RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
भारद्वाज के कमरे में बैठे डॉक्टर ब्रिगेंजा ने कहा —“वह पागल नहीं है।"
“फिर ?”
"एक किस्म का जुनून कहा जा सकता है उसे, जुनून-सा सवार हुआ था उस पर …मुझे लगता है कि अपनी पिछली जिन्दगी में उसने कहीं किसी लड़की की लाश देखी है।"
"उसकी पिछली जिन्दगी ही तो नहीं मिल रही है।"
"यह पता लग चुका है कि वह हिन्दू है।"
डॉक्टर भारद्वाज ने कहा— "शायद आप उसके भगवान कहने पर ऐसा सोच रहे हैं ?"
"हां , वह शब्द उसके मुंह से बड़े ही स्वाभाविक ढंग से निकला था।"
एक अन्य डॉक्टर ने कहा—"मान लिया कि उस पर जुनून सवार हुआ था , मगर इस अवस्था में उसके पास अकेला रहने की हिम्मत कौन करेगा, डाक्टर? जाने कब उस पर जुनून सवार हो जाए और सामने वाले की गर्दन दबा दे ?"
हंसते हुए ब्रिगेंजा ने कहा …"ऐसा नहीं होगा।"
"क्या गारन्टी है ?"
"उसके पास किसी लेडीज नर्स को नहीं , पुरुष को छोड़ दो—उसके लिए युवक के जेहन में वैसा कोई विचार नहीं उठेगा , जैसा नर्स के लिए उठा था, वैसे मेरा ख्याल है कि यह जुनून उसे जिन्दगी में पहली बार ही उठा था।"
"क्या गारन्टी है ?"
"मेरा अनुभव।" ब्रिगेंजा ने तपाक से कहा— “ ऐसा उसके साथ केवल इसीलिए हो गया कि इस वक्त उसका दिमाग संतुलित नहीं है—दुर्घटना से पहले संतुलित था।"
"म...मगर भविष्य में तो उसे ऐसा जुनून सवार हो सकता है।"
"पूरा खतरा है।" ब्रिगेंजा ने बताया।
¶¶
'ग्रे ' कलर की एक चमचमाती हुई शानदार 'शेवरलेट' थाने के कम्पाउण्ड में रुकी , झटके से आगे वाला दरवाजा खुला। बगुले-सी सफेद वर्दी पहने शोफर बाहर निकला और फिर उसने गाड़ी का पीछे वाला दरवाजा खोल दिया।
पहले एक कीमती छड़ी गाड़ी से बाहर निकलती नजर आई , फिर उस पर झूलता हुआ अधेड़ आयु का एक व्यक्ति—वह अधेड़ जरूर था परन्तु चेहरे पर तेज था , उसके अंग-प्रत्यंग से दौलत की खुशबू टपकती-सी महसूस होती थी, चेहरा लाल-सुर्ख था उसका—आँखों पर सुनहरी फ्रेम का सफेद लैंस वाला चश्मा , बालों को शायद खिजाब से काला किया गया था।
हालांकि चलने के लिए उसे सहारे की ज़रूरत नहीं थी , फिर भी , सोने की मूठ वाली छड़ी को टेकता हुआ वह ऑफिस की तरफ बढ़ गया।
एक मिनट बाद अपना हाथ इंस्पेक्टर दीवान की तरफ बढ़ाए वह कह रहा था— "हमें न्यादर अली कहा जाता है। लारेंस रोड पर हमारा बंगला है।"
"बैठिए।" दीवान उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका।
“आज के अखबार में आपने दो फोटो छपवाए हैं। एक युवक का , दूसरा युवती का—उन फोटुओं के समीप लिखे विवरण के अनुसार वह युवक अपनी याददाश्त गंवा बैठा है, और युवती का फोटो उसके पर्स की जेब से निकला है ?"
जाने क्यों दीवान का दिल धड़क उठा , बोला— “ जी.....जी हां। ”
"वह युवक हमारा बेटा है।"
“आपका बेटा ?"
"जी हां …और वह युवती हमारी बेटी।"
"ब...बेटी ?" दीवान के मुंह से अनायास निकल पड़ा— “ यानि वह युवक की बहन है ?”
"हां , सिकन्दर सायरा से बहुत प्यार करता था—दुर्भाग्य ने सायरा को हमसे छीन दिया और सिकन्दर तभी से अपने पर्स में सायरा का फोटो लिए घूमता है।"
"क्या यह लड़की अब इस दुनिया में नहीं है ?"
"एक साल पहले वह...।" न्यादर अली की आवाज भर्रा गई।
"स...सॉरी …मगर क्या नाम ले रहे थे आप, सिकन्दर—क्या उस युवक का यही नाम है ?"
