचारों पर अमल करते चले गए , जो तुम्हारे दिमाग में उठे ?"
"हां।"
"कल अगर तुम्हारे दिमाग में यह विचार उठा कि तुम्हें कुएं में कूद जाना चाहिए तो ?"
"म....मैं शायद कूद पडूंगा , आप यकीन कीजिए, मेरे अपने ही दिमाग पर मेरा कोई नियन्त्रण नहीं रह गया था। उफ् भगवान! ये मुझे क्या हो गया है? मुझे याद क्यों नहीं आता कि मैं कौन हूं, इतने गन्दे , इतने भयानक विचार मेरे दिमाग में आए ही क्यों? मैं क्या करूं, मैं क्या करूं भगवान ?" चीखने के बाद वह अपने घुटनों में सिर छुपाकर जोर-जोर से रोने लगा।
सभी को सहानुभूति-सी होने लगी उससे।
|