“हां इंस्पेक्टर , हमारी एक छोटी-सी कपड़ा मिल है—एक साल पहले तक सिकन्दर हमारे ही व्यापार में हमारी मदद किया करता था , किन्तु सायरा की मृत्यु के बाद जाने क्यों उसे अपना एक अलग बिजनेस करने की धुन सवार हो गई....हमने उसे एक गत्ता मिल लगवा दी—पिछले करीब एक वर्ष से यह प्रतिदिन सुबह नौ बजे ऑफिस जाता और रात आठ बजे लौट आता था—कल रात नहीं लौटा , हम दस बजे तक उसका इन्तजार करते रहे.....जब वह नहीं आया तो हमने गत्ता मिल के मैनेजर को फोन किया—उसके मुंह से यह सुनकर हम चकित रह गए कि सिकन्दर आज ऑफिस ही नहीं पहुंचा था—हम चिंतित हो उठे—उसके और अपने हर परिचित के यहां फोन करके हमने मालूम किया—सिकन्दर कल किसी से नहीं मिला था—बेचैनी और चिंताग्रस्त स्थिति में हमने सारी रात काट दी—सुबह पेपरों में फोटो देखे तो उछल पड़े और उनके समीप लिखी इबारत तो हमारे सीने पर एक मजबूत घूंसा बनकर लगी—यह सब कैसे हो गया, इंस्पेक्टर? सिकन्दर अपनी याददाश्त कैसे गंवा बैठा ?"
"एक ट्रक से उसका एक्सीडेण्ट हुआ था।"
"ए...एक्सीडेण्ट? ज्यादा चोट तो नहीं आई उसे ?”
"प्रत्यक्ष में कोई बहुत ज्यादा चोट नहीं लगी है, अपनी याददाश्त जरूर गंवा बैठा है वह.....मगर क्या वह अपने ऑफिस कार से जाता था ?"
“हां , उसके पास कैडलॉक है।"
"कैडलॉक?”
"हां।"
"मगर जिस गाड़ी का ट्रक से एक्सीडेण्ट हुआ है , वह फियेट थी।"
"फियेट सिकन्दर के पास कहां से आ गई ?"
दीवान ने बताया—"यह जानकर आपको हैरत होगी कि यह फियेट उसने चुराई थी , फियेट के मालिक प्रीत विहार में रहने वाले अमीचन्द जैन हैं।"
"अजीब बात है! सिकन्दर भला किसी की फियेट क्यों चुराएगा और उसकी कैडलॉक कहां चली गई ? हमारी समझ में यह पहेली नहीं आ रही है, इंस्पेक्टर?"
“ ऐसी कई पहेलियां हैं , जिन्हें केवल एक ही घटना हल कर सकती है—और यह घटना उसकी याददाश्त वापस लौटना होगी।"
"और क्या पहेली है ?"
दीवान ने उस ट्रक और ड्राइवर के बारे में कह दिया —उसके बाद दीवान ने नया प्रश्न किया —“ क्या सिकन्दर की शादी हो चुकी है ?"
“नहीं।”
"क्या उसकी कोई गर्लफ्रेंड है?"
"कम-से-कम हमारी जानकारी में नहीं है।"
दीवान ने दराज खोली , नेकलेस निकालकर मेज पर रखता हुआ बोला— "फिर यह नेकलेस उसने किसके लिए खरीदा था , यह उसकी जेब से निकला है।"
"अजीब बात है!"
"यह एक ऐसी पहेली है , जो उसकी याददाश्त वापस आने पर ही सुलझेगी।"
"हम सिकन्दर से मिलना चाहते हैं, इंस्पेक्टर।"
"सॉरी।" कहकर कुछ पल के लिए चुप रहा दीवान , ध्यान से न्यादर अली की तरफ देखता रहा , फिर बोला— "क्या आपके पास इस बात का कोई सबूत है कि वह आपका बेटा सिकन्दर ही है?"
"स...सबूत—कोई किसी का बेटा है , इस बात का क्या सबूत हो सकता है ?"
"क्षमा करें, मिस्टर न्यादर अली। हालात ऐसे हैं कि मैं बिना किसी सबूत के आपकी बात पर यकीन नहीं कर सकता—जरा सोचिए—युवक की याददाश्त गुम है—इस वक्त उसे जो भी परिचय दिया जाएगा , उसे स्वीकार करने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं है।"
"म...मगर कोई गलत आदमी उसे अपना बेटा क्यों कहेगा ?"
"बहुत-से कारण हो सकते हैं।"
"जैसे ?”
"मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता , यदि आपके पास उसे अपना बेटा साबित करने के लिए कोई सबूत है तो प्लीज , पेश कीजिए।"
“अजीब बात कर रहे हैं आप—हमारे नौकर-चाकर और सभी परिचित आपको बता सकते हैं कि सिकन्दर हमारा बेटा है , हमारे साथ उसके अनेक फोटो भी आपको मिल...हां, गुड …उसकी एलबम तो सबूत हो सकती है, इंस्पेक्टर—हमारे पास उसकी एक एलबम है , उसमें सिकन्दर के बचपन से जवानी तक के फोटो हैं।"
"एलबम एक ठोस सबूत है।"
"म...मगर हमें मालूम नहीं था कि यहां सिकन्दर को अपना बेटा साबित करने के लिए भी सबूत की जरूरत पड़ेगी , अत: एलबम साथ नहीं लाये हैं—या जरा ठहरिए , हम अपने नौकर से एलबम मंगा लेते हैं।"
दीवान ने एक सिपाही को आदेश दिया कि वह शोफर को अन्दर भेज दे …तब न्यादर अली ने पूछा— “इस वक्त सिकन्दर कहां है ?"
"मेडिकल इंस्टीट्यूट में।"
"क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम वहीं चलें और शोफर एलबम लेकर वहां पहुंच जाए ?"
"मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है।" दीवान ने कहा।
